क्या 100 रुपए मांगने पर अाप भी बूढ़े मां-बाप को एेसे ही देते हैं जवाब
punjabkesari.in Wednesday, Jan 27, 2016 - 04:40 PM (IST)

जालंधरः जिस मां-बाप की अंगुली पकड़ चलना सिखा अाज उसी को जबाव देते वक्त हमारी जबान क्यों नहीं कटती। रुपया मांगने पर ढेर सारी चीजें लाने वाले मां-बाप अाज क्यों मोहताज हो गए हैं ये सोचा है कभी।
सोचना भी क्यों, हम बड़े जो हो चुके हैं। कमाने लग गए हैं इसलिए तो बूढ़े मां- बाप जब पैसे मांगते है तो बेटा कहता है। अापने पैसों का क्या करना हैं,सारी चीजें तो अापको घर बैठे बिठाए मिल जाती हैं।
माना कि अाज मां-बाप बूढ़े हो गए है लेकिन बेटे के प्रति उनकी उम्मीद अभी जवां है। जब वो पैसे कमाते थे तो अकसर बच्चों के बारे में सोचते थे परतुं अाज बेटा उनकी उम्मीद क्यों तोड़ रहा है। घर पर फ्री बैठ कर अगर वो अापसे पैसों की मांग करते हैं तो वो उनका हक है।
भगवान की कृपा से माता-पिता दुनिया का सबसे बड़ा तोहफा होते है । बहुत खुशनसीब हैं वह जिनकों इन दोनों का स्नेह मिलता है। हमारे माता-पिता हमारी सामाजिक व्यवस्था के स्तंभ हैं, पर अफ़सोस आज यह स्तंभ गिरते जा रहे हैं ।
मां-बाप उस समय हमारी हर ज़रूरत का ध्यान रखते हैं, जबकि हमें इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती थी लेकिन जब उनको उसी स्नेह की आवश्यकता पड़ी तो क्यों हमने हाथ खींच लिए। अाज जब वे हमसे किसी चीज की मांग करते हैं तो हम अपने बच्चों के खर्चे गिनाने शुरु कर देते है। कई बच्चे तो एेसे हैं जो उन्हें वृद्ध आश्रमों में छोड़ अाते हैं। हमारे एेसे व्यवहार से उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच कर घर के बुज़ुर्ग अपने आप को अलग-थलग महसूस करने लगते हैं। संवेदनहीनता के इस दौर में अपने ही इनकी भावनाओं को समझने में नाकाम होने लगते हैं।
दुत्कार नहीं मां-बाप को करें प्यार
1.अगर अाप अपने मां-बाप का अाप पर की गई मेहनत का कर्ज चुकाना चाहते हैं तो उनकी इच्छाअों के साथ-साथ उनकी जरुरतों को भी पुरा करें।
2.अपने बच्चों के साथ-साथ उनकों भी प्यार करें।
3.उन्हें बोझ न समझें।
4.उन्हें वृद्ध अाश्रम न भेजे।