कांग्रेस के लिए चुनावी मुद्दा बनेगी नई वाटर मीटर पॉलिसी
punjabkesari.in Monday, Dec 16, 2019 - 11:14 AM (IST)
जालंधर(खुराना): पंजाब सरकार ने पूरे राज्य में लागू की जाने वाली वाटर मीटर पॉलिसी को तैयार कर लिया है, जिसे प्रदेश के ज्यादातर नगर निगमों ने अपने पार्षद हाऊस से पास भी करवा लिया है। जालंधर नगर निगम ने भी गत दिनों नई वाटर मीटर पॉलिसी के प्रस्ताव को बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया परंतु पॉलिसी में फेरबदल को लेकर एक कमेटी गठित कर दी गई, जो इस पॉलिसी के कुछ प्रावधानों में फेरबदल का प्रयास कर रही है।
बड़ी बात यह है कि नई वाटर मीटर पॉलिसी पूरे पंजाब में एक जैसी लागू होगी परंतु हर नगर निगम अपनी ओर से सुझाव सरकार को भेज सकता है। जालंधर निगम ने भी अपनी ओर से सुझाव तैयार करने का काम शुरू कर रखा है, जिसके तहत हर उपभोक्ता को कुछ सीमा तक पानी की फ्री सप्लाई करने का भी सुझाव आया है। इस मामले में बनी सब-कमेटी फिक्स यूजर चार्ज को खत्म करने पर भी विचार कर रही है परंतु माना जा रहा है कि पंजाब सरकार द्वारा तैयार की गई नई वाटर मीटर पॉलिसी में कई खामियां हैं जिस कारण आने वाले समय में दुविधा उत्पन्न हो सकती है।
देखा जाए तो नई वाटर मीटर पॉलिसी सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के लिए चुनावी मुद्दा बनने जा रही है क्योंकि इस सरकार के 3 साल पूरे होने को हैं और बाकी बचते 2 सालों दौरान इस पॉलिसी के कई प्रावधान सरकार को लागू करने ही होंगे। अगले वित्त वर्ष से उपभोक्ता को जो भी वाटर कनैक्शन मिलेगा उस पर वाटर मीटर लगाना ही होगा। अब देखने वाली बात है कि अगर लोगों को वाटर मीटर पॉलिसी के तहत फिक्स किए गए रेट ज्यादा लगते हैं तो कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों में इसका नुक्सान उठाना पड़ सकता है। अब यह देखने वाली बात होगी कि चुनावी नुक्सान से बचने के लिए पॉलिसी की दरों को कितना घटाया जाता है। 5 मरले तक के घरों से फ्री पानी की सुविधा वापस लेने का मुद्दा भी अगर चुनावी मुद्दा बना तो कांग्रेस पार्टी को जवाब देना कठिन हो जाएगा।
सर्फेस वाटर के लिए जरूरी है पॉलिसी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट जहां पंजाब में वाटर मीटर पॉलिसी को अनिवार्य कर चुका है वहीं अरबों रुपए के सर्फेस वाटर प्रोजैक्ट के लिए भी यह पॉलिसी जरूरी है। पंजाब सरकार जालंधर निगम के लिए करीब हजार करोड़ रुपए का ऋण एशियन डेवलप्मैंट बैंक से लेने जा रही है, जिसके तहत नहरी पानी को जालंधर तक लाकर इसे पीने योग्य बनाया जाएगा व शहर में सप्लाई किया जाएगा। बैंक की पहली शर्त ही यह है कि शहर के सभी घरों में वाटर मीटर अवश्य लगे होने चाहिएं। अब देखना है कि इन मामलों से सरकार कैसे निपटती है।
अकाली-भाजपा ने पा लिया था छुटकारा
पिछली सरकार के समय भी वाटर मीटर पॉलिसी का शोर मचा था परंतु तब अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के करीब 2 साल ही बाकी बचते थे। चूंकि वाटर मीटर पॉलिसी के कारण हजारों शहरी उपभोक्ताओं पर किसी न किसी प्रकार का आर्थिक बोझ पड़ना तय है इसलिए उस सरकार ने चुनावी नुक्सान को भांप लिया था और वाटर मीटर पॉलिसी को अगले सालों के लिए लंबित करके छुटकारा पा लिया था। अब देखने वाली बात होगी कि विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस इस पॉलिसी को लागू करती है या छुटकारा पाने का कोई न कोई प्रयास किया जाता है।