किसानों में एक-दूसरे से पहले धान लगाने की होड़

punjabkesari.in Saturday, Jun 23, 2018 - 01:10 PM (IST)

सुल्तानपुर लोधी(धीर): पंजाब में सरकार द्वारा धान की बुआई 20 जून से करने के दिए गए निर्देश के बाद क्षेत्र में धान की बुआई ने जोर पकड़ लिया है। किसान एक-दूसरे से पहले धान की बुआई करने को लेकर जमीनों में पानी छोड़ रहे हैं ताकि जल्दी धान लग सके। गौरतलब है कि चाहे पंजाब सरकार द्वारा 1121 बासमती धान की सरकारी तौर पर कोई खरीद नहीं की जाती परंतु ऐसे हालात में कोई अधिक तबदीली नजर नहीं आ रही है और इस बार भी पिछले वर्ष के बराबर क्षेत्र में धान की बुआई हो रही है। 

प्रवासी मजदूरों की आमद शुरू
धान की बुआई को देखते हुए प्रवासी मजदूरों की आमद बड़ी संख्या में शुरू हो चुकी है। किसान मजदूरों को रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड से ही अपने साधनों द्वारा गांवों में लेकर जा रहे हैं। कुछ प्रवासी मजदूर तो पक्के तौर पर ही हर वर्ष अपने उन किसानों के पास जा रहे हैं, जो शुरू से उनके खेतों में कार्य करते रहे हैं लेकिन कुछ मजदूर धान की बुआई का इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक रेट होने के कारण दूसरे किसानों की सहायता ले रहे हैं।

किसान पानी की भरपाई के लिए करने लगे प्रबंध
मौजूदा समय में चाहे धान की बुआई का काम शुरू हो गया है। परंतु कई किसान जिनके पास अपनी जमीन में धान की काश्त करने के लिए पानी की कमी है, इस कमी को पूरा करने के मकसद से वे अपने-अपने खेतों में गहरे बोर करवा रहे हैं ताकि भविष्य में धान लगाने के बाद उनको पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े व पानी का पूरा प्रबंध हो सके। 

मजदूरों में पाई जा रही खुशी
धान की बुआई शुरू होने से मजदूर वर्ग में भी खुशी पाई जा रही है क्योंकि मौजूदा युग में लगभग सभी काम मशीनों से हो रहे हैं लेकिन ऐसे हालातों में सिर्फ धान की बुआई ही मजदूर कर सकते हैं जिस कारण ज्यों-ज्यों धान की बुआई जोर पकड़ रही है, त्यों-त्यों मजदूरों की भी डिमांड बढ़ती जा रही है।

गत वर्ष से धान की बुआई के रेट में भी हुई वृद्धि
मजदूर राम गोपाल, राजू, पप्पू, महिन्द्र, सोहन लाल का कहना है कि महंगाई ने जहां पिछले वर्षों के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं, वहीं रोजगार चलाने के लिए सिर्फ धान की बुआई ही एक साधन बचा है व गर्मी की परवाह किए बिना वे धान लगा रहे हैं ताकि वर्ष भर के लिए कमाई की जा सके। उन्होंने बताया कि इस बार धान की लगवाई 2500 से लेकर 3000 रुपए प्रति एकड़ हो गई है जोकि पिछले वर्ष 2000 से 2200 रुपए तक थी। 

किसानों ने सरकार से की लगातार 8 घंटे बिजली देने की मांग
किसान मुख्तियार सिंह, परमजीत सिंह, बलविन्द्र सिंह, बचित्तर सिंह, रविन्द्र सिंह आदि ने सरकार से बिजली की सप्लाई लगातार 8 घंटे देने की मांग की है ताकि धान की बुआई करने के समय कोई मुश्किल न आए। उन्होंने कहा कि अब तक तो मौसम ने साथ दिया है जिस कारण जमीन के पानी का प्रयोग कम हुआ है व आगे धान के लिए पावरकॉम को किसानों का साथ देना पड़ेगा।

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