निगम की मीटिंग में ही रो पड़ी महिला बिल्डिंग इंस्पैक्टर

punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 01:04 PM (IST)

जालंधर(खुराना): शहर में अवैध रूप से बनने वाली बिल्डिंगों में से 50 प्रतिशत बिल्डिंगें ऐसी होती हैं जिनके पीछे कोई न कोई राजनीतिक प्रैशर होता है। कई बार इस मामले में राजनीतिक प्रैशर इतना हावी हो जाता है कि निगम कर्मचारी उसे झेल नहीं पाते और तब मामला बिगड़ जाता है। ऐसा ही एक मामला गत दिवस सामने आया जब एक कांग्रेसी पार्षद द्वारा अवैध बिल्डिंगों के मामले में डाले जा रहे प्रैशर को न झेलते हुए एक महिला बिल्डिंग इंस्पैक्टर निगम में हो रही मीटिंग दौरान ही रो पड़ी।


उक्त महिला बिल्डिंग इंस्पैक्टर का कहना था कि कांग्रेसी पार्षद महोदय उनको टैलीफोन करते समय सही भाषा का इस्तेमाल नहीं करते इसलिए उन्होंने उनका फोन सुनना सही नहीं समझा।गौरतलब है कि छावनी विधानसभा क्षेत्र के वार्डों के तहत आते एक कांग्रेसी पार्षद, जो कालोनियां काटने के कारोबार में संलिप्त हैं, ने गत दिवस मेयर जगदीश राजा को शिकायत लगाई थी कि उनके वार्ड हेतु तैनात महिला बिल्डिंग इंस्पैक्टर उनका फोन नहीं उठाती। मेयर के हस्तक्षेप के बाद निगम में ही एक बैठक हुई, जिसमें बिल्डिंग विभाग के उच्चाधिकारियों के अलावा उक्त महिला इंस्पैक्टर भी शामिल थी। अपनी स्थिति स्पष्ट करते समय वह महिला बिल्डिंग इंस्पैक्टर रो पड़ी। बाद में अन्य अधिकारियों ने यह कह कर मामले को शांत किया कि अगर पार्षद महोदय को कोई दिक्कत है तो वह बाकी अधिकारियों को फोन करके जानकारी दे सकते हैं। पता चला है कि निगम में ही तैनात दूसरी महिला इंस्पैक्टर ने यह कह कर अपने कड़े तेवर दिखाए कि उसे कम न आंका जाए। वह रोने वाली नहीं बल्कि मुकाबला करने वाली है। निगम में इस घटना की खासी चर्चा हो रही है। 


इतनी आसान नहीं है शहर की जोनिंग
हाईकोर्ट के निर्देशों पर नगर निगम ने अवैध बिल्डिंगों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर रखी है जिसके चलते निगम ने 7 नवम्बर, 15 नवम्बर और 28 नवम्बर को डैमोलेशन अभियान चला कर 6 कालोनियों को तोड़ा तथा 22 सम्पत्तियों को सील किया, जबकि 10 जगह डिच मशीन चलाई गई। इस अभियान हेतु निगम ने एन्फोर्समैंट टीम बना ली है जो अगले सप्ताह फिर एक्शन करने जा रही है। निगम के इस अभियान से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में हड़कम्प मचा हुआ है और शहर के विधायकों ने अवैध बिल्डिंगों को कार्रवाई से बचाने के लिए स्थानीय स्तर पर जोनिंग का काम शुरू करवा दिया है।विधायकों के निर्देश पर चाहे निगम में जोङ्क्षनग प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है परंतु माना जा रहा है कि यह इतना आसान कार्य नहीं है क्योंकि इसके लिए सभी सड़कों व गलियों का सर्वे करके मैप बनाना होगा, उनकी पैमाइश करनी होगी, फायर सेफ्टी नियम भी देखने होंगे। सबसे बड़ी बाधा मास्टर प्लान में चेंज करने की रहेगी जिसके लिए कैबिनेट से मंजूरी आवश्यक है। इन सभी बाधाओं को देखते हुए जोनिंग प्रक्रियाओं को लम्बा वक्त लग सकता है क्योंकि निगम के पास स्टाफ की पहले से ही कमी है। 


कोर्ट केसों की आड़ में कई अवैध बिल्डिंगों को बचा रहा निगम
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में शहर की 448 अवैध बिल्डिंगों बारे याचिका दायर है वहीं दूसरी ओर जालंधर में 11 ऐसी बड़ी बिल्डिंगें हैं जो बिल्डिंग बायलाज के उल्लंघन के आरोप में अवैध घोषित हैं परंतु इनसे संबंधित मामले स्थानीय अदालतों में चल रहे हैं।एक ओर जहां हाईकोर्ट ने शहर की सभी अवैध बिल्डिंगों पर नियमों के अनुसार कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दे रखे हैं वहीं निगम पर आरोप लग रहा है कि वह कोर्ट केसों की आड़ में 11 बिल्डिंगों को बचा रहा है। इनमें 2 बिल्डिंगें ऐसी हैं जिनके मामले हाईकोर्ट तक पहुंच गए हैं जबकि 9 बिल्डिंगों के केस स्थानीय अदालत में चल रहे हैं।

हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले सिमरनजीत सिंह का आरोप है कि निगम स्थानीय अदालतों में सही तरीके से पैरवी नहीं करता जिस कारण केस सालों-साल लटके रहते हैं और अवैध बिल्डिंगों को फायदा मिलता रहता है। उन्होंने कहा कि इस संबंधी हाईकोर्ट को शिकायत लगाई जाएगी और मांग की जाएगी कि स्थानीय अदालतों के केस जल्द निपटाए जाएं।सिमरनजीत सिंह का आरोप है कि अवैध बिल्डिंगों के मामले में निगम हाईकोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं कर रहा। एक अन्य केस में हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि मॉडल टाऊन में चल रही लीकर शॉप व बार वाली बिल्डिंग की सील खोली जाए और बिल्डिंग को नियमों के अनुसार ठीक करवाया जाए। उनका आरोप है कि अभी भी वहां पार्किंग के स्थान पर रैस्टोरैंट/बार चल रही है। एक अन्य मामले में मॉडल टाऊन की ही एक अवैध बिल्डिंग में बैंक चल रहा है जबकि किसी विवादित बिल्डिंग में बैंक नहीं खुल सकता।

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