सीवर मैनहोल के हजारों ढक्कन सड़क लैवल पर नहीं, धुंध में बनते हैं दुर्घटनाओं का कारण

punjabkesari.in Monday, Dec 16, 2019 - 10:12 AM (IST)

जालंधर(खुराना): एक ओर जहां शहर टूटी सड़कों की समस्या से जूझ रहा है और पिछले दिनों हुई बरसात ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है वहीं पिछले काफी समय से शहर इसी तरह की एक और समस्या से जूझ रहा है। वह समस्या सड़क पर बने सीवर मैनहोल के ढक्कनों बाबत है जो अपने लैवल पर नहीं और हजारों ढक्कन ऐसे हैं जो सड़क के लैवल से काफी नीचे हैं। इस तरह से बने गड्ढे वाहन चालकों विशेषकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। धुंध में तो यह समस्या और गम्भीर बन जाती है क्योंकि कदम-कदम पर सीवर मैनहोलों के कारण बने गड्ढे दिखाई ही नहीं देते हैं।

निगम में है इंजीनियरों की फौज
जालंधर नगर निगम में इंजीनियरों की फौज तैनात है जो जे.ई. से लेकर एस.सी. लैवल तक कार्यरत है। इन इंजीनियरों को करोड़ों रुपए का वेतन मिलता है परंतु इनके दिमाग में कभी भी यह ख्याल नहीं आया कि सीवर मैनहोल का ढक्कन सड़क के लैवल पर बराबर होना चाहिए। खास बात यह है कि इंजीनियरों की फौज होने के बावजूद सड़कों की रिपेयर और पैचवर्क का काम फोर्थ क्लास के कर्मचारी करते हैं जो अक्सर लापरवाही बरत जाते हैं और पैचवर्क से भी इस लैवल को ठीक नहीं करते।

किसी कांग्रेसी को नहीं है फिक्र
शहर की यह समस्या वर्षों पुरानी है। अकाली-भाजपा सरकार दौरान भी केवल वही मैनहोल सही हुए थे जो सड़क मेयर सुनील ज्योति के घर को जाती थी। बाकी शहर का तब भी बुरा हाल था और आज भी हजारों ढक्कनों का लैवल ऊपर-नीचे है। किसी कांग्रेसी नेता ने जनरल व मेन सड़कों पर हो रही इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया और न ही कभी किसी ठेकेदार पर कार्रवाई ही की गई है।

समस्या की जड़ हैं निगम के ठेकेदार
जालंधर निगम में ठेकेदारों और अधिकारियों का नैक्सस वर्षों पुराना है जो टूटने का नाम नहीं ले रहा। जिस ठेकेदार को लाखों रुपए का टैंडर सड़क बनाने हेतु मिलता है उसी की जिम्मेदारी होती है कि वह पुरानी सड़क पर बने सीवर के मैनहोल का ढक्कन भी नई सड़क के लैवल पर पाए परंतु ज्यादातर ठेकेदार पैसे बचाने के चक्कर में यह काम करते ही नहीं हैं और कमीशनें खाने वाले निगमाधिकारी भी ठेकेदारों को यह काम करने पर जोर नहीं डालते, जिस कारण ज्यादातर ढक्कनों का लैवल नीचा रह जाता है और लोग सालों-साल परेशान होते हैं।

Edited By

Sunita sarangal