6 वर्षों में जिला जालंधर से 681 बच्चे हुए गायब, 128 को ढूंढ नहीं पाई पुलिस

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 11:07 AM (IST)

फिल्लौर(भाखड़ी): बच्चों के लिए जिला जालंधर शहर महफूज नहीं है। आर.टी.आई. में हुआ खुलासा हुआ है कि औसतन 3 दिनों में शहर से एक बच्चा लापता हो रहा है। पिछले 6 वर्षों में  जिला जालंधर में 681 बच्चों के लापता होने के पुलिस ने मुकद्दमे दर्ज किए हैं, जबकि 553 बच्चों को पुलिस ढूंढने में कामयाब रही है और 128 बच्चे अभी भी गुम हैं, जिनमें ज्यादा संख्या लड़कियों की है। बच्चों को कौन ले गया और वह किस हालत में हैं, जिसका पुलिस को कोई अनुमान तक नहीं है। 

आर.टी.आई. कार्यकर्ता रोहित सभ्रवाल ने बताया कि उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय जालंधर में आर.टी.आई. के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2019 तक के 6 वर्षों में जालंधर से 18 वर्ष से कम आयु के कितने बच्चे गायब हुए हैं।सभ्रवाल ने बताया कि पुलिस कमिश्नर कार्यालय से उन्हें जो जानकारी उपलब्ध करवाई गई, जिसके अनुसार पिछले 6 वर्षों में जालंधर शहर से छोटे बच्चों के लापता और अपहरण के पुलिस ने 681 मुकद्दमे दर्ज किए हैं और 553 बच्चों को पुलिस ने ढूंढ निकाला है, जबकि 128 बच्चे आज भी लापता हैं। सभ्रवाल ने कहा कि पुलिस ने लापता बच्चों की फाइलें बंद करके ठंडे बस्ते में डाल दी हैं, जो एक बड़ी ङ्क्षचता का विषय है। उन्होंने कहा कि लापता बच्चों को तलाशने के लिए वह यह मामला नैशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन ऑफ  चाइल्ड एंड ह्यूमन राइट्स कमिशन के पास उठाएंगे ताकि लापता बच्चों को ढूंढा जा सके।

देश के सभी पुलिस स्टेशनों को दिए केस रजिस्टर्ड करने के निर्देश
इस संबंधी एडवोकेट हरमिन्द्र ढिल्लों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक पूरे देश में सभी पुलिस स्टेशनों को निर्देश दिए गए हैं कि छोटे बच्चे की गुमशुदगी की शिकायत मिलते ही केस रजिस्टर्ड किया जाए और बच्चे को ढंूढने की कवायद शुरू की जाए, जबकि माइनर बच्चों के संबंध में मिली शिकायत को पहल के आधार पर हल किया जाए। निर्देशों के मुताबिक पुलिस थानों में एक स्पैशल पुलिस अफसर 24 घंटे सिविल वर्दी में तैनात रहेगा और लापता बच्चों के केस में पुलिस की जांच कहां तक पहुंची जिसकी रिपोर्ट वह समय-समय पर पुलिस कमिश्नर या फिर सीनियर अधिकारियों को देता रहेगा।

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