बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह वाहनों में ठूंस कर लाया जा रहा स्कूल

punjabkesari.in Tuesday, Mar 26, 2019 - 08:14 AM (IST)

फगवाड़ा (जलोटा): स्कूली ट्रांसपोर्ट संबंधी माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों की पालना करवाने को लेकर लोकल फगवाड़ा प्रशासन व पुलिस तंत्र बेहद असंवेदनशील रवैया अपनाए हुए है। ऐसा क्यों है यह अपने आप में बड़ा सवाल है। लेकिन कभी स्कूली बसों के लिए बिना तजुर्बे के रखे जा रहे चालकों की असावधानियों के कारण हो रहे हादसों, कभी स्कूली ट्रांसपोर्ट में रही भारी खामियों के कारण फगवाड़ा में पूर्व में घटे अनेक सड़क हादसों के बाद भी शायद सरकारी अमले व पुलिस ने कोई सीख नहीं ली है।

परिणाम स्वरूप फगवाड़ा में आज भी कई स्कूलों को जाते स्कूली बच्चों को संबंधित वाहन चालक भेड़-बकरियों की भांति स्कूलों से घर व घरों से स्कूल लेकर जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त अधिकतर बसों में हैल्पर मौजूद नहीं रहते जिससे बच्चे हर समय मौत के मुंह में रहते हैं। कानून के अनुसार स्कूल के बच्चों के लिए चलाई जा रही बसों का रंग पीला हो, वाहनों में स्पीड गवर्नर लगा हो, तजुर्बेकार ड्राइवर वर्दी पहने हो एवं उस पर नेम प्लेट लगी हो, हैल्पर वर्दी पहने हुए हो व वाहन के बाहर मोटे लोहे के रॉड लगे होने चाहिएं। इसके अलावा हर बस पर स्कूल का नाम व प्रबंधक का फोन नम्बर लिखा हो। बस में प्राथमिक चिकित्सा का प्रबंधक हो तथा स्कूल बस की स्पीड 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक न हो। स्कूल बस खस्ताहाल न हो तथा उसकी सर्विस समय-समय पर हो।

लेकिन फगवाड़ा में दिलचस्प पहलू यह बना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्कूली ट्रांसपोर्ट संबंधी तय किए जा चुके उक्त मानकों में से अधिकांश मानकों की सरकारी तंत्र पालना ही नहीं करवा पा रहा है। जारी घटनाक्रम के चलते जिला कपूरथला का डी.टी.ओ. कार्यालय भी चुप्पी साधे हुए है। ऐसे में सवाल यह है कि यदि फगवाड़ा में दुर्घटना हो जाए तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्या पंजाब सरकार जनहित में इस ओर ध्यान देगी।

Anjna