धन के अहंकारी मतवाले व्यक्ति में 3 दोष उपजते हैं : श्री कृष्ण विज

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2019 - 08:49 AM (IST)

जालंधर(स.ह.): श्री राम शरणम् आश्रम 17 लिंक रोड द्वारा साईदास स्कूल ग्राऊंड में आयोजित 8 दिवसीय रामायण ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन पूज्य कृष्ण विज ने स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित श्री वाल्मीकि रामायण की चौपाइयों की व्याख्या करते हुए कहा कि व्यक्ति में धन से अहंकार, यौवन के नशे में बैर, परनारीगमन जैसे दोष उपजते हैं। यह संसार 4 दिन का मेला है। मानव के आने की सूचना तो 9 माह पहले मिल जाती है लेकिन जाने की सूचना 9 मिनट पहले भी नहीं मिलती है।

भरत मिलाप की कथा सुनाते कहा कि भरत ने जब श्री राम जी को पिता की मृत्यु का समाचार सुनाया तो श्री राम बहुत दुखी हुए। राम को दुखी देख वहां का सारा वातावरण शोकमय हो गया, लेकिन राम अपने आप को संभालते हैं। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि भरत राम को अयोध्या चलकर राजपाठ संभालने के लिए प्रार्थना करते हैं।

राम भरत को बहुत समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन भरत हठ करता है। श्री राम ने भरत से कहा कि मुझे पिता जी के वचन को निभाना है। तब राम जी की चरण पादुका सिर पर धर कर भरत अयोध्या वापस आ जाते हैं। सिंहासन पर राम पादुकाएं स्थापित करके भरत राम की ओर से शासन करना शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि जब राम अत्रि महर्षि के आश्रम पहुंचते हैं तो वहां अनुसूईया से मां सीता की मुलाकात होती है तब अनसूईया कहती है सीते तू बड़ी किस्मत वाली है जोकि पति के साथ आई है। 

रामायण की चौपाइयों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जब श्री राम सुतीक्षण ऋषि के आश्रम पहुंचते हैं तब सीता राम व लक्ष्मण के हाथों में नंगी कृपाणें देख कर कहती है कि प्रभु श्रीराम मेरी एक शंका का समाधान करो। इस पर श्रीराम ने कहा कि जब क्षत्रिय के हाथों में शस्त्र होता है तो उसमें 3 दोष उपजते हैं, पहला परनारीगमन, मिथ्या भाषण और तीसरा आकरण बैर। अगर में शांत मन और निष्ठा से काम करेंगे तो सभी का कल्याण होगा। इसके बाद तीनों का मिलाप अगस्त ऋषि से होता है, तब अगस्त ऋषि उन्हे दैवीय शक्ति वाले शस्त्र देते हैं। इसके बाद तीनों पंचवटी में आकर अपनी कुटिया 
का निर्माण करते हैं। कथा का  विश्राम सर्वशक्ति मते परमात्मने श्री रामाय नम: पाठ के साथ हुआ।

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