सिर्फ एक दिन तक सीमित रह जाता है महिला दिवस
punjabkesari.in Thursday, Mar 08, 2018 - 09:59 AM (IST)

सुल्तानपुर लोधी (धीर): देश भर में आज महिला दिवस बहुत जोरों-शोरों से मनाया जा रहा है। इस दिन को लेकर स्कूलों, कालेजों, जनतक स्थानों के अतिरिक्त अन्य कई स्थानों पर सरकारी व गैर-सरकारी समारोह भी होंगे। इन समारोहों में राजनीतिक, समाजिक व धार्मिक क्षेत्र के लोग महिलाओं के हक की बात करेंगे व महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा देने की बात करेंगे लेकिन यह सब कुछ सिर्फ समारोहों तक सीमित होकर रह जाता है। आज भी महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा नहीं मिल सका व मर्द प्रधान समाज महिला को अपने पैरों की जूती समझता है लेकिन आज महिला जूती नहीं बल्कि एक मंजिल है।
समाज में मर्दों की तरक्की के पीछे महिलाओं का एक बड़ा योगदान है। देश में हर वर्ष 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाया जाता है और यह दिवस जहां मर्द प्रधान समाज में महिला के महत्व को बयान करता हुआ महिलाओं की इज्जत करने के बराबर अधिकार देने का आदेश देता हैं वहीं इसके साथ ही भारत देश में समाज को कलंक की तरह लग चुकी सामाजिक बुराई भ्रूण हत्या व दहेज प्रथा के खात्मे के लिए देश के हर वर्ग को विशेष प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। महिला दिवस को लेकर कुछ प्रमुख महिला शख्सियतों ने कुछ ऐसे अपने विचार रखे।
संवैधानिक हकों के प्रति जागरूक हों महिलाएं : गुरप्रीत कौर
शिरोमणि गु. प्रबंधक कमेटी की अंतरिम कमेटी मैंबर गुरप्रीत कौर ने कहा कि संविधान में जब तक उनको मिले अपने हकों प्रति जागरूक नहीं होती उतनी देर महिलाओं का कल्याण संभव नहीं है। अपने ऊपर हो रहे जुल्मों को चुपचाप सह रही बहनों को चाहिए कि वे बिना किसी डर के अपने हकों व अधिकारों के लिए डट कर अपनी आवाज बुलंद करें। हमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरुओं द्वारा लिखे ‘सो क्यो मंदा आखिए, जित जमै राजान’ के महावाक्य की महत्ता को समझना चाहिए।
बेटियों को बेटों जैसे प्यार करने से कन्या भू्रण हत्या पर लगेगी रोक : डा. रागिनी शर्मा
महिलाओं के गुप्त रोगों के माहिर व समाज में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की कम हो रही गिनती से फिक्रमंद डा. रागिनी शर्मा ने कहा कि 21वीं सदी में पहुंचकर भी पुरुष प्रधान समाज लड़के व लड़की में अंतर कर रहा है जिस कारण कन्या भू्रण हत्याएं हो रही हैं। लड़कों व लड़कियों के ङ्क्षलग अनुपात में बड़ी गिनती में आ रही कमी को खत्म करने के लिए अभिभावकों को बेटियों से भी बेटों जैसा प्यार व स्नेह करना चाहिए।