स्टेट विजीलैंस को रैफर हो सकता है स्वीपिंग मशीन स्कैंडल

punjabkesari.in Thursday, Jul 05, 2018 - 12:16 PM (IST)

जालंधर (खुराना): अवैध बिल्डिंगों पर शिकंजा कसने के बाद अब जालंधर नगर निगम में स्वीपिंग मशीन स्कैंडल घेरे में आ सकता है, क्योंकि जल्द ही यह स्कैंडल स्टेट विजीलैंस को रैफर होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि वर्तमान मेयर जगदीश राज राजा, जो अकाली-भाजपा कार्यकाल दौरान नेता विपक्ष थे, ने स्वीपिंग मशीनों के 30 करोड़ रुपए के स्कैंडल का जोरदार विरोध करते हुए इसे 25 करोड़ रुपए का घोटाला बताया था, परन्तु उस समय के मेयर सुनील ज्योति तथा उस समय के कमिश्रर गुरप्रीत सिंह खैहरा ने उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के दबाव में आकर विपक्ष की एक न सुनी और मनमाने तरीके से इस प्रोजैक्ट को चालू कर दिया।

मेयर जगदीश राजा के मुताबिक स्वीपिंग मशीनों के इस प्रोजैक्ट में कदम-कदम पर ऐसी गलतियां की गई हैं, जिनकी जांच करने पर पूरा घोटाला आसानी से समझ आ जाता है। मेयर राजा के मुताबिक नगर निगम के कमिश्रर व अधिकारियों ने सत्तापक्ष के दबाव में आकर न केवल पार्षद हाऊस के फैसले को ही बदल डाला बल्कि पंजाब सरकार से जिस टैंडर डाक्यूमैंट बारे मंजूरी ली गई थी उसके भी विपरीत जाकर कम्पनी से एग्रीमैंट कर दिया और पार्षद हाऊस तथा पंजाब सरकार को नीचा दिखाया। मेयर ने लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को पूरे घोटाले की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवा दी है। मेयर का कहना है कि 1 फरवरी 2016 की पार्षद हाऊस की बैठक में प्रस्ताव आया था कि कम्पनी रोजाना सफाई करेगी। बदले में उसे 50 कि.मी. की सफाई के महीने के 48.50 लाख रुपए मिलेंगे। उस समय 97,000 रुपए प्रति कि.मी. प्रतिमाह रेट तय हुआ था।

टैंडर डाक्यूमैंट की मंजूरी पंजाब सरकार से ली गई और जो टैंडर निगम ने समाचार पत्रों में छपने के लिए दिया उसमें भी कम्पनी को रोजाना सफाई 3 साल तक करने का साफ जिक्र था। घोटाला तब शुरू हुआ जब टैंडर खोलने से पहले निगमाधिकारियों ने प्री-बिड मीटिंग की, जो 8 फरवरी को हुई। इसमें 6 कम्पनियों ने भाग लिया और दो क्वालीफाई हुई। उस मीटिंग में लायंस कम्पनी ने प्रोजैक्ट की अवधि 3 से 5 साल करने और सफाई एक दिन छोड़ कर करने की शर्त मनवा ली और सफाई न करने की सूरत में कम्पनी पर लगने वाली पैनल्टी को भी 2000 रुपए की राशि तक सीमित करवा लिया। पार्षद हाऊस तथा पंजाब सरकार के फैसले को चंद अधिकारियों ने बदल डाला। मेयर व कमिश्रर ने भी इसे अप्रूवल दे दी।

टैंडरों की अंतिम तिथि 10 फरवरी थी परन्तु अधिकारियों ने एक कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए टैंडरों की तिथि आगे सरकवा दी। उस नोट में भी रोजाना सफाई का जिक्र आया और टैंडर की अवधि 23 फरवरी तक बढ़ा दी गई। 14 मार्च को लायंस कम्पनी का सिंगल टैंडर स्वीकार किया गया, जिस दौरान भी कम्पनी द्वारा रोजाना सफाई करने का जिक्र था और कमिश्रर ने इस टैंडर को एफ. एंड सी.सी. के हवाले कर दिया। एफ. एंड सी.सी. जैसी महत्वपूर्ण कमेटी ने भी जो प्रस्ताव पास किया, उसमें कम्पनी द्वारा रोजाना सफाई करने का जिक्र था परन्तु वहां रेटों को हटा कर 97,000 रुपए कर दिया गया। 12 अप्रैल 2016 को इस प्रोजैक्ट का जो वर्कआर्डर अलाट हुआ वहां मल्टीपल लेन पर प्रतिमाह प्रति किलोमीटर सफाई का जिक्र था और एग्रीमैंट में महीने का मतलब 30 दिन लिखा था। अब मेयर का आरोप है कि स्वीपिंग मशीन कम्पनी 15 दिन काम कर 30 दिन के पैसे ले रही है, इसलिए उसकी आधी पेमैंट अवैध है। ।

स्टीयरिंग कमेटी भी दोषी साबित होगी
निगम द्वारा स्वीपिंग मशीन कम्पनी के कामकाज की देखरेख हेतु स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया परन्तु यह कमेटी निचले अधिकारियों की रिपोर्टों के आधार पर ही कम्पनी के कामों को वैरीफाई करके इसकी पेमैंट पास करती रही। अगर स्वीपिंग मशीन कम्पनी के काम में 7 करोड़ का घोटाला साबित होता है तो सारी बात स्टीयरिंग कमेटी पर आएगी, जिसमें निगम के बड़े अधिकारी शामिल हैं।

लोकल आडिट ने घोटाले को उजागर किया
हाल ही में मेयर जगदीश राजा ने डिप्टी कंट्रोलर लोकल आडिट से स्वीपिंग मशीनों के पूरे रिकार्ड व हो रही पेमैंट की रिपोर्ट तलब की जिसमें लोकल आडिट ने न केवल घोटाले को उजागर किया है, बल्कि कम्पनी की पेमैंट रोकने की पुष्टि भी की। आडिट की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि पार्षद हाऊस के प्रस्ताव को चेंज नहीं किया जा सकता। आडिट की रिपोर्ट में कई ऐसे प्वाइंट हैं जो स्वीपिंग मशीन कम्पनी को आने वाले समय में परेशानी में डाल सकते हैं। जगदीश राजा ने स्पष्ट किया कि कम्पनी अगर खुद काम बंद करती है तो उसे जुर्माना अदा करना होगा। 

Anjna