सुंदर सिंह मजीठिया की जलियांवाला बाग कांड में शमूलियत थी : सुखजिन्द्र रंधावा

punjabkesari.in Sunday, Sep 15, 2019 - 01:12 PM (IST)

जालंधर(धवन): पंजाब के सहकारिता व जेल मंत्री सुखजिन्द्र सिंह रंधावा ने कहा कि विक्रमजीत सिंह मजीठिया व हरसिमरत कौर बादल को अपने दादा सुंदर सिंह मजीठिया के पापों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए, जिनकी 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग के खूनी कांड व श्री ननकाना साहिब में हुई घटना में सीधी शमूलियत थी। 

उन्होंने कहा कि इस वर्ष 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग के खूनी घटनाक्रम की एक शताब्दी पूरी हो गई तथा इस साल नवम्बर महीने में श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है, जिसके कारण यह समय है कि ये दोनों भाई-बहन अपने दादा के किए पापों की माफी मांगें। रंधावा ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से अपील की कि वह हरसिमरत व विक्रम के धार्मिक समागमों में शामिल होने पर तब तक पाबंदी लगाएं, जब तक वे श्री अकाल तख्त साहिब के आगे आकर माफी नहीं मांगते। 

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक घटनाओं से पता चलता है कि सुंदर सिंह मजीठिया दोनों घटनाओं में सीधे तौर पर शामिल थे तथा उन्होंने भारतीय क्रांतिकारियों के विरुद्ध अंग्रेजों के साथ खड़ा होने का फैसला किया था। जनरल डायर के नेतृत्व में टुकड़ी ने जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी थीं, जिसमें अनेक मासूम लोग मारे गए थे और 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे।रंधावा ने कहा कि कैंटरबरी (इंगलैंड) के आर्च बिशप जस्टिन वैल्बी, जिनका इंगलैंड में बहुत बड़ा रुतबा है, ने अपने अमृतसर दौरे के दौरान कहा था कि यह घटना बहुत शर्मनाक थी। उन्होंने कहा था कि वह स्वयं इस घटना के लिए शर्मिन्दा हैं तथा माफी के पात्र हैं। रंधावा ने कहा कि इतिहासकार वी.एन. दत्ता के अनुसार सुंदर सिंह मजीठिया भारत में अंग्रेजों के समर्थक थे तथा उन्होंने हमेशा क्रांतिकारियों की गतिविधियों का विरोध किया। सुंदर सिंह मजीठिया को जलियांवाला बाग कांड के बाद अंग्रेजों का साथ देने के लिए अंग्रेजों ने विशेष मान-सम्मान भी दिया था। 

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