ग्यासपुरा में कब्जाधारियों ने किया फ्लैट खाली करवाने का विरोध, बैरंग लौटी निगम टीम

punjabkesari.in Saturday, May 12, 2018 - 12:18 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): जगराओं पुल के अनसेफ हिस्से को दोबारा बनाने के लिए किनारे बने मकानों में रह रहे लोगों को शिफ्ट करने की योजना के तहत नगर निगम प्रशासन द्वारा ग्यासपुरा स्थित फ्लैटों को खाली करवाने बारे शुरू की गई कार्रवाई का कब्जाधारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। दूसरी दिन की मुहिम के दौरान निगम स्टाफ को बैंरग लौटना पड़ा।  नगर निगम ने सरकारी जगह पर झुग्गियों के रूप में कब्जा करके रह रहे लोगों के पुनर्वास के लिए ग्यासपुरा व मुंडियां में केंद्र की बी.एस.यू.पी. स्कीम के तहत फ्लैट बनाए हुए हैं। इन फ्लैटों में पक्खोवाल रोड, ताजपुर रोड, शहीद भगत सिंह नगर, लेबर कालोनी, हंबड़ा रोड से झुग्गियां हटाकर लोगों को शिफ्ट किया गया है।

अब जगराओं पुल के किनारे बने मकानों में रह रहे लोगों को भी इन फ्लैटों में ही शिफ्ट करने का विश्वास दिलाया गया है। इस बारे में कब्जाधारियों को नोटिस जारी करके उनसे फ्लैटों में जाने की सहमति ली जा रही है। लेकिन जब दूसरी तरफ, ग्यासपुरा में स्थित खाली फ्लैटों की मार्किंग शुरू की गई तो वहां अवैध कब्जे होने का मामला सामने आया। इस पर नगर निगम प्रशासन हरकत में आया। जिसके तहत सभी फ्लैटों में रह रहे लोगों के अलाटमैंट लैटर चैक किए गए और फ्लैटों पर अवैध रूप से कब्जा करके बैठे लोगों को नोटिस दिए गए। इसके बाद बी. एंड आर. व बिल्डिंग ब्रांच के स्टाफ ने मौके पर जाकर पहले तो खाली पड़े फ्लैटों में अपने ताले लगा दिए और कई फ्लैटों को कब्जा मुक्त करवाया।

दूसरे दिन की कार्रवाई के दौरान लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। जिनमें से कुछेक को उसी जगह फ्लैट अलाट हुए हैं और उन्होंने साथ लगते फ्लैट खाली पड़े होने का फायदा उठाकर कब्जा जमा लिया है। अधिकतर लोग अपनी शिफ्टिंग व अलाटमैंट का कोई ब्यौरा नहीं दे पाए। जिनसें फ्लैट खाली करवाने के नोटिस लगा दिए गए हैं। जगराओं पुल के किनारे बने मकानों को हटाने में हो रही देरी के चलते अनसेफ हिस्से को दोबारा बनाने में दिक्कत आ रही है, क्योंकि पंजाब सरकार पिछले साल जुलाई में 24 करोड़ रिलीज करने के बाद रेलवे द्वारा पुल बनाने के लिए कंपनी को वर्क आर्डर जारी कर दिया गया था। लेकिन पुल की चौड़ाई बढ़ाने के लिए किनारे बने मकानों की जगह खाली करवानी जरूरी है, जिससे पहले कंपनी ने काम शुरू करने से इंकार कर दिया। इसके तहत पहले काफी समय तक यह फैसला नहीं हो पाया कि मकानों के कब्जे कौन सा विभाग हटाएगा। 

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