SDM नकोदर ने बरती सख्ती, स्कैंडल की गहन जांच शुरू

punjabkesari.in Monday, Aug 20, 2018 - 06:43 PM (IST)

जालंधर(अमित): परिवहन विभाग में करप्शन को लेकर आए दिन कोई न कोई नई बात सुनने को मिलती रहती है। हाल ही पंजाब केसरी द्वारा बतौर बूट आप्रेटर काम कर रही निजी कम्पनी स्मार्ट चिप के कुछ लालची किस्म के कर्मचारियों द्वारा पैसों के लालच में किए गए बहुत बड़े कारनामों का पर्दाफाश किया गया था। जिसमें बताया गया था कि कैसे बहुत बड़े स्तर पर बैकलॉग एंट्रियों में गोलमाल करके कैसे बिना कोई पुराना लाइसैंस बनवाए एजैंट और निजी कम्पनी के कर्मचारी आपसी सांठ-गांठ के दम पर किसी भी व्यक्ति को नया लाइसैंस जारी करवाकर दे रहे हैं।

‘पंजाब केसरी’ में छपी खबरों का कड़ा संज्ञान लेते हुए एस.डी.एम. नकोदर राजीव वर्मा ने काफी सख्ती बरतनी आरंभ कर दी है। उनके द्वारा इस पूरे मामले की गहन जांच आरंभ कर दी गई है जिससे निजी कम्पनी के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। खुद के बचाव हेतु उक्त कर्मचारी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं और इसके लिए हर तरह का जुगाड़ फिट करने में लग गए हैं। सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है कि एस.डी.एम. द्वारा दोषियों के खिलाफ पर्चा दर्ज करने की बात करने से भयभीत एक कर्मचारी ने कम्पनी के पास अपना इस्तीफा भेज दिया है और दूसरा कुछ दिनों की छुट्टी पर चला गया है। मगर जिस तरह से एस.डी.एम. नकोदर इस मामले को खंगाल रहे हैं, से इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में निजी कम्पनी के कई कर्मचारियों के ऊपर गाज गिरनी तय है।

बख्शा नहीं जाएगा कोई भी दोषी कर्मचारी : राजीव वर्मा
एस.डी.एम. नकोदर राजीव वर्मा ने कहा कि उक्त मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इस मामले में दोषी पाए जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। इस्तीफा देने और छुट्टी पर जाने वाले कर्मचारियों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर दोनों कर्मचारियों की भूमिका फर्जीवाड़े में पाई जाती है तो उनके खिलाफ हर हाल में ठोस कार्रवाई की जाएगी।

इस फर्जीवाड़े की एस.डी.एम. कर रहे हैं जांच
कुछ समय पहले शातिर एजैंट और निजी कम्पनी के कर्मचारियों ने अपनी जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए असली आवेदक जिसने अपना लाइसैंस (नं. पीबी-08 20::000:::5) जालंधर (पी.बी.-08) में बनवाया था। उसके लाइसैंस नंबर को गलत ढंग से बैकलॉग एंट्री करके किसी अन्य व्यक्ति के हैवी लाइसैंस बनाने के लिए इस्तेमाल कर लिया। इस मामले में भी जालंधर से लाइसैंस का डुप्लीकेट पिं्रट निकालने की जगह एस.डी.एम. नकोदर (पी.बी.-&&) दफ्तर से ही निकलवाया गया था। नियमानुसार अगर कोई लाइसैंस पी.बी.-08 में बनता है तो दोबारा उसे किसी अन्य जगह से रिन्यू या डुप्लीकेट इश्यू नहीं किया जा सकता। कानूनन नकोदर से जारी लाइसैंस जालंधर से बन सकता है, मगर जालंधर से जारी लाइसैंस दोबारा नकोदर से नहीं बनवाया जा सकता। इस तरह बड़ी सफाई से अपने ग्राहक को पैसे लेकर बिना किसी औपचारिकता पूरी किएहैवी लाइसैंस होल्डर बना दिया गया। जालंधर में बने सही लाइसैंस के रिकार्ड में केवल स्कूटर और कार की एंट्री दर्ज है, मगर जालसाजी करके बनाए गए लाइसैंस को हैवी लाइसैंस (ट्रांसपोर्ट) कैटागरी का बनाया गया है। दोनों लाइसैंसों का केवल नंबर ही एक है, जबकि आवेदक का नाम, उसकी जन्मतिथि आदि सब कुछ अलग-अलग है।

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