विजीलैंस कोर्ट ने तैयार की थी शशि शर्मा खिलाफ 53 पन्नों की रिपोर्ट

punjabkesari.in Thursday, Dec 06, 2018 - 12:03 PM (IST)

जालंधर(वरुण): शशि शर्मा ने सन् 2000 में पुलिस को फंसाने व खुद पर हुए केस रद्द करने के लिए माननीय हाईकोर्ट में फर्जी याचिका दायर करवा दी थी। शशि ने अपने चाचा के नाम पर याचिका दायर करके सी.आई.ए. स्टाफ में अवैध तरीके से रखने के आरोप लगाए थे। वारंट अफसर की टीम की रेड से पहले शशि शर्मा रेड की लाइव कवरेज के लिए एक पत्रकार के घर तक पहुंच गया था लेकिन सब कुछ वैसा नहीं हुआ जो शशि का प्लान था। सारे मामले की जांच विजीलैंस की एक कोर्ट ने की जिसके बाद शशि की करतूतें सामने आ गई थीं। विजीलैंस कोर्ट ने शशि खिलाफ 53 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी। 



फरवरी 2000 में बलदेव किशन द्वारा माननीय हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि उसके रिश्तेदार शशि शर्मा व उसके 3 जानकारों को सी.आई.ए. स्टाफ में कुछ दिनों से अवैध हिरासत में रखा हुआ है। इसके पीछे सारा खेल शशि खेल रहा था। शशि ने पता करवा लिया कि रेड करने के लिए टीम के आने का समय क्या होगा। रेड से कुछ समय पहले शशि शर्मा एक सीनियर पत्रकार के घर पहुंच गया। उसने कहा कि वह अपने 3-4 और साथियों को साथ लेकर शाम के समय सी.आई.ए. स्टाफ पहुंच जाए। शशि सी.आई.ए. स्टाफ के इंचार्ज की पोल खोलने की बात कहकर गया था और यह भी कहा था कि अखबारों को अच्छी न्यूज मिलेगी। 


बता दें कि सी.आई.ए. स्टाफ के तत्कालीन इंचार्ज गुरप्रीत सिंह पिंकी ने शशि शर्मा पर शिकंजा कसा था। बताए हुए समय पर पत्रकार करवेज के लिए सी.आई.ए. स्टाफ पहुंच गए लेकिन वहां पर शशि शर्मा नहीं मिला। काफी समय इंतजार करने के बावजूद टीम नहीं आई तो सभी पत्रकार वहां से चले गए। रात को वारंट अफसर की टीम ने रेड कर दी। सी.आई.ए. स्टाफ में 2 युवक मिले जिनका नाम याचिका में दिए 4 नामों में से था। जांच के बाद टीम ने सारी रिपोर्ट तैयार की। मामले की जांच विजीलैंस कोर्ट को सौंपी गई जिसने सारी जांच व गवाहियों के बाद एक रिपोर्ट तैयार कर ली जिसके 53 पन्ने थे। इसमें सीनियर पत्रकार, शशि के चाचा बलदेव किशन व अन्य लोगों के बयान भी थे।


ये सबूत खोलते हैं मामला झूठा होने की पोल
शशि ने जिस युवक का नाम याचिका में लिखा था और सी.आई.ए. स्टाफ में अवैध हिरासत में रखे होने का दावा किया था, उसने भी बयान दिए कि सी.आई.ए. स्टाफ ने तो उसे उठाया ही नहीं था। बलदेव किशन ने यहां तक कह दिया था कि जो याचिका दायर की गई उसमें उसके  साइन जाली हैं और शशि ने यह सब किया है। बलदेव ने कहा था कि जब उसे पता लगा तो वह माननीय हाईकोर्ट आया था लेकिन हड़ताल होने के कारण वह सच नहीं बता सका। इसके बाद शशि शर्मा के मोबाइल नंबर की डिटेल निकलवाई गई। जिन तारीखों में शशि शर्मा ने खुद को पुलिस की कस्टडी में बताया था, उन दिनों में शशि शर्मा का मोबाइल लगातार इस्तेमाल हो रहा था। इससे क्लीयर हो गया था कि शशि ने सी.आई.ए. स्टाफ को फंसाने के लिए यह खेल रचा था। इस सारी रिपोर्ट को 2016 में दोबारा से इस्तेमाल किया गया। जिस युवक को शशि ने झूठे केस में फंसाया था, उसने यही रिपोर्ट कोर्ट में दायर की थी जिससे उस युवक को काफी फायदा पहुंचा था। 


क्या पुलिस के पास नहीं है शशि के कारनामों की लिस्ट?
शशि खिलाफ थानों में इतने केस हैं जिनकी गिनती ही नहीं। पुलिस कमिश्नर अगर चाहें तो दोबारा से उन सभी केसों की जांच करवा सकते हैं। कुछ केस तो ऐसे होंगे जो थाने लैवल पर ही दबा रखे होंगे और कई केसों के कोर्ट में चालान ही नहीं पेश किए होंगे। हैरानी की बात है कि जालंधर पुलिस शशि को लेकर चुप्पी साधे हुए है। अगर मीडिया के पास शशि की सारी करतूतें पहुंच सकती हैं तो पुलिस के पास उसके कारनामों की लिस्ट न हो ऐसा कभी हो ही नहीं सकता।

Vatika