ट्रैक पर चौपट व्यवस्था: एजैंटों  व कथित दलाल पत्रकारों का बोलबाला

punjabkesari.in Monday, Oct 14, 2019 - 12:46 PM (IST)

लुधियाना(राम): चंडीगढ़ रोड स्थित ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर अव्यवस्था का आलम यह है कि यहां पर सिर्फ एजैंटों व कुछ दलाल किस्म के कथित पत्रकारों का बोलबाला है। ट्रैक पर आवेदक 4-4 महीने अपनी फाइलें उठाकर लाइसैंस बनवाने के लिए धक्के खाते रहते हैं, मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। कई आवेदकों की तो फाइलें भी गुम कर दी जाती हैं और जब वह शिकायत लेकर टैस्ट ट्रैक की इंचार्ज नीलम के पास पहुंचते हैं तो वह इस संबंधित मुलाजिमों से जवाब तलबी की बजाय आवेदक को ही दोबारा लाइसैंस अप्लाई करने के लिए कह देती हैं।

जानकारी के मुताबिक चंडीगढ़ रोड स्थित ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर एजैंटों और दलाल किस्म के कथित पत्रकारों को अक्सर फाइलें उठाकर अपना काम करवाते हुए देखा जा सकता है, जोकि आवेदकों से काम करवाने के एवज में मोटी रकम वसूलते हैं। ट्रैक पर आने वाले कुछ आवेदकों के काम 4-4 महीने इसलिए नहीं किए जाते क्योंकि वे मुलाजिमों या अफसरों की जेबें गर्म नहीं करते। वहीं टैस्ट ट्रैक की इंचार्ज नीलम को आम आवेदकों की कोई चिंता नहीं है। अगर वह अपनी सीट से उठकर कभी आवेदकों की मुश्किलें जानने की कोशिश करतीं तो शायद व्यवस्था में कुछ सुधार हो सकता था। 


मुलाजिमों के साथ मिलीभगत पाई गई तो करेंगे कार्रवाई : एस.डी.एम.बैंस
जब इस बारे में एस.डी.एम. पूर्वी अमरजीत सिंह बैंस से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल मेरे में ध्यान में ऐसा कोई भी मामला नहीं है। फिर भी वह अपने तौर पर इस मामले की जांच करवाएंगे। अगर दलाल पत्रकारों व एंजैंटों की ट्रैक मुलाजिमों के साथ किसी भी प्रकार की मिलीभगत सामने आई तो वह आरोपी मुलाजिमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करवाएंगे।

सरकारी कमरों पर भी एजैंटों का कब्जा 
चंडीगढ़ रोड पर स्थित आटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर एजैंटों का कब्जा है। ये एजैंट अक्सर मुलाजिमों की उपस्थिति में ही उनकी सीटों पर बैठ जाते हैं और सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ भी करते हैं। कई बार लंबी-लंबी लाइनों में लगे आवेदकों को दरकिनार कर एजैंट व दलाल पत्रकार सीधा मुलाजिमों के कमरे में घुसकर अपना काम करवाते हुए देखे जा सकते हैं। ट्रैक पर इन कथित दलाल पत्रकारों, एजैंटों व इंचार्ज तथा मुलाजिमों की मिलीभगत का ही नतीजा है कि एजैंट ओर दलाल पत्रकार हर नियम व कायदे को ताक पर रखकर अपना काम करवा लेते हैं।

इंचार्ज मैडम जरूरी नहीं समझते फोन उठाना
इस संबंध में जब ट्रैक इंचार्ज मैडम नीलम से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने फोन रिसीव करना जरूरी नहीं समझा। इससे उनके अपने काम करने के प्रति अपनाए गए रवैये का साफ पता चलता है।

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