जालंधर बाईपास प्रोजैक्ट-करोड़ों का मुआवजा लेने के लिए गड़ाई नजरें

punjabkesari.in Wednesday, May 23, 2018 - 11:08 AM (IST)

जालंधर(अमित, सोमनाथ): जंडूसिंघा से प्रतापपुरा वाया जमशेर तक लगभग 29 किलोमीटर में बनने वाले जालंधर बाईपास के लिए अधिगृहीत की जाने वाली जमीन पर लैंड माफिया अपनी नजरें गड़ाए बैठा है। एन.एच.ए.आई. के सर्वे के साथ ही लैंड माफिया का खेल भी शुरू हो गया था। यही नहीं कई जमीनों के तो सी.एल.यू. तक करवाए जा चुके हैं। इस रोड का प्रोजैक्ट करीब 3 साल पहले शुरू हुआ। प्रोजैक्ट पास होने के बाद करीब अढ़ाई साल पहले सर्वे शुरू हुआ जिसके साथ ही अधिसूचना जारी होने तक तो लैंड माफिया ने इस बाईपास के अंतर्गत आने वाले गांवों में जमीनें खरीदनी आरंभ कर दी थीं। खेतीबाड़ी के लिए खरीदी गई इन जमीनों का भू-माफिया ने काफी हद तक सी.एल.यू. भी करवा रखा है। कुछ समय पहले होशियारपुर में इसी तर्ज पर एक बहुकरोड़ी लैंड स्कैम सामने आ चुका है। उस समय सामने आए व्यक्तियों की भूमिका जालंधर बाईपास के लिए अधिगृहीत होने वाली जमीनों को खरीदने में भी सामने आ रही है। आने वाले समय में इस मामले में कई बड़े खुलासे होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि एन.एच.ए.आई. से लेकर डी.टी.पी. दफ्तर और पुडा के कुछ लोगों के भी भू-माफिया के साथ मिले होने की संभावना जताई जा रही है। कुछ राजनीतिक नेताओं के भी इस घोटाले के साथ तार जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। 
 

रैवेन्यू रिकार्ड में एग्रीकल्चर लैंड, माफिया बता रहा कमर्शियल
भू-माफिया द्वारा खरीदी गई जमीन का रैवेन्यू रिकार्ड में बतौर एग्रीकल्चर लैंड ही इंद्राज दर्ज है मगर माफिया इसे बेहद चालाकी से कमर्शियल बता रहा है ताकि एक्वायर हुई जमीन का मुआवजा लेते समय उन्हें जमीन के अधिक दाम प्राप्त हो सकें। गौर हो कि बाईपास के लिए एक्वायर की गई जमीन का अगर एग्रीकल्चर लैंड के तौर पर मुआवजा दिया जाता है तो जमीन मालिक को लगभग 1 लाख रुपए प्रति मरला की दर से राशि प्राप्त होगी, मगर कमर्शियल मुआवजा होने की सूरत में उक्त राशि 5 गुना से भी अधिक हो जाती है। 

36 एतराज हुए प्राप्त, फील्ड स्टाफ से मांगी मौके की रिपोर्ट, प्रक्रिया जारी
नैशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा एन.एच.-70 (जालंधर से मंडी वाया हमीरपुर) और एन.एच.-71 (जालंधर से रोहतक वाया संगरूर) को जोडऩे वाले जालंधर बाईपास का निर्माण किया जाना है जिसके अंतर्गत जालंधर से प्रतापुरा वाया जमशेर के बीच 29.275 किलोमीटर का बाईपास बनाया जाना है। इस उद्देश्य से अधिगृहीत भूमि को लेकर एस.डी.एम.-1 द्वारा दावे और एतराज मांगे जा चुके हैं। इसके तहत कुल 36 एतराज प्राप्त हुए थे। सारे एतराज तहसीलदार-1 के पास भेजे गए हैं ताकि फील्ड स्टाफ से मौके की रिपोर्ट और रैवेन्यू रिकार्ड में दर्ज जानकारी प्राप्त की जा सके। 

