विजीलैंस की अधूरी जांच से उठने लगे सवाल!

punjabkesari.in Tuesday, Apr 17, 2018 - 01:20 PM (IST)

जालंधर (बुलंद): विजीलैंस विभाग इन दिनों सवालों के घेरे में है। सवाल ट्रांसपोर्ट विभाग से जुड़े सूत्र उठा रहे हैं। बिना किसी शक ट्रांसपोर्ट विभाग में कई प्राइवेट एजैंट और प्राइवेट कर्मचारी ही काम कर रहे हैं पर इन सब पर सरकारी अधिकारियों व सरकारी बाबुओं की नजरसानी रहती है। विजीलैंस विभाग द्वारा 29 दिसम्बर को जो रेड ट्रांसपोर्ट विभाग में की गई थी, उसमें कोई गिरफ्तारी नहीं की गई पर गत 27 मार्च को जब वाहन टैस्टिंग ट्रैक पर रेड  की गई तो एक प्राइवेट एजैंट को और उसकी पूछताछ के बाद प्राइवेट कम्पनी के 2 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया।

क्यों नहीं पकड़ा कोई सरकारी बाबू
अब विजीलैंस विभाग की कार्रवाई पर ट्रांसपोर्ट विभाग में चर्चा चल रही है कि क्या भ्रष्टाचार के लिए सिर्फ प्राइवेट एजैंट या प्राइवेट कर्मी ही जिम्मेवार हैं। मामले बारे विभाग में काम करने वाले कुछ प्राइवेट कर्मियों ने बिना नाम प्रकाशित करने पर बताया कि अगर वाकई विभाग में भ्रष्टाचार है तो उसका गढ़ तहसील काम्प्लैक्स में बना ट्रांसपोर्ट ऑफिस है। जहां सरकारी और प्राइवेट कर्मी मोटे पैसे बनाते हैं। यहां 4 महीने रेड होने को है पर नतीजा जीरो है। हैरानी की बात है कि ट्रासंपोर्ट ऑफिस में रेड से विजीलैंस ने एक भी कर्मचारी गिरफ्तार नहीं किया और गिरफ्तार भी किए तो लाइसैंस की टैस्टिंग के नाम पर पैसे लेने वाले छोटे से एजैंट और प्राइवेट कम्पनी के कर्मचारियों को। कर्मचारियों ने बताया कि ट्रांसपोर्ट विभाग में हर एक कदम पर भ्रष्टाचार है पर यह भी सच है कि इस विभाग में काम करने वाला सरकार या प्राइवेट गरीब से गरीब कर्मचारी भी करोड़पति है। शहर के कई बड़े एजैंट रोजाना लाखों रुपए खर्च करके अपना निजी काम करवाते हैं। ऐसे एजैंटों और सरकारी बाबुओं पर विजीलैंस का शिकंजा नहीं कसा गया। इतना ही नहीं रेड के पहले दिन से ही कुछ कर्मचारी सरेआम कहते सुने जा रहे हैं कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। 29 दिसम्बर की रेड में विजीलैंस ने कई कम्प्यूटर व फाइलें जब्त की थीं पर उनसे कोई नतीजा नहीं सामने आ सका। ऐसे में विजीलैंस की कार्रवाई पर सिर्फ प्राइवेट छोटे एजैंटों तक सीमित रहने के कारण से सवाल उठ रहे हैं।

अगर तबादले हो गए तो जांच ठंडे बस्ते में जाएगी
जानकारों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में पुलिस विभाग में तबादले हो सकते हैं। और हो सकता है कि विजीलैंस विभाग में भी तबादले हों। अगर ऐसा होता है तो 4 महीने पहले जो विजीलैंस ने रेड की थी जिसका आज तक कोई बड़ा सार्थक नतीजा सामने नहीं आ पाया। अगर तबादले हो गए और नए अधिकारी आकर विजीलैंस विभाग में ज्वाइन करते हैं तो वह कैसे इस सारे केस की निष्पक्ष जांच करवा सकेंगे। जानकारों का कहना है कि इस सारे केस से एक बात तो सामने आती है कि अमीर करोड़पति सरकारी बाबुओं या अधिकारियों पर कोई कार्रवाई न कभी हुई है और न होनी है। न ही कार्रवाई उन करोड़पति एजैंटों पर होनी है जो बड़ी ट्रांसपोर्ट कम्पनियों का काम पकड़ते हैं और रोजाना ट्रांसपोर्ट विभाग में अपना हर सही गलत काम 2 मिनट में करवाकर चले जाते हैं। 


विजीलैंस कर्मी डाल रहे हैं वगारें?
विभाग के सूत्रों ने बताया कि विजीलैंस की सख्ती के बाद से ही खुद विजीलैंस कर्मियों ने विभाग में वगारें डालने का ऐसा दौर चलाया जो थमने का नाम नहीं ले रहा। कोई अपने रिश्तेदारों का एक दिन में लॄनग लाइसैंस ले रहा है, कोई 0 से 10 तक के फैंसी नंबरों को अपने निजी वाहनों पर लगवा रहा है और सरकारी फीस तक नहीं दी जा रही। एक विजीलैंस कर्मचारी ने तो ट्रैक पर आकर साफ कहा कि हमसे सरकारी फीस मांगने का नतीजा ही आप भुगत रहे हो और आगे भी भुगतोगे। 

जनता का काम लटका
जानकारों की मानें तो विजीलैंस रेड के बाद से ही जनता की परेशानी बढ़ी है। पहले 2 महीने तो लोगों का ट्रांसपोर्ट विभाग में कोई काम ही नहीं हो पाया क्योंकि काफी रिकार्ड विजीलैंस जब्त करके ले गई थी। उसके बाद गत माह फिर रेड हुई और विभागीय कर्मचारियों में दहशत है कि कोई काम की जिम्मेवारी ही नहीं ले रहा। लोगों को 3-3 महीने तक आर.सी. नहीं मिल रही। 

केस की जांच जारी, होगी बड़ी कार्रवाई : ढिल्लों
एस.एस.पी. विजीलैंस दलजिंद्र सिंह ढिल्लों का कहना है कि विजीलैंस की जांच जारी है। भविष्य में बड़ी कार्रवाई होगी। विजीलैंस कर्मचारियों द्वारा वगार डालने की झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं अगर इनमें कोई सच्चार्इ है तो उसकी शिकायत उन्हें की जाए। उन्होंने कहा कि तबादले तो होते रहते हैं, उससे जांच पर कोई असर नहीं होगा।

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