फैक्टरी मालिक बाहर से ताले न लगाता तो बच जाती चारों कारीगरों की जान

punjabkesari.in Thursday, Oct 11, 2018 - 09:00 AM (IST)

लुधियाना(तरुण): बुधवार सुबह बाजवा नगर, कल्याण नगर गली नं. 1 स्थित कालड़ा निटवियर में नाइट शिफ्ट के दौरान 4 कारीगर काज बटन और प्रैस का काम कर रहे थे। करीब पौने 4 बजे पहली मंजिल से आग की लपटें निकलने लगीं। कुछ मिनट में ही आग दूसरी मंजिल पर पहुंच गई। तीसरी मंजिल पर काम कर रहे 4 कारीगरों ने धुआं फैलता देख चिल्लाना शुरू कर दिया परंतु फैक्टरी से निकलने के सभी रास्ते बंद थे जिसके चलते दम घुटने से चारों ने दम तोड़ दिया। अगर मालिक ने बाहर से ताले न लगाए होते तो चारों मजदूरों की जान बच सकती थी।  आग लगने के बाद फैक्टरी में काम कर रहे कारीगर ने फैक्टरी मालिक को मोबाइल पर आग लगने की जानकारी दी। फैक्टरी मालिक ने कारीगरों को दीवार तोड़कर निकल जाने के लिए कहा वह ऐसा करने में नाकाम रहे। 

मालिक ने खोला मेन गेट का ताला
फैक्टरी मालिक ऋषि नगर स्थित घर से निकला। करीब 20 मिनट में फैक्टरी पहुंचा और मेन गेट के शटर का बड़ी मुश्किल से ताला खोला। धुआं पूरी इमारत में फैलने के कारण कोई भी इमारत के भीतर नहीं घुस सका।

कारीगर नहीं लगाना चाहते थे नाइट शिफ्ट
मृतक के परिजन राजेश उर्फ राजू, बंसी लाल व दिवाकर पांडे ने बताया कि धनंजय फैक्टरी का ठेकेदार है। सत्य प्रकाश प्रैस का काम करता है। फैक्टरी मालिक ने बुधवार सुबह किसी ग्राहक को माल की डिलीवरी करनी थी। इस कारण मालिक नाइट लगवाकर माल तैयार करवाना चाहता था। कारीगर नाइट लगाने के लिए तैयार नहीं थे। पर दबाव के चलते वे नाइट लगाने के लिए तैयार हुए।

मौत ने बुलाया था फैक्टरी परिसर में
मृतक मो. ऐजाज के जीजा और मो. रब्बान के भाई गुड्डू ने बताया कि दोनों काज बटन का काम करते है। धनंजय ने नाइट शिफ्ट लगाने के लिए दोनों से बात की थी। दोनों नाइट लगाने के लिए तैयार नहीं थे परंतु धनंजय ने दबाव डाला तो दोनों तैयार हुए। ऐजाज और रब्बान पहली बार कालड़ा निटवियर परिसर में काम करने गए थे जहां मौत ने दोनों को अपनी आगोश में ले लिया।

शटर तोड़ कर अंदर घुसे कर्मचारी
दमकल विभाग के कर्मचारी रजिन्द्र कुमार ने बताया कि धुआं फैलने के बाद इमारत की पहली मंजिल का शटर तोड़ कर और ऊपर जाने का रास्ता बनाया। तीसरी मंजिल पर मृतकों के शव शटर के पास पड़े हुए थे।

58 गज की फैक्टरी में हुआ हादसा 
कल्याण नगर स्थित कालड़ा निटवियर 3 मंजिला इमारत है जोकि मात्र 58 गज में फैली है। ग्राऊंड फ्लोर पर दुकान है जबकि अन्य 3 मंजिल पर फ्लैट मशीनें ओर काज बटन की मशीनें लगी है जहां वूलन का माल तैयार किया जाता है। करीब 20 वर्कर इस परिसर में काम करते हैं। आगजनी में लाखों की कीमत का कच्चा ओर तैयार माल जलकर राख हुआ है। फैक्टरी परिसर में आग बुझाने के लिए प्रयोग में आने वाले अगिनश्मन यंत्र नहीं थे। इस हादसे के बाद फैक्टरी मालिक सुमित कालड़ा और उसके पिता काफी सदमे में हैं जिन्हें काफी आॢथक नुक्सान उठाना पड़ा है।

माता-पिता का इकलौता बेटा था मो. ऐजाज 
मो. ऐजाज की उम्र 18 वर्ष थी जोकि अपने माता पिता का इकलौता बेटा था। उसकी मौत की खबर अभी तक उसके माता-पिता को नहीं दी गई है। जबकि मो. रब्बान की उम्र 19 वर्ष है जोकि 9 भाई बहनों में 5वें नंबर पर है। मृतक धनंजय (37) और सत्यप्रकाश (32) शादीशुदा हैं। धनंजय के 3 बेटियां ओर 1 बेटा है।  पत्नी बच्चों के साथ बिहार में ही रहती है। धनंजय अपने परिवार का इकलौता सहारा था। सत्यप्रकाश के एक बेटा है उसकी पत्नी अकबरपुरा यू.पी. में सास-ससुर के साथ रहती है। सत्यप्रकाश सर्दी के सीजन में प्रैस का काम करने लुधियाना आता है। इन चारों की मौत के बाद परिवार सहित प्रवासी कारीगरों में काफी मातम का माहौल छाया हुआ है।  

परिजनों को फोन कर जान बचाने की लगाई थी गुहार
सत्यप्रकाश के भाई बंसी लाल ने बताया कि बुधवार सुबह करीब 4 बजकर 26 मिनट पर सत्यप्रकाश ने उसे मोबाइल किया। जब उसने मोबाइल उठाया तो दूसरी तरफ से चीख पुकार की आवाजें आ रही थी। सत्य प्रकाश ने बताया कि फैक्टरी में आग लगी है। निकलने के सभी मार्ग बंद हैं। प्लीज उन्हें आकर बचा लें। धनंजय के जीजा दिवाकर पांडे ने बताया कि 4 बजकर 49 मिनट पर धनंजय ने मोबाइल किया। जिसने बताया कि फैक्टरी में आग लगी है। नीचे से लेकर छत तक सभी बाहर निकलने वाले रास्तों पर मालिक ने ताले जड़े है। उन्हें किसी भी तरह बचाया जाए। कुछ देर बाद जब वे फैक्टरी पहुंचे तो पता चला कि चारों कारीगरों की मौत हो चुकी थी।

परिजनों के आने पर होगा पोस्टमार्टम
थाना डिवीजन नं. 4 के प्रभारी सुरिन्द्र चोपड़ा ने बताया कि शवों को सिविल अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया है। मृतकों के परिजन बिहार और यू.पी. से रवाना हो चुके हैं जिनके आने के बाद ही पोस्टमार्टम होगा। 

प्रशासनिक विभाग करेगा जांच
थाना डिवीजन न 4 के प्रभारी सुरिन्दर चोपड़ा ने बताया कि उन्होंने नगर निगम, दमकल विभाग व जिलाधीश दफ्तर को पत्र लिख कर जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक विभाग इस बात की जांच करें कि क्या इमारत नक्शे के हिसाब से बनाई गई है। क्या फैक्टरी परिसर में अग्निश्मन यंत्र लगे थे। अगर यह सब नियमावली के हिसाब से बने होते तो शायद जानी नुक्सान होने से टल जाता।

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