पुरानी गाड़ियों के प्रदूषण से वातावरण हो रहा दूषित

punjabkesari.in Sunday, Dec 08, 2019 - 12:16 PM (IST)

कपूरथला(महाजन): प्रदेश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) व हाईकोर्ट ने इसके प्रति चिंता प्रकट की है। हाईकोर्ट द्वारा दीवाली पर पटाखे चलाने पर भी पाबंदी लगाई गई थी लेकिन जिले में इस समय भारी संख्या में पुराने वाहन घूम रहे हैं जो प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। पुराने वाहनों की संख्या अधिक होने से प्रदूषण भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। 

भारत के कई प्रदेशों में पुरानी गाड़ियां चलाने पर पाबंदी लगी है लेकिन पंजाब प्रदेश में इस तरह की पाबंदी न होने से कई-कई वर्ष पुराने वाहन बेखौफ घूम रहे हैं। पुराने ट्रक, ट्रैक्टर, बसें, जीपें, पुराने स्कूटर आदि के अतिरिक्त और भी कई पुराने वाहन प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा वाहनों के प्रदूषण की जांच करने के लिए जो प्रदूषण केंद्र खोले गए हैं उनमें से अधिकतर प्रदूषण केंद्रों के पास आधुनिक यंत्र नहीं हैं।

करीब 25 वर्ष पहले प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा प्रदूषण जांच केंद्रों को लाइसैंस जारी किए गए थे ताकि पुराने वाहनों के प्रदूषण की जांच हो सके लेकिन नए दौर में भी पुराने यंत्रों के साथ ही प्रदूषण चैक किए जा रहे हैं। गाड़ियों के बढ़ रहे प्रदूषण से जहां वातावरण तो प्रदूषित हो रहा है, वहीं लोग भी सांस की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, जिसको रोकना समय की मुख्य जरूरत बन गया है। गौरतलब है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस सारे मामले में ट्रांसपोर्ट विभाग चुप बैठा है। 

पैट्रोल पंपों पर चल रहे हैं अधिकतर प्रदूषण जांच केंद्र
जिले में 90 प्रतिशत प्रदूषण जांच केंद्र पैट्रोल पंपों पर ही खोले हुए हैं। पैट्रोल पंप मालिक द्वारा अपनी आमदन को बढ़ाने के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से इस प्रदूषण जांच केंद्र का लाइसैंस लेकर अपने पैट्रोल पंप पर प्रदूषण चैक सैंटर खोल दिया जाता है व यह पैट्रोल पंप मालिकों का मोटी कमाई का साधन है। जो भी व्यक्ति इन पैट्रोल पंपों पर पैट्रोल व डीजल भरवाने आता है साथ ही वह प्रदूषण सर्टीफिकेट भी प्राप्त कर लेता है। प्रदूषण चैक करने के लिए कुछ समय लगता है लेकिन इन पैट्रोल पंपों पर कुछ ही मिनटों में निर्धारित फीस देकर प्रमाण पत्र मिल जाता है। इन प्रदूषण जांच केंद्रों पर चौपहिया वाहन को 200 रुपए व दोपहिया वाहन को 100 रुपए लेकर प्रदूषण जांच केंद्र का प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। कई केंद्र तो जांच किए बिना ही यह फीस लेकर प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं। 

कई जांच केंद्र हो सकते हैं बंद
केंद्रीय वातावरण विभाग के पास यह रिपोर्ट पहुंची है व अधिकतर प्रदूषण जांच केंद्र प्रदूषण जांच के लिए खानापूर्ति ही कर रहे हैं। इस तरह के जांच केंद्रों की संख्या भारी संख्या में है जो लंबे समय दौरान जांच केंद्र से पैसे लेकर ही प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं। इन जांच केंद्रों को बंद किया जा सकता है व साथ ही इस तरह के जांच केंद्रों की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई भी हो सकती है। जानकारी के अनुसार पंजाब के ट्रांसपोर्ट विभाग के पास 65 लाख पैट्रोल व डीजल वाहन रजिस्टर्ड हैं। इन वाहनों की चैकिंग के लिए जो जांच केंद्र खोले गए हैं उनके प्रदूषण जांच करने वाले यंत्रों पर ही सवालिया निशान खड़ा हो गया है। 

क्या कहते हैं डी.सी.
डी.सी. डी.पी.एस. खरबंदा का कहना है कि जिले में इस तरह के अवैध चल रहे जांच केंद्रों या जो बिना जांच किए प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं, के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि समय-समय पर इन जांच केंद्रों पर जांच पड़ताल की जाती है व भविष्य में जांच केंद्रों के विरुद्ध कोई शिकायत प्राप्त होती है तो उसकी तुरंत जांच की जाएगी। 

Edited By

Sunita sarangal