भू-माफिया पर नकेल कसने के लिए उठाए कदम
एस.डी.एम.-1 राजीव वर्मा जोकि बतौर लैंड एक्वीजिशन कलैक्टर काम कर रहे हैं, उन्होंने होशियारपुर में सामने आए लैंड स्कैम को मुख्य रखते हुए जालंधर बाईपास पर नजरें गड़ाए बैठे भू-माफिया पर नकेल कसने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं ताकि समय रहते किसी बड़े घोटाले की आशंका को कम किया जा सके।

रजिस्ट्री से पहले एक्वायर जमीन को लेकर एंट्री करने के निर्देश
तहसीलदार-1 को पत्र लिखा गया है ताकि वह इस बात को भी सुनिश्चित करें कि स्कीम के अंतर्गत आने वाले 23 गांवों में अगर कोई भी जमीन की खरीदो-फरोख्त होती है तो रजिस्ट्री करने से पहले इस बात की एंट्री अवश्य करवाई जाए कि जो जमीन एक्वायर हो रही है, उस एक्वायर रकबे का उक्त रजिस्ट्री के साथ कोई लेना-देना नहीं है।

लैंड-स्कैम में सामने आए व्यक्तियों द्वारा 6 महीने के अंदर करवाई रजिस्ट्रियों का मांगा रिकार्ड
एस.डी.एम. -1 ने कुछ समय पहले तहसीलदार-1 को एक पत्र लिखा था जिसमें फोर लेन मार्ग के लिए 23 गांवों की जमीन जो इस स्कीम के अधीन आ रही है, में होशियारपुर लैंड स्कैम के दौरान सामने आए कुछ नाम जिसमें जसविन्द्र पाल सिंह, हरपिंद्र सिंह गिल, अवतार सिंह जौहल, सतविन्द्र पाल सिंह, वरिंद्रजीत कौर, लवजोत सिंह, सुखविंद्र कौर, हरजिन्द्र कौर, अमृतप्रीत सिंह सहित अन्य लोगों के नाम पर पिछले 6 महीने के अंदर कोई रजिस्ट्री हुई है या नहीं? उसका रिकार्ड अपने पास तलब किया है। 

रैवेन्यू रिकार्ड में रपट भी की गई दर्ज
एस.डी.एम.-1 ने लैंड-माफिया के ऊपर नकेल कसने के उद्देश्य से एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 23 गांवों के रैवेन्यू रिकार्ड के अंदर मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज द्वारा 24 जनवरी, 2018 को जारी नोटीफिकेशन की रपट दर्ज करवा दी है ताकि उक्त गांवों की जमीन की सेल-परचेज करते समय संबंधित पक्षों को सही जानकारी उपलब्ध हो सके।

DTP को 3ए से पहले जारी सी.एल.यू. रद्द करने एवं नए सी.एल.यू. न करने के आदेश
सीनियर नगर योजनाकार (डी.टी.पी.) को भी एस.डी.एम.-1 की तरफ से एक पत्र लिखा गया है, जिसके साथ नोटीफिकेशन 3ए (23 गांवों) की फोटोकापी भेजी गई है। पत्र में हिदायतें जारी की गई हैं कि उक्त नोटीफिकेशन जारी होने से पहले-पहले जितने सी.एल.यू. सर्टीफिकेट जारी किए गए हैं, उन्हें कानून के मुताबिक बनती कार्रवाई करते हुए कैंसिल किया जाए। इन 23 गांवों में जिस-जिस खसरा नंबर की जमीन एक्वायर हो रही है, के ऊपर बन रहे हर तरह के स्ट्रक्चर को भी कानून अनुसार उचित कार्रवाई करते हुए हटाया जाए। 23 गांवों में इन खसरा नंबरों पर जहां बाईपास बनने जा रहा है, वहां पर उस जमीन का सी.एल.यू. पास न किया जाए और इस संबंधी डी.टी.पी. की निजी जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है। 

Vatika