एक साल में 2 सुलभ शौचालय ही बना पाया निगम

punjabkesari.in Monday, Oct 08, 2018 - 08:54 AM (IST)

जालंधर(खुराना): नगर निगम के अधिकारियों ने 2019 में होने जा रहे स्वच्छता सर्वेक्षण में नम्बर हासिल करने के लिए अब झूठ का सहारा लेना शुरू कर दिया है। पार्षद हाऊस की इसी सप्ताह होने जा रही बैठक में प्रस्ताव डाला गया है कि शहर में समुचित सार्वजनिक शौचालय मौजूद हैं इसलिए शहर को शौच मुक्त घोषित कर दिया जाए। मगर वास्तविकता कुछ और ही है। नगर निगम ने एक साल पहले शहर में 34 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण शुरू करवाया था, जिन्हें सुलभ कम्पनी द्वारा बनाया और संचालित किया जाना है। कई कारणों की वजह से यह प्रोजैक्ट अभी लटका हुआ है और केवल 2 शौचालय ही बनकर तैयार हुए हैं।

निगमाधिकारियों की मानें तो 10 के करीब शौचालयों का काम पूरा हो चुका है और 15 दिन के भीतर लगभग एक दर्जन शौचालय पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। इस हिसाब से अभी भी 22 शौचालय का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।  शहर निवासियों को सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा देने हेतु निगम ने 6 माह पहले 40 और सार्वजनिक शौचालय बनाने का फैसला लिया था। इस प्रस्ताव को जब चंडीगढ़ भेजा गया तो वहां फाइल कई महीने से लटकी हुई है। फाइल तो क्लीयर हो चुकी है परंतु अभी तक 40 शौचालयों की अनुमति चंडीगढ़ से प्राप्त न होने के कारण इनका काम शुरू नहीं हो सका। यह काम महीनों और लटक सकता है। ऐसी स्थिति में निगम किस प्रकार दावा कर सकता है कि शहर शौच मुक्त हो चुका है।

किशनपुरा क्षेत्र में बनाया गया शौचालय अभी तक नहीं हुआ चालू 
निगम द्वारा कई साल पहले किशनपुरा क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय बनाया गया था, जो चालू ही नहीं किया गया और वहां जाने वाले रास्ते पर इतना कूड़ा फैंक दिया गया कि अब वहां जाना मुमकिन नहीं। ऐसे शौचालयों की साफ-सफाई और इन्हें चालू करने की ओर निगम का बिल्कुल ध्यान नहीं, जबकि अधिकारियों को अपने प्राइवेट बाथरूम बिल्कुल साफ-सुथरे और नई टाइलों वाले चाहिए।

महिला अधिकारी के ‘वगार वाले बाथरूम’ की पूरे शहर में चर्चा

एक ओर नगर निगम साल भर में केवल 2 सुलभ शौचालयों का निर्माण पूरा कर पाया है और 32 शौचालय बन रहे हैं। 40 की फाइल चंडीगढ़ अटकी हुई है परंतु बीते दिनों जालंधर ट्रांसफर होकर आई एक महिला अधिकारी के ‘वगार वाले बाथरूम’ पूरे शहर में चर्चा का विषय बने हुए हैं।  सूत्रों के अनुसार इस महिला अधिकारी ने अपने अधीनस्थ अधिकारी पर वगार डाली कि उसकी सरकारी रिहायश में 2 बाथरूम बनवाकर दिए जाएं। यह वगार निगम के एक ठेकेदार को पड़ गई।

मामला तब बिगड़ा जब वह ठेकेदार शहर के एक विधायक का भांजा निकला। शायद निगमाधिकारियों और उक्त महिला अधिकारी को भी इसका पता नहीं था। ऐसे में निगम अफसरों ने उसे वगार का काम करने को कह दिया और ठेकेदार भी एक बाथरूम का काम करने महिला अधिकारी की कोठी पहुंच गया। हद तो तब हुई जब कोठी में बैठे गनमैन ने निगम ठेकेदार को पकड़ लिया और उसके स्कूटर की चाबी निकालकर मेन गेट बंद कर दिया। गनमैन ने ठेकेदार से कहा कि मैडम की कोठी का दूसरा बाथरूम भी शुरू करके जाओ। जैसे-तैसे निगम ठेकेदार कोठी के बाहर तो आ गया परंतु अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए उसने पूरे घटनाक्रम की पुलिस में रिपोर्ट कर दी। चर्चा तो यह भी है कि पुलिस की शरण में जाने हेतु उसके मामा (विधायक) ने उसकी मदद की।

पुलिस अधिकारियों ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी और बंधक बनाने वाले गनमैन से सम्पर्क किया। एक मौके पर तो पुलिस चौकी के अधिकारियों ने गनमैन को गिरफ्तारी तक की धमकी दे डाली। सारा घटनाक्रम राजनीतिक गलियारों और पुलिस थाने तक पहुंच जाने के बाद महिला अधिकारी को भी मामले की संगीनता समझ में आई। इसके बाद मामला निपटाने का प्रयास शुरू हो गया। इस कार्य में निगम कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा ने मुख्य भूमिका अदा की। कमिश्नर लैवल के अधिकारियों के बीच में आ जाने के बाद विधायक और मेयर जगदीश राजा ने मामले को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला लिया। इस बीच उक्त महिलाधिकारी ने कहा कि मामला इतना बड़ा नहीं है परंतु उसे तूल दिया जा रहा है। मामला सुलझ चुका है।

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