महानगर के प्रत्येक वर्ग की यही पुकार, दुष्कर्मियों के लिए बने फांसी का कानून

punjabkesari.in Monday, Apr 02, 2018 - 11:41 AM (IST)

जालंधर(वीना, शीतल): देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की बढ़ रहीं वारदातों का कारण देश में दोषियों को देर से सजा मिलना है, जिससे प्रभावित लोग जहां शारीरिक रूप से परेशान रहते हैं वहीं उनकी मानसिक स्थिति भी बिगड़ जाती है। लोगों का मानना है कि कानून में दोषी को लम्बे समय तक राहत मिल जाती हैं क्योंकि कोर्ट-कचहरियों में काफी लम्बी तारीखें पड़ जाती हंै और दोषी दोष सिद्ध न होने पर अंत में बरी भी हो जाते हैं। इस संबंध में अनेक तथ्य हैं और लोग चाहते हैं कि दोषियों को ऐसे घिनौने कांड के लिए सजा का प्रावधान कठोर और जल्दी होना चाहिए। दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा देनी चाहिए तथा इसके लिए जल्द ही कानून बनना चाहिए। इस सन्दर्भ में समाज के विभिन्न क्षेत्रों के गण्यमान्यों से जब बातचीत की गई तो उनके विचार इस प्रकार हैं :


परिवार में लड़कियों को सैल्फ डिफैंस की शिक्षा देने के लिए सदा प्रेरित करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों। यदि ऐसी वारदात हो जाए तो देश का कानून ऐसा होना चाहिए कि दोषी को बीच चौराहे खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए जिससे दूसरों को ऐसा अपराध न करने की नसीहत मिले।’
-नरिन्द्र विग (चार्टर्ड अकाऊंटैंट) 

अरब देशों में किसी भी अपराध के लिए कानून बड़े कठोर हैं जिस कारण वहां अपराध कम होते हैं। रेपिस्ट के लिए फांसी की सजा की बात सभी करते हैं परंतु यह सजा उनके अपराध के सामने तो बहुत कम है। ऐसे लोगों को नपुंसक बना देना चाहिए ताकि वह जिंदगी भर अपने किए पछतावे में जीते जी मर जाएं। 
डा. संजय खन्ना (मनोचिकित्सक)

कुकर्म करने वालों के लिए तो फांसी की सजा भी कम है, सजा तो ऐसी होनी चाहिए कि जिससे दूसरों की भी रुह कांप उठे तभी लोग कानून की सजा से डरेंगे। जिसके साथ घटना घटती है वह जिस तरह जीते जी मरता है वैसे ही कुकर्म करने वाले को तिल तिल कर मरना चाहिए।’
—राजलक्ष्मी (को-आर्डीनेटर, दादा भगवान आर्गेनाइजेशन)

देश में बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं का मुख्य कारण दोषियों को कठोर सजा का न मिलना है, जिससे वारदात करने वालों के हौसले बढ़ जाते हैं, क्योंकि उन्हें किसी सजा की ङ्क्षचता नहीं रहती। अक्सर देखा गया है कि वारदात के बाद पकड़ा गया दोषी 2-4 महीनों में ही जेल से बाहर आकर घूमने लगते हैं जिस कारण वारदातें घटने की बजाय बढ़ रही हैं।’ 
-राधिका पाठक (पार्षद) 

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