जब तहमें अपने ईष्ट के बारे में जानकारी नहीं होगी, तब तक भजन भक्ति में मन लगना संभव नहीं : आचार्य विष्णु शास्त्री

punjabkesari.in Tuesday, Dec 10, 2019 - 11:40 AM (IST)

जालंधर(शास्त्री): आज हर इंसान निजी स्वार्थ में बहता हुआ समय-समय अनुसार अपना नियम बदलने में माहिर है लेकिन कुदरत के नियमों की उल्लंघना करने वाला इंसान कभी भी शान्तिप्रिय जीवन व्यतीत नहीं कर सकता, उक्त वाक्य शिव नगर वैल्फेयर सोसायटी द्वारा स्थानीय शिव मंदिर खन्नेयां बगीची में करवाए जा रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में प्रवचन करते हुए कथावाचक आचार्य विष्णु शास्त्री ने कहे।
उन्होंने कहा कि इस संसार रूपी सागर को पार करने के लिए हमें प्रभु सिमरन रूपी नाव को अपनाना होगा लेकिन प्रभु सिमरन करते समय हमारा मन सांसारिक विषयों से दूर रहना अनिवार्य है। हर इंसान कहता है कि हमारा मन प्रभु भजन में नहीं लगता, उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम अपने ईष्ट के बारे में जानकारी ही नहीं होती।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रभु भक्ति में मन लगाने के लिए हमें सबसे पहले अपने ईष्ट की लीलाओं बारे जानकारी लेनी होगी और प्रभु बारे जानकारी लेने के लिए हमें उनसे संबंधित धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन करना होगा। सत्संग प्रवचनों में बैठना होगा, संत-महापुरुषों का सान्निध्य प्राप्त करना होगा। जब तक हम अपने ईष्ट के बारे में जानकारी नहीं रखते तब तक हमारा मन प्रभु भक्ति में लगना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि आज तुलनात्मक जीवन ही दुख का कारण बना हुआ है। आज हम दूसरों की उन्नति, ऐशो-आराम को देखकर उसी अनुकूल अपने जीवन को बिताने का प्रयास करते हैं जबकि हर इंसान को उसके कर्मों अनुसार जीवन में संबंधित आराम, ऐश्वर्य, धन-दौलत व सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि अपने कर्म शुद्ध करें, जानबूझ कर किसी का अहित न करें, किसी को दुख न दें, क्योंकि हमारे द्वारा किया जाने वाला हर कर्म प्रभु के दरबार में लिखा जाता है।


उन्होंने कहा का सांसारिक मोह और स्वार्थ भाव ही इंसान के दुखों का जन्मदाता होता है अत: हमें चाहिए कि निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर मानुष देह के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सत्कर्म करें। संसार रूपी सागर को पार करने के लिए श्रद्धा और विश्वास रूपी चक्षुओं की जरूरत होती है अत: अपने धर्मशास्त्रों, धर्म गुरुओं के प्रति आस्था और विश्वास पैदा करें, उनके दर्शाए मार्ग पर चलने का प्रयास करें, तभी ऐसे आयोजन हमें हमारे लक्ष्य को प्राप्त करवाने में सहायक बन जाते हैं नहीं तो केवल मनोरंजन का विषय बन कर ही रह जाएंगे।  इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण-सुदामा मैत्री मेल से संबंधित कथाओं एवं भजनों के माध्यम से श्रोताओं में श्रीमद् भागवत महिमा प्रति उत्साह जगाते हुए यही प्रेरणा दी थी कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण व मनन करते हुए अपने जीवन में उनकी शिक्षाओं को अवश्य धारण करें।मंच का संचालन करते हुए राजन शारदा ने सभी का स्वागत किया और कहा कि संस्था का लक्ष्य धार्मिक, सामाजिक आयोजनों में वृद्धि लाकर युवाओं को उनमें सांझेदारी देना है ताकि आने वाली पीढ़ी हमारी धर्म-संस्कृति के प्रति उत्साहित हो सके। 


इस अवसर पर मुख्य मेहमान के तौर पर श्री अभिजय चोपड़ा (डायरैक्टर पंजाब केसरी ग्रुप) उपस्थित हुए जिनका संस्था द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान आरती वन्दनोपरान्त कार्यक्रम को विश्राम दिया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में अरुण कोहली, जितेन्द्र जॉनी, हरविन्द्र सिंह नागी, मनदीप सिंह, पवन तुंगल, पवन धवन, आशु महेन्द्रू, विक्की शर्मा, मीनू तुंगल, मुक्ता हांडा, मीरा कोहली, अंजू शर्मा, मीनू, कनिका, रितिका, कानन शारदा आदि और भी कइयों ने अपना-अपना सहयोग दिया। अंत में अटूट लंगर भी लगाया गया।

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