प्राइवेट स्कूल उड़ा रहे सेफ्टी स्कूल वाहन नियमों की धज्ज्यिां

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 01:29 PM (IST)

 

सुल्तानपुर लोधी (धीर): गत दिनों कपूरथला में एक स्कूल बस हादसे दौरान एक बच्चे की मौत होने के बाद भी प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया पड़ा है या फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। प्राइवेट स्कूलों की ओर से जहां अपनी मनमर्जी से काफी फीसें अभिभावकों से वसूली जा रही हैं, वहीं इसके बावजूद प्राइवेट व निजी स्कूलों की ओर से मासूम बच्चों की जान खतरे में डालकर पुरानी समय अवधि समाप्त कर चुकी बसों व सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए थ्री व्हीलर, टैम्पो-ट्रैवलरों आदि के द्वारा बच्चे स्कूलों के लिए लाए जाते हैं। इससे प्रतीत होता है कि प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

इस बारे में जब ‘पंजाब केसरी’ की टीम की ओर से किए गए सर्वे के दौरान सुल्तानपुर नगरी में प्राइवेट स्कूलों में कुछ प्रबंधकों की ओर से पुरानी व समय अवधि पूरी कर चुकी बसों, थ्री-व्हीलर, टैम्पो, ऑटो रिक्शा आदि में कई-कई किलोमीटर से बच्चे गांवों से लाए जा रहे हैं, जिस ओर प्रशासन व विभाग ने आंखों मूंद रखी हैं। दो-तीन स्कूलों को छोड़कर कुछ स्कूलों ने तो अधिकतर बच्चों को लेकर जाने व छोडऩे के लिए ठेके पर वाहन रखे हुए हैं और उक्त वाहन मालिकों की ओर से सेफ्टी स्कूल नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। एक नामी स्कूल ने तो सभी हदें पार की हुई हैं और स्कूलों में भेजने वाले बच्चों के वाहन में न तो कोई अटैंडैंट, न फस्र्ट एड बॉक्स, न धुंध से बचाव के लिए फॉग लाइटें लगाई हुई हैं। जिन बसों में बच्चे भेजे जा रहे हैं, वे काफी पुराने मॉडल की हैं और उन पर रंग-रोगन करवाया हुआ है, ताकि वे नए वाहनों की तरह दिखाई दें, जबकि ये वाहन बच्चों को लेकर जाने के लिए सेफ्टी नियमों के तहत भी नहीं आते हैं। लड़कियों की सेफ्टी के लिए नहीं कोई लेडीज सहायक उक्त स्कूल की समय अवधि पूरी कर चुकी बसों में नौजवान लड़कियों के साथ किसी भी महिला सहायक की ड्यूटी तो दूर की बात बल्कि बस ड्राइवर की ओर से भी कोई वर्दी या उसकी जेब पर उसके नाम की तख्ती (प्लेट) नहीं लगी होती है।

बस में किसी भी समय बच्चे की तबीयत अचानक खराब होने पर उस बस में न तो फर्स्ट एड बाक्स होता है और न ही कोई अन्य मैडीकल सुविधा। नहीं किया जाता माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइनों का पालन माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी बसों में स्कूल आने-जाने वाले स्टूडैंट्स की सेफ्टी के लिए नियमों का स्कूलों की ओर से पालन नहीं किया जाता। कई बसों के पीछे व न ही आगे स्कूल का नाम, ड्राइवर का नाम, डी.टी.ओ. या किसी प्रबंधकीय अफसर का नाम व प्लेट नहीं लगी होती। मीडिया में प्रकाशित होने के बाद प्रशासन व विभाग तुरंत हरकत में आ जाता है और एक या दो दिन की चैकिंग उपरांत स्थिति फिर से वैसी ही हो जाती है। अर्थात विभाग भी केवल खानापूर्ति कर अपनी रिपोर्ट पेश कर देता है। उसका प्रभाव रहे या न उससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता। नियमों व कानून के साथ खिलवाड़ की किसी को इजाजत नहीं : डी.सी. इस बारे जब डिप्टी कमिश्नर कपूरथला मोहम्मद तैयब से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि किसी भी स्कूल को नियमों व कानून के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहींं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही वह एस.डी.एम. सुल्तानपुर लोधी को इस विषय पर चैकिंग कर रिपोर्ट भेजने को कहेंगे। ऐसे स्कूलों पर जरूरत अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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