विकास कार्यों के लिए आई सरकारी ग्रांट से 18.62 लाख रुपए का गबन

punjabkesari.in Monday, Dec 17, 2018 - 11:09 AM (IST)

कपूरथला (भूषण): गांव में चल रहे विकास कार्यों के लिए आई सरकारी ग्रांट में से करीब 18.62 लाख रुपए का गबन करने के मामले में थाना सुभानपुर कपूरथला की पुलिस ने एक पंचायत सचिव व एक पूर्व सरपंच के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इस बारे में डी.सी. कपूरथला मोहम्मद तैयब को शिकायत मिली थी कि गांव डोगरावाल में गंदे पानी के निकासी, गली नालियों को पक्का करना, शौचालय बनाना के लिए आई सरकारी ग्रांट में भारी हेरा-फेरी की गई है। जिसको लेकर डी.सी. के आदेशों पर डी.डी.पी.ओ. को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। जिन्होंने 10 अक्तूबर 2018 को गांव डोगरावल के पूर्व सरपंच प्यारा सिंह तथा पंचायत सचिव भूपिंदर सिंह को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया था। इस दौरान डी.डी.पी.ओ. ढिलवां धारा कक्कर ने अपने बयानों में विभिन्न फर्मों को जारी किए गए बैंक चैकों की डिटेल के संबंध में जानकारी दी थी। 

जांच के दौरान खुलासा हुआ कि इस दौरान एक कंपनी को 8,99,500 रुपए, एक सिमिट स्टोर को 18,49,100 रुपए तथा एक अन्य व्यक्ति को 5.37 लाख रुपए के बैंक चैक जारी किए गए थे। जिसके दौरान सरकार ने गांव को 2 ग्रांटों के रूप में 33 लाख रुपए तथा 10 लाख रुपए की रकम भेजी थी। इनमें रूरल लैटरिंग का काम न होने पर सरकार को 33 लाख रुपए की ग्रांट वापस भेज दी गई थी। इस प्रकार सरकार की ओर से जारी सभी ग्रांटों का दुरुपयोग करते हुए पूर्व सरपंच डोगरावाल तथा पंचायत सचिव भूपिंदर सिंह ने मिलीभगत कर 18,62,179 रुपए का गबन कर लिया। जिसके आधार पर थाना सुभानपुर कपूरथला की पुलिस ने पूर्व सरपंच व  पंचायत सचिव भूपिंदर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। थाना सुभानपुर के एस.एच.ओ. इंस्पैक्टर लखबीर सिंह ने बताया कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। 

 ग्रांटों में हेरा-फेरी के कारण लोगों तक नहीं पहुंच पा रही सरकारी स्कीमें
प्रदेश में ग्रामीण विकास के लिए उत्तरदायी ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत कुछ कर्मचारियों तथा अधिकारियों द्वारा विकास ग्रांटों के दौरान लगातार हेरा-फेरी करने के सामने आ रहे मामलों में जहां सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया है, वहीं गांव डोगरावल में विकास कार्यों में लाखों रुपए की हेरा-फेरी के मामले ने यह साबित कर दिया है कि सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की ग्रांट जारी करने के बावजूद प्रदेश के दिल समझे जाने वाले गांवों की दशा सुधर नहीं पा रही है। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलु तो यह है कि गांव को स्व४छ करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा शौचालय बनाने के लिए भेजी गई 33 लाख रुपए की रकम भी संबंधित विभाग खर्च नहीं कर पाया, जिसके कारण गांव के आम लोग एक बड़ी सरकारी योजना से वंचित रह गए ।
 

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