ठंड के दस्तक देते ही बढ़ी घरेलू गैस खपतकारों की परेशानियां

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2019 - 04:06 PM (IST)

लुधियाना(खुराना) : ठंडी के मौसम के दस्तक देते ही अधिकतर इलाकों खासकर ग्रामीण परिवारों को रसोई गैस की किल्लत जैसी समस्याओं से 2-4 होना पड़ रहा है। आलम यह है कि करीब 40 से 50 फीसदी खपतकारों को बुकिंग करवाने के  बाद भी कई-कई दिनों तक सिलैंडर की सप्लाई नहीं मिल पा रही है। गैस कंपनियों के अधिकारियों की मानें तो उक्त खपतकारों में से ज्यादातर परिवार वे हैं जिन्होंने लंबे समय पहले गैस कुनैक्शन लेने के बावजूद आज तक संबंधित गैस एजैंसियों से अपना दूसरा सिलैंडर (डी.बी.सी.) योजना के अंतर्गत खपतकारों को मुहैया करवाए जाने वाला अतिरिक्त गैस सिलैंडर अप्लाई करना भी उचित नहीं समझा है।यहां ऐसा भी नहीं है कि गैस की परेशानियों से केवल उक्त खपतकारों को ही दिक्कत आ रही है बल्कि उसमें बड़ी संख्या उन परिवारों की भी है जोकि अपनी संबंधित गैस एजैंसियों के डीलरों एवं डिलीवरी मैन्स की मिलीभुगत का टारगेट बनते हैं, अर्थात इन खपतकारों के नाम पर सिलैंडर की बुकिंग होती है, लेकिन सिलैंडर उनके रसोईघरों की बजाए काला बाजारियों के अड्डों की शान बढ़ाते हैं। ऐसे में उक्त परिवारों के घरों मेें गैस सिलैंडर खत्म होने पर उनकी परेशानियां बढऩी लाजिमी है।

कालाबाजारियों के पास कहां से आते हैं बड़ी संख्या में सिलैंडर
ऐसे में बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि यहां आम खपतकारों को बुकिंग करवाने के बाद भी कई दिनों तक सिलैंडर नहीं मिल पाता है तो फिर शहर भर में कालाबाजारियों के चल अवैध अड्डों पर इतनी बड़ी तादाद में घरेलु गैस सिलैंडर आखिरकार कहां से आ रहे हैं। वे कौन-सी गैस एजैंसियोंं के डीलर हैं जो अपने खपतकारों को गैस न देकर कालाबाजारियों के हाथों में खेल रहे हैं और गैस कंपनियों के अधिकारी भी खपतकारों की समस्याओं का समाधान करने की जगह चुपचाप सारा तमाशा देख रहे हैं।

इसकी टोपी उसके सिर पहनाने खपतकारों का भी बड़ा हाथ उक्त सारे एपिसोड में जो बड़ी बात निकल कर सामने आ रही है वह यह भी है कि अधिकतर खपतकार अपनी गैस एजैंसियों के कारिंदों से मिलीभुगत कर अपने हिस्से की पर्चीे पर आया हुआ सिलैंडर रेहड़ी, ढाबों व गैस रिफिलिंग के अड्डों पर तय से कुछ अधिक कीमतों पर बेचकर खुद भी कालाबाजारी का हिस्सा बनते हैं जिससे न केवल इन खपतकारों को प्रति सिलैंडर 50 से 100 रुपए अधिक मिल पाते हैं, बल्कि उन्हें सरकार द्वारा खपतकारों को मिलने वाली सबसिडी का लाभ भी मिल जाता है। ऐसे में लालच वस खपतकार कारिंदे से मिलकर इसकी टोपी उसके सिर पहनाने की साजिशों को अंजाम देते है। यहां बताना अनिवार्य रहेगा कि सरकार द्वारा तय की गई। पालिसी के मुताबिक प्रत्येक खपतकार को प्रति वर्ष 12 घरेलु गैस सिलैंडर सबसिडी पर दिए जाते हैं जबकि अधिकतर परिवारों ने अपने पारिवारिक सदस्यों के नाम पर कई कई गैस कुनैक्शन ले रखे हैं। ऐसे में लागत कम होने की सूरत में बिना जरूरत के वे सिलैंडर बुक करवाकर जरूरतमंदों को अधिक कीमतों पर बेचकर गैस की किल्लत पैदा करने में बड़ी भूमिका अदा करते रहते हैं।

एक से अधिक कनैक्शन सरैंडर कर डी.बी.सी. ले प्रत्येक खपतकार
देश की तीनों प्रमुख गैस कंपनियों इण्डेन गैस के हरदेव सिंह बदन भारत गैस के नवतेज कुमार एवं हिंदुस्तान गैस कंपनी के सिद्धार्थ सहगल ने अपनी एजैंसियों से संबंधित खपतकारों को गैस की होने वाली किल्लत से बचने के लिए जहां एक से अधिक गैस कुनैैक्शन सरैंडर करने का आग्रह किया है। वहीं उन्होंने खपतकारों की डी.बी.सी. योजना के तहत दूसरा गैस सिलैंडर लेने का मशवरा भी दिया है। उन्होंने बताया मौजूदा समय में प्रत्येक एजैंसी के पास पर्याप्त मात्रा में गैस का स्टोक पड़ा हुआ है जिसमें किसी प्रकार की कमी नहीं है। खपतकार द्वारा बुकिंग करवाने के 2 से 3 दिन में सिलैंडर की सप्लाई दी जा रही है।

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