सफाई कर्मचारियों की हड़ताल खत्म, शहर होने लगा साफ

punjabkesari.in Tuesday, Mar 03, 2020 - 08:39 AM (IST)

जालंधर(खुराना): पिछले लगातार एक सप्ताह से चल रही सफाई कर्मचारियों की हड़ताल सोमवार को औपचारिक रूप से खत्म हो गई। इसके बाद नगर निगम के कर्मचारियों ने शहर को साफ करने का काम शुरू कर दिया। बाद दोपहर जहां निगम की गाड़ियों ने कई डंप स्थानों पर पड़ा कूड़ा उठाया वहीं सड़कों किनारे पड़े कूड़े को उठाने तथा सड़कों को साफ करने का काम भी शुरू कर दिया गया। 

गौरतलब है कि पिछले सोमवार से जारी हड़ताल के चलते शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लग गए थे और शहर की सड़कों तथा डंप स्थानों पर सैंकड़ों टन कूड़ा जमा हो गया था। पिछले दिनों हुई बरसात के कारण हालात और खराब हो गए थे इसलिए आज खत्म हुई हड़ताल से शहर निवासियों ने राहत की सांस ली है। 

इस हड़ताल को लेकर शहर में सीधे-सीधे रूप से दो गुट बन गए थे। एक गुट का नेतृत्व मेयर जगदीश राजा कर रहे थे जिन्होंने हड़ताल करने वाले कर्मियों की मांगों तथा उनसे बातचीत के विषयों को लेकर जहां सभी पार्षदों को विश्वास में लिया वहीं उन्होंने शहर के विधायकों से भी सम्पर्क बनाए रखा। वहीं दूसरी ओर हड़ताल करने वाले कर्मचारियों का नेतृत्व यूनियन नेता चंदन ग्रेवाल ने किया। इन्होंने हर रोज निगम परिसर के सामने धरना-प्रदर्शन व रोष मार्च का आयोजन करके मेयर व विधायकों के पुतले फूंके। 

इस हड़ताल को खत्म करवाने के लिए कई दिनों तक बैठकों का दौर चला। रविवार प्रात: इस मुद्दे पर लगातार 6 घंटे बैठक करने के बाद दोनों पक्षों के बीच जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए उन्हें निगम परिसर में इकट्ठा हुए सफाई कर्मचारियों के सामने मेयर राजा ने बोलकर सुनाया। इस दौरान हड़ताल खत्म करने की औपचारिक घोषणा कर दी गई। 

निगम की इन मांगों को भी यूनियन को मानना पड़ा 

  • ठेकेदार प्रथा के आधार पर रखे गए 160 सीवरमैन काम करते रहेंगे परंतु इस कांट्रैक्ट को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
  • नगर निगम के सभी कर्मचारियों की सर्विस बुकें कम्प्यूटरीकृत की जाएंगी। 
  • नगर निगम के सभी कर्मचारी अपनी-अपनी पोस्ट पर ही काम करेंगे। 
  • नगर निगम का कोई भी कर्मचारी बिना मंजूरी से नगर निगम की किसी जायदाद पर काबिज नहीं रहेगा। 
  • अगर पंजाब में किसी भी लोकल बॉडीज में बायोमैट्रिक हाजिरी होगी तो यहां भी सभी कर्मचारियों की ऐसी हाजिरी लगेगी।

समझौते में यूनियन भी कर रही अपनी जीत का दावा

  • पार्षदों व विधायकों ने फैसला लिया था कि यूनियन से होने वाली बैठक में निगम के कर्मचारी ही भाग लेंगे परंतु रविवार को समझौते हेतु हुई बैठक तथा हड़ताल खुलवाने संबंधी सारी बातचीत चंदन ग्रेवाल से ही हुई। 
  • 160 कर्मचारियों का यह कांट्रैक्ट जहां आगे रिन्यू नहीं होगा वहीं अब निगम 535 या 810 कर्मचारियों को भी ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से भर्ती नहीं कर पाएगा और उन्हें योग्य विधि से ही भर्ती किया जाएगा। अगर 160 कर्मियों के 80 दिन के कांट्रैक्ट के बीच सरकार का कोई फैसला डी.सी. रेट या पक्की भर्ती संबंधी आता है, तो वह तुरंत प्रभाव से लागू होगा। 
  • शनिवार और रविवार को काम करने के बदले में सफाई कर्मचारियों व सीवरमैनों को कोई वेतन नहीं मिलता था परंतु अब उनकी 13वीं तनख्वाह को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। 
  • नगर निगम के पास क्लर्कों, ड्राइवरों, रिकवरी स्टाफ तथा तहबाजारी व विज्ञापन शाखा जैसे विभागों में स्टाफ की अत्यंत कमी है, ऐसे में यह फैसला लागू ही नहीं हो पाएगा कि जो कर्मचारी जिस पोस्ट पर है वह वहीं काम करेगा।

सबने साथ दिया पर विपक्ष की भूमिका को लेकर मलाल : मेयर 
हड़ताल खुलने के बाद मेयर जगदीश राजा ने जहां सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के लिए चंदन ग्रेवाल के नेतृत्व वाली सफाई मजदूर यूनियन और पवन बाबा के नेतृत्व वाली दूसरी यूनियनों का आभार जताया, जिन्होंने शहर की सफाई में प्रशासन का सहयोग किया वहीं मेयर ने समस्त शहर निवासियों, पुलिस बल, विधायकों व पार्षदों का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस अवसर पर संयमशीलता दिखाई। मेयर ने कहा कि उन्हें इस मामले में विपक्षी पार्षदों की भूमिका का मलाल रहेगा, जिन्होंने हड़ताल संबंधी हुई 3 बैठकों में भाग नहीं लिया, हालांकि इन बैठकों में पार्षदों व वार्डों को पेश आ रही समस्याओं पर जिक्र होना था। विपक्षी पार्षद केवल हाऊस की आपात बैठक में आए। उसके बाद एक बैठक में सिर्फ पार्षद रौनी ही आए। मेयर ने कहा कि ऐसी बैठकों के लिए सभी 80 पार्षदों को मैसेज भेजे गए थे परंतु अकाली-भाजपा पार्षद आए ही नहीं इसलिए अब वह किस मुंह से अपने-अपने वार्ड की समस्या प्रशासन समक्ष रखेंगे। 

सफाई कर्मियों प्रति भी संवेदना रखें : चंदन 
हड़ताल को खोलने की घोषणा करने से पहले यूनियन के प्रधान चंदन ग्रेवाल ने भी सभी पक्षों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सत्तापक्ष के राजनीतिज्ञों तथा प्रशासन को भी सफाई कर्मचारियों प्रति संवेदना की भावना रखनी चाहिए जो अत्यंत विकट परिस्थितियों में सफाई और सीवरेज का काम करने को मजबूर हैं। हर सरकार इस वर्ग को दबाने का ही प्रयास करती है और चुनाव आते ही लम्बे-चौड़े वायदों का दौर शुरू हो जाता है और सत्ता प्राप्ति के बाद वे वायदे भूल जाते हैं। इनकी मांगों संबंधी जो मुद्दे 17-18 साल से लटक रहे थे, उन्हीं को लेकर यह नौबत आई है। 

Edited By

Sunita sarangal