डेंगू के डंक से शहर के प्रसिद्ध नौजवान स्वर्णकार भगत सिंह सेढ़ा की मौत

punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2019 - 12:08 PM (IST)

खन्ना (सुनील): हर साल की तरह इस वर्ष भी डेंगू के जहरीले डंक ने अपनी शुरूआती दौर में शहर के एक प्रसिद्ध नौजवान स्वर्णकार को अपनी चपेट में लेते हुए मौत की नींद सुला दिया। बता दें कि हर साल डेंगू के डंक से शहर में कई लोगों की मौतें हो रही हैं। बावजूद संबंधित प्रशासन सिवाय बयानबाजी के कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है जिसका खमियाजा लोगों को अपने परिवार के सदस्यों को खोने के रूप में उठाना पड़ता है। 

आज शहर के नामी स्वर्णकार भगत सिंह सेढ़ा (39) पुत्र नरिंदर सिंह सेढ़ा निवासी रूपनगर खन्ना की अपोलो अस्पताल में मौत हो गई। देर शाम परिवार वालों ने उसका स्थानीय श्मशानघाट में अंतिम संस्कार कर दिया। इस संबंधी पत्रकारों से बातचीत करते हुए मृतक भगत सिंह सेढ़ा के ताया स्वर्णकार एसोसिएशन के अध्यक्ष रूप चंद सेढ़ा ने बताया कि उसके भतीजे को आज से लगभग 4 दिन पहले शरीर में दर्द होने की शिकायत हुई थी जिसे लुधियाना के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसी दौरान उसकी हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई। कल देर रात उसे वैंटीलेटर पर रखा गया था लेकिन सुबह उसकी मौत की सूचना परिवार वालों को दी गई।सेढ़ा ने बताया कि मृतक के सारे शरीर के भागों में सूजन आ गई थी और उसके मुंह से खून भी निकल रहा था। उन्होंने डेंगू की पुष्टि करते हुए बताया कि अस्पताल के निर्देशों की पालना करते हुए उन लोगों ने संस्कार से पहले मृतक के शरीर को बाहर नहीं निकाला। और रीति-रिवाज पूरे करते हुए संस्कार कर दिया।

दिन में मच्छर के काटने से होता है डेंगू, बचाव में ही है बचाव : डा. विर्क
जब इस संबंधी शहर के नामी चमड़ी रोग विशेषज्ञ डा. एन.पी.एस. विर्क से बात की गई तो उन्होंने बताया कि डेंगू एक वायरस से होने वाली बीमारी का नाम है जो एडीज एजिप्टी नामक मच्छर की प्रजाति के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने पर विषाणु तेजी से मरीज के शरीर में अपना असर दिखाते हैं जिस कारण तेज बुखार और सिर दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसे हड्डी तोड़ बुखार या ब्रेक बोन बुखार भी कहा जाता है। डेंगू होने पर मरीज के खून में प्लेटलैट्स की संख्या तेजी से घटती है जिस कारण कई बार जान का जोखिम भी बन जाता है। उनके अनुसार गर्मी और बारिश के मौसम में यह बीमारी तेजी से पनपती है। डेंगू के मच्छर हमेशा साफ पानी में पनपते हैं, जैसे छत पर लगी पानी की टंकी, मटकों और बाल्टियों में जमा पीने का पानी, कूलर का पानी, गमलो में जमा पानी आदि। वहीं दूसरी ओर मलेरिया के मच्छर हमेशा गंदे पानी में पैदा होते हैं। डेंगू के मच्छर ज्यादातर हमेशा दिन में काटते हैं। डेंगू के लक्षणों में मुख्य तौर पर तेज ठंड और बुखार, कमर, मांसपेशियों, जोड़ों और सिर में तेज दर्द, हल्की खांसी, गले में दर्द और खराश, शरीर पर लाल-लाल दाने (रैश) दिखाई देता है, थकावट, भूख न लगना और कमजोरी, उलटी और दर्द शामिल हैं। 

शहर की लैबोरेटरियों में मरीजों के साथ-साथ अन्य लोग भी करवा रहे हैं टैस्ट
पिछले काफी समय से शहर में बुखार व शरीर में दर्द होने के चलते डेंगू के डर से जहां मरीज शहर की भिन्न लैबोरेटरियों में अपने खून की जांच करवा रहे हैं, वहीं स्वस्थ व्यक्ति भी जांच करवाते देखे गए। शहर के अलावा गांवों के लोग भी लैबोरेटरियों में टैस्ट करवा रहे हैं। वहीं सिविल अस्पताल खन्ना में भी बड़ी संख्या में लोग जांच करवाने को पहुंच रहे हैं।

क्या कहना है जिला एपिडिमोलॉजिस्ट का
जब इस संबंधी जिला एपिडिमोलॉजिस्ट डा. रामेश से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अभी तक अपोलो अस्पताल के अधिकारियों ने भगत सिंह सेढ़ा की मौत के कारणों की रिपोर्ट और सैंपल नहीं भिजवाए हैं। ऐसे क्यों हुआ बारे वह आज विस्तृत बातचीत करेंगे। वहीं उन्होंने इस संबंधी खन्ना सिविल अस्पताल के एस.एम.ओ. एवं नोडल अधिकारी डा. राजिंदर गुलाटी को निर्देश देते हुए स्थानीय रूपनगर में स्थिति का जायजा लेने को कहा है।

 


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