हक पाने के लिए 3 दशकों से इंसाफ मांग रहा दंगा पीड़ित

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 10:30 AM (IST)

लुधियाना: दिल्ली और पंजाब में हुए 1984 के दंगों के बाद जहां खासकर दिल्ली और पटना में कई सिख परिवार उजड़ गए, वहीं सरकारी घोषणाओं में इन सबके पुनर्वास के दावे आज भी पूरे नहीं हो पा रहे, क्योंकि अतीत के पन्नों में जब भी इन पीड़ित परिवारों की परतें खुलती है तो उनमें ऐसे कई शख्स सामने आते हैं जो सरकार की गलत नीतियों का शिकार होकर अपना हक पाने के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं।

ऐसे ही हैं महानगर के बुजुर्ग हरभजन सिंह (85) जो न्यू जनता नगर में कभी कबार उन दस्तावेजों से मिट्टी पोंछ लेते हैं जो उन्हें पुनर्वास के भरोसे के साथ सरकार की ओर से जारी किए गए थे। समय गुजरा पर आज भी दंगा पीड़ितों की शिनाख्त के तौर पर जारी हुआ कार्ड उनके किसी भी काम नहीं आ पाया।पीड़ित बुजुर्ग हरभजन सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से दंगा पीड़ितों को मिलने वाली सुविधाओं और मकान भी उन्हीं के हिस्से आए जिनकी ऊपर तक पहुंच थी। राहत देने के नाम पर भी राजनीति खेली गई और जाली दंगा पीड़ित खड़े करके तत्कालीन सत्ताधारियों ने उन्हीं लोगों को राहत के नाम पर मकान दिलवा दिए जो न तो दिल्ली में रहते थे और न ही दंगों के शिकार हुए थे ऐसे में हमारे जैसे लोगों पर दोहरी मार पड़ी जो पहले तो दिल्ली और पटना से अपने बसे बसाए घरों से उजड़ गए और पंजाब आकर भी उन्हें तत्कालीन सत्ताधारी होने पर बसने नहीं दिया।

हरभजन सिंह कहते हैं कि आज भी वह जिस घर में रह रहे हैं वह उनकी बेटी का मकान है लेकिन सरकार से उन्हें राहत के नाम पर कुछ भी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि ग्लाडा द्वारा 2016 में जारी हुए पत्र में लिखा गया है कि आप दंगा पीड़ित है और आपका नाम ड्रा वाली लिस्ट में दर्ज कर लिया गया है भविष्य में अगर कोई अलॉटमैंट होती है तो सूचित कर दिया जाएगा लेकिन विभाग की ढीली कार्रवाई के चलते & साल बीतने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। हरभजन सिंह ने उनको & मार्च, 1986 को जारी हुआ शिनाख्त कार्ड भी दिखाया जो वक्त के साथ जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच चुका है और उम्मीद की नजरों से आज भी इन कागजातों को गहरी आंखों से सरकार की और से मिलने वाली मदद के इंतजार की राह देख रहे है। 

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