प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बायोमैडीकल कचरा उठवाना शुरू किया

punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2020 - 09:07 AM (IST)

जालंधर(रवि रौणखर): न्यू गौतम नगर में मिले बायोमैडीकल कचरे पर पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने कार्रवाई शुरू कर दी है। सोमवार को बोर्ड के पर्यावरण इंजीनियर कुलदीप सिंह और एस.डी.ओ. गुनीत सेठी मौके पर पहुंचे और जांच शुरू कर दी। कुलदीप सिंह ने बताया कि सबसे पहले कचरे का निपटारा करने वाली कंपनी को इसे उठाने के निर्देश दिए गए हैं। 

कंपनी की गाड़ियों ने कचरा देर शाम उठाना भी शुरू कर दिया था। कचरा बहुत ज्यादा है और उसमें निगम का कचरा भी मिक्स हो गया है इसलिए पूरी तरह से जगह साफ होने में कई दिन लग जाएंगे। कचरे में खून से सने दस्ताने, रूई, पट्टियां, इस्तेमाल की गई सिरिंजें, ऑप्रेशन थिएटर में सर्जरी के लिए इस्तेमाल सामान शामिल है। सोमवार को बारिश के चलते कचरा उठाने में कंपनी को बाधा आ रही थी। अंधेरे में सूई चुभने, सर्जिकल ब्लेड से कट लगने का डर भी रहता है। ऐसे में दिन की रोशनी में यह काम किया जाएगा। बोर्ड के अधिकारियों का कहना था कि जैसे ही कचरा जमा करने वाले व्यक्ति की पहचान हो जाती है उसके खिलाफ अदालत में केस दर्ज किया जाएगा। 

सवाल उठ रहे हैं कि इतना कचरा आया कहां से?
अधिकारी जांच कर रहे हैं कि शहर में इतनी बड़ी मात्रा में कचरा जमा कैसे हुआ। कचरा उठाने वाली कंपनी के अधिकारी भी कह रहे हैं कि एक साथ सारा कचरा उठाने की उनके पास जगह नहीं है। वह धीरे-धीरे यहां से बायोमैडीकल वेस्ट उठा ले जाएंगे।

अस्पताल का एक बैड रोजाना 1.5 कि.ग्रा. कचरा पैदा करता है 
डब्ल्यू.एच.ओ. (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार भारत के साधारण अस्पताल का एक बैड रोजाना 1 किलो 500 ग्राम कचरा पैदा करता है। उसका 85 प्रतिशत हिस्सा साधारण कचरा होता है। महज 15 प्रतिशत यानी 225 ग्राम कचरा ही खतरनाक श्रेणी में आता है।

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रिकॉर्ड में कचरा पैदा करने वाले पंजाब के संस्थानों पर एक नजर

छोटे-बड़े अस्पताल 3577
क्लीनिक, डिस्पैंसरियां 1940
लैबोरेट्रिया 1389
क्लीनिक एस्टैब्लिशमैंट्स 1240
पशु चिकित्सालय 75
रिसर्च सैंटर 06
ब्लड बैंक 07
आयुष 00
पशु घर 00


आयुष से जुड़े पंजाब में हजारों संस्थान हैं मगर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रिकॉर्ड में एक भी संस्थान बायोमैडीकल वेस्ट सही से निपटारे के लिए नहीं भेज रहा। यानी कोई भी एक किलो कचरा भी पैदा नहीं कर रहा। साथ ही राज्य में पशुघरों की संख्या भी हजारों में है। मगर कोई भी एक सिरिंज की सूई नहीं निकाल रहा यह चौंकाने वाला खुलासा है। 

10 बैड तक महज 1000 रुपए प्रति माह में कचरा निपट जाता है
बायोमैडीकल कचरे को निपटाने के लिए 10 बैड की क्षमता वाले अस्पताल को महीने में 1000 रुपए का भुगतान करना होता है। यह भुगतान पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा निर्धारित कचरा निपटाने वाली कंपनी को किया जाता है।

कॉमन ट्रीटमैंट फैसिलिटी से हो सकता है समाधान 
बायोमैडीकल वेस्ट के निपटारे के लिए जालंधर का ज्यादातर कचरा मोहाली जा रहा है। अगर शहर में ही कोई कॉमन ट्रीटमैंट प्लांट बन जाए तो फैसिलिटी का ट्रांसपोर्ट खर्च कम हो जाएगा। इससे छोटे से छोटा डॉक्टर भी अपना बायोमैडीकल कचरा कबाडि़ए की बजाय प्लांट में भेज पाएगा। यही इस समस्या का हल है। 

बच्चे अक्सर कचरे में मिलने वाली चीजों को टटोलते हैं 
बायोमैडीकल कचरे में ब्लेड, सिरिंजें, दस्ताने, कैनूला, ग्लूकोज चढ़ाने वाली लाइनें, मास्क जैसी तमाम रंग-बिरंगी चीजें होती हैं। अकेले दस्ताने ही सफेद, संतरी और पीले रंग के होते हैं। कुछ चीजें तो खिलौनों की आकृतियों वाली होती हैं। बच्चे इन्हें देख काफी आकर्षित होते हैं।

Edited By

Sunita sarangal