ट्रैक पर मोबाइल फोन और Whatsapp बने काली कमाई का जरिया

punjabkesari.in Monday, Dec 17, 2018 - 04:05 PM (IST)

जालंधर(अमित): आज के इस आधुनिक युग में जहां एक तरफ तकनीक का इस्तेमाल करके आम जनता को तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग तकनीकों का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए करते हुए भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ चुके हैं। 

पंजाब रोडवेज की वर्कशॉप के साथ बने आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर काम करने वाले निजी कम्पनी स्मार्ट चिप के कर्मचारियों के लिए मोबाइल फोन और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म काली कमाई का जरिया बन चुके हैं। निजी कम्पनी के कर्मचारी बेरोक-टोक के एजैंटों के काम करके हर महीने लाखों रुपए के वारे-न्यारे कर रहे हैं। बड़ी हैरानी वाली बात है कि उच्चस्तर तक मामले की जानकारी होने के बावजूद आज तक किसी भी अधिकारी ने इस तरफ ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा है। अधिकारियों के इसी उदासीन रवैये के चलते परिवहन विभाग व प्रदेश सरकार की साख को लगातार धक्का लग रहा है, मगर अधिकारी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं। 

ऐसे दिया जा रहा जालसाजी को अंजाम
प्राप्त जानकारी के अनुसार ट्रैक पर काम करने वाले कुछ कर्मचारियों के शहर के मशहूर एजैंटों के साथ सांठ-गांठ है जिसके चलते एजैंट खुद ट्रैक पर जाते ही नहीं हैं। केवल अपने ग्राहकों की सारी डिटेल और उनके दस्तावेज निजी कम्पनी के कर्मचारी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पर्सनल मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप कर दिए जाते हैं। कर्मचारी एजैंटों को वी.आई.पी. ट्रीटमैंट देते हुए अपने फोन से ही इंटरनैट की मदद से सारे दस्तावेज पूरे करके ऑनलाइन आवेदन भरते हैं और उसके बाद खुद ही फीस आदि कटवाने के काम को भी अंजाम दे रहे हैं। काम पूरा करने के बाद निजी कंपनी के कर्मचारी एजैंट के मोबाइल पर व्हाट्स एप करके आवेदक को फोटो खिंचवाने के लिए भेजने का मैसेज भेज देते हैं। कुछ कर्मचारी जिन्हें किसी कानून का कोई डर नहीं है, सरेआम एजैंटों के साथ अपने मोबाइल फोन पर दिन में कई-कई बार बातें करते हैं और एजैंटों के हर जायज-नाजायज काम को पूरा करवाते हैं। पूर्व में सामने आए बहुत से मामले जिनमें बिना आवेदक के ही लाइसैंस बनाने की बात सामने आई थी  उसमें भी आवेदक की फोटो व्हाट्स एप पर मंगवाकर उसे फोटोशॉप की मदद से ऑनलाइन आवेदन में लगाकर जालसाजी को अंजाम दिया गया था। 

कॉफी कैफे-डे, फ्लाईओवर के नीचे व अन्य जगहों पर होता है पैसों का लेन-देन
एजैंट अपना काम करवाने के बाद पैसे देने के लिए भी ट्रैक पर नहीं जाते, बल्कि पैसों का सारा लेन-देन किसी नजदीकी कॉफी कैफे-डे, बस स्टैंड के सामने बने फ्लाईओवर के नीचे या फिर पास ही किसी रैस्टोरैंट या खाने-पीने की रेहड़ी पर ही किया जाता है। 

बार-बार कहने के बावजूद स्टाफ नहीं पहनता आई.डी. कार्ड
 ट्रैक पर काम करने वाले समूह निजी कम्पनी के कर्मचारियों को दर्जनों बार अपने-अपने आई.डी. कार्ड पहनने संबंधी मौखिक एवं लिखित आदेश जारी किए जा चुके हैं, मगर किसी चिकने घड़े की भांति हो चुके कर्मचारी आई.डी. कार्ड पहनना जरूरी ही नहीं समझते। इसका महत्वपूर्ण कारण है खुद की पहचान को छिपाना, क्योंकि ट्रैक पर बड़ी गिनती में अवैध रूप से काम करने वाले लोग भी मंडराते रहते हैं जिन्हें निजी कम्पनी के कर्मचारियों और एजैंटों का पूरा संरक्षण प्राप्त है। इसके साथ ही विजीलैंस और मीडिया से भी अपनी पहचान छिपाने की नाकाम कोशिश में आई.डी. कार्ड को दरकिनार किया जा रहा है।


स्टाफ के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाने से खुल सकते हैं कई राज
अगर अधिकारी इस मामले में सख्ती बरतते हुए निजी कम्पनी के स्टाफ के मोबाइल फोन्स की कॉल डिटेल निकलवाते हैं तो कई बड़े राज खुल सकते हैं, क्योंकि स्टाफ के एजैंटों के साथ-साथ कुछ अन्य लोगों के साथ की जाने वाली रूटीन बातचीत का भी खुलासा हो सकता है।  

पूर्व में मोबाइल पर लगाई गई थी रोक, नहीं हुआ सख्ती से पालन
कुछ समय पूर्व तत्कालीन अधिकारी की तरफ से ट्रैक पर आने वाले कर्मचारियों द्वारा निजी मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पूर्ण तौर पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया था, मगर उक्त अधिकारी के तबादले के पश्चात आज तक इस आदेश का कभी भी सख्ती से पालन ही नहीं किया गया। इस कारण निजी कम्पनी के कर्मचारी हर गलत काम को अंजाम देकर ट्रैक पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं।

मोबाइल पर काम करने से नजर में नहीं आते एजैंट
सारा काम मोबाइल की मदद से करने की वजह से बहुत से एजैंट अधिकारियों और मीडिया की नजरों में ही नहीं आते। ऐसे एजैंट ट्रैक पर आते ही नहीं, क्योंकि उनका सारा काम केवल फोन की मदद से हो जाता है और वे बड़े आराम से अपने कारोबार को चलाते हुए मोटी कमाई करते रहते हैं। 

मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने पर होगा विचार : सैक्रेटरी आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. कंवलजीत सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि पूर्व में इस तरह का कोई आदेश जारी किया गया था, मगर वह भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगाने के उद्देश्य से मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने पर जरूर विचार करेंगे। जहां तक आई.डी. कार्ड न पहनने का सवाल है, इसके लिए जल्द आदेश जारी किए जाएंगे व उनका पालन भी यकीनी बनाया जाएगा।

हर कर्मचारी ने रखे हैं कम-से-कम 2 नंबर
ट्रैक पर काम करने वाले लगभग हर कर्मचारी के पास कम-से-कम २ मोबाइल नंबर हैं जिनमें से एक नंबर उसके द्वारा कम्पनी और अधिकारियों को दिया गया है, जबकि दूसरा नंबर केवल एजैंटों के साथ बातचीत करने और उनके काम करने के लिए रखा गया है। कई कर्मचारियों के पास 2 से भी अधिक नंबर चल रहे हैं जिन्हें आर.टी.ए. दफ्तर में सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

     

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