पंजाब में नशों का उपचार करने वाले प्राइवेट सैंटर जांच के घेरे में

punjabkesari.in Thursday, Feb 06, 2020 - 09:05 AM (IST)

जालंधर(धवन): पंजाब में नशों का उपचार करने वाले प्राइवेट सैंटर जांच के घेरे में आ गए हैं क्योंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार को पिछले कुछ समय से ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि प्राइवेट सैंटरों द्वारा नियमों की उल्लंघना की जा रही है। राज्य में नशों का उपचार करने वाले ऐसे सैंटरों की गिनती 100 के लगभग बताई जाती है जोकि प्राइवेट क्षेत्र में काम कर रहे हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इन प्राइवेट सैंटरों पर यह आरोप लग रहे हैं कि वे नशों का उपचार करने में इस्तेमाल करने वाली दवाइयों को इधर-उधर भेज रहे हैं। 

सरकारी अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए सभी सिविल सर्जनों को निर्देश भेजे हैं कि वे प्राइवेट सैंटरों में कार्यरत डाक्टरों को निर्देश भेजें कि वे विभाग को लिखित तौर पर बयान दें कि उनके सैंटर पंजाब सबस्टांस यूज डिस्ऑर्डर ट्रीटमैंट एंड काऊंसलिंग एंड रिहैबिलिटेशन रूल्स 2011 के तहत काम कर रहे हैं। सरकार ने सभी प्राइवेट पुनर्वास व नशा छुड़ाओ केंद्रों को कहा है कि वह स्वास्थ्य विभाग के पास उन्हें सरकार से मिली लाइसैंसों की कापियां भी उपलब्ध करवाएं। कुछ सैंटर तो ऐसे हैं जिनके लाइसैंसों की मियाद पूरी हो चुकी है और उन्होंने अपने लाइसैंसों को रिन्यू नहीं करवाया है। 

अधिकारियों ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में इस समय लगभग 3.50 लाख रोगियों का नशा छुड़ाने के लिए इलाज चल रहा है। ऐसे सरकारी अस्पतालों की गिनती 191 बताई जाती है जिनमें इलाज करने वाले ओट क्लीनिक भी शामिल हैं। पिछले दिसम्बर महीने में स्वास्थ्य विभाग को ऐसी शिकायत मिली थीं कि राज्य में नशों का उपचार करने में इस्तेमाल होने वाली लगभग 5 करोड़ गोलियों को इधर-उधर किया गया है। उसके बाद एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत लगभग 23 सैंटरों को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए थे। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री स्वयं इस बात को लेकर काफी विचलित थे कि कुछ सैंटरों ने नियमों की अनदेखी की है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में और कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। 

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Sunita sarangal