नशे से ग्रस्त नौजवानों में 13 एड्स और 16 काला पीलिया के शिकार

punjabkesari.in Thursday, Jul 12, 2018 - 02:07 PM (IST)

मुल्लांपुर दाखा (कालिया): पिछली अकाली सरकार की तरफ से 10 सालों अंदर नशों का बीजा गया बीज अब एड्स का रूप धार गया है और हर गांव में नशा नौजवानों के लिए काल बना हुआ है और रोजाना नौजवान चिट्टे की वजह से मौत के मुंह में जा रहे हैं।

इन शब्दों का प्रकटावा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने नशा छुड़ाओ और पुनर्वास केंद्र में इलाज करवा रहे नौजवानों का हाल पूछने के दौरान किया। उन्होंने कहा कि  ङ्क्षचता वाली बात तो यह है कि नशा करने वाले नौजवानों में टैस्ट दौरान एड्स, काला पीलिया और हैपेटाइटिस भी पाया जा रहा है। पंजाब सरकार और सेहत विभाग द्वारा मंजूरशुदा सैंटर में हम 29 नौजवानों को नशा छुड़ाओ की प्रेरणा देकर भर्ती करवाया और उनके लिए गए टैस्टों में से 13 एड्स और 16 काले पीलिया के मरीज सामने आए हैं। परन्तु कई नशा ग्रस्त परिवार और नौजवान बदनामी के कारण मुख्य धारा में नहीं आ रहे। बिट्टू ने कहा कि मेरे हल्के में मेरे पास रोज 150 लोग नशा छुड़वाने के लिए आ रहा है। हम एन.जी.ओ, समाजसेवी संस्थाओं, धार्मिक संस्थाओं, प्राइवेट अस्पतालों की सहायता ले रहे हैं लेकिन लुधियाना सिविल अस्पताल के डाक्टर पंजाब की जवानी को बचाने में उनका साथ नहीं दे रहे।

‘साडे कोल तुहाडा कोई इलाज नहीं, एत्थों चले जाओ’
गांव जांगपुर, सवद्दी आदि गांवों में नशा ग्रसित नौजवान को एम.पी बिट्टू ने इलाज के लिए सिविल अस्पताल लुधियाना दाखिल करवाया परन्तु वहां ड्यूटी पर तैनात डा. विवेक ने इन नौजवान का इलाज करवाने की बजाय कहा कि ‘साडे कोल तुहाडा कोई इलाज नहीं, एत्थों चले जाओ’ नेता ने तो सिर्फ आपके साथ फोटो करवानी थी, डाक्टर ने यह कहकर नौजवान