नेताओं को क्यों मिलता है स्पैशल ट्रीटमैंट?

punjabkesari.in Tuesday, May 29, 2018 - 09:36 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): एक ओर ऐसा कहा जाता है कि कानून सबके लिए एक है लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो नेताओं और बड़े लोगों को कानून के नाम पर स्पैशल ट्रीटमैंट दिया जाना आम बात हो गई है। ऐसा ही नेता बृज भूपिन्द्र सिंह लाली के मामले में हुआ होगा जो अपना रिवाल्वर लेकर मतदान केंद्र में पहुंच गए। कानूनी माहिरों का कहना है कि इस मामले में सीधे तौर पर पुलिस प्रशासन व चुनावी अमले की लापरवाही मानी जानी चाहिए।

जानकारों की मानें तो चुनावों से पहले सारे इलाके के लोगों का असला पुलिस थानों में जमा करवाया जाता है पर ऐसे नियम भी आम लोगों पर ही लागू किए जाते हैं। अगर कानून सबके लिए समान है तो फिर सवाल उठता है कि बृज भूपिंद्र लाली का असला जमा क्यों नहीं करवाया गया। मतदान केंद्र के आसपास इतनी कड़ी सुरक्षा रहती है, कैसे सुरक्षा की कई परतें पार करके लाली अपना रिवाल्वर मतदान केंद्र तक ले गए। कानूनी जानकारों की राय पर जहां लाली पर केस दर्ज किया गया है, वहीं उन सारे सुरक्षा कर्मियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिनकी सुरक्षा को चीरते हुए लाली अपना असला मतदान केंद्र तक ले जा सके। अगर पहले चरण पर ही लाली की तलाशी सही तरीके से ली होती तो मतदान केंद्र तक उनकी रिवाल्वर पहुंच ही नहीं पाती।


एस.एस.पी. और डी.सी. भी जवाबदेह : लाडी शेरोवालिया
उधर सारे मामले बारे कांग्रेस के शाहकोट चुनाव के उम्मीदवार लाडी शेरोवालिया ने कहा कि इस सुरक्षा में चूक के लिए एस.एस.पी. देहाती व डी.सी. जालंधर की भी जवाबदेही बनती है। एक ओर अकाली दल वाले कांग्रेस पर धक्केशाही करने के आरोप लगाते हैं पर अगर कांग्रेस धक्केशाही कर रही होती तो अकाली नेता रिवाल्वर लेकर मतदान केंद्र में नहीं घुस पाता। न उस मतदान केंद्र में लाली की वोट थी, न वह पोङ्क्षलग एजैंट था और न ही उसकी कोई इलैक्शन ड्यूटी थी तो सवाल उठता है, वह मतदान केंद्र में गया ही कैसे। इस सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

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