गैस सिलैंडर की कालाबाजारी का धंधा जारी

punjabkesari.in Wednesday, May 09, 2018 - 03:09 PM (IST)

लुधियाना(खुराना): महानगर के ग्यासपुरा इलाके में गत दिनों हुए घरेलू गैस सिलैंडर ब्लास्ट कांड में 10 इंसानी जिंदगियां खत्म होने के बाद भी गैस की कालाबाजारी का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। अधिकतर गैस एजैंसियों के कारिंदे चंद पैसों के लालच में दलालों को मौत का सामान बताए ठिकाने तक बिना किसी खौफ के पहुंचा रहे हैं, जो आगे जरूरतमंद परिवारों व प्रवासी मजदूरों से मनचाही कीमत वसूल कर उन्हें अवैध रूप से छोटे गैस सिलैंडरों में पल्टी कर दे रहे हैं। इलाका सलेम टाबरी शिमलापुरी, ग्यासपुरा, ढोलेवाल, शेरपुर व राहों रोड स्थित कैलाश नगर में सक्रिय दलाल साइकिल को पंक्चर लगाने की दुकान व वैल्डिंग करने की आड़ में गैस की कालाबाजारी करने का काला धंधा खुलकर चला रहे हैं, जहां पर हर दिन गैस एजैंसियों के ऑटो व रेहड़ा चालक उक्त दलालों को गैर-कानूनी घरेलू सिलैंडर ऑन डिमांड पहुंचा रहे हैं। जिला एवं खाद्य आपूर्ति विभाग के कर्मचारी सारा तमाशा देखने के बाद भी आंखें मूंदे बैठे हैं या यूं कहें कि ग्यासपुरा में हुई दर्दनाक घटना व 10 लोगों की मौत का उनके सिर पर कोई बोझ नहीं है। 

100 रुपए प्रति किलो ब्लैक हो रही घरेलू गैस
शहरभर के अधिकतर इलाकों में अवैध छोटे गैस सिलैंडरों में दलालों द्वारा घरेलू गैस 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भरी जा रही है अर्थात 700 रुपए वाला घरेलू गैस सिलैंडर 1400 रुपए में ब्लैक किया जा रहा है। गैस एजैंसियों के कारिंदों द्वारा दलालों को कम्पनी द्वारा प्रत्येक माह तय की जाने वाली निर्धारित कीमत से 100-200 रुपए अधिक ब्लैक में बेचा जा रहा है, जबकि दूसरी ओर आम पब्लिक को गैस की बुकिंग करवाने के बाद भी कितने दिनों तक सिलैंडर की डिलीवरी नहीं दी जाती है। 

शहर में मौत का कारोबार चल रहा है घर-घर: खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में मौजूदा समय में 2 कंट्रोलर्स, 3 ए.एफ.एस.ओ. के साथ कर्मचारियों की फौज सरकार द्वारा कार्रवाई को लेकर तैनात की है। इसके बावजूद शहर में मौत का कारोबार घर-घर में चल रहा है, जहां पर बड़े गैस सिलैंडरों से लेकर छोटे सिलैंडर, घरेलू से कमर्शियल गैस सिलैंडरों की पल्टी के साथ ऑटो रिक्शा में गैस भरने का काला कारोबार खुलेआम चल रहा है। विभाग के ए.एफ.एस.ओ. सुरिन्द्र कुमार बेरी प्रोमोट होने के बाद विभाग में मौजूद कंट्रोलर तो बन गए लेकिन कालाबाजारियों के खिलाफ की जाने वाली छापामारी बिल्कुल ठप्प हो गई है। क्या इस सब में गैस एजैंसी मालिकों के साथ कम्पनियों के अधिकारियों की मिलीभगत है या फिर सब कुछ जानने के बाद भी गैस कम्पनियों के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं, यह जांच का विषय है।

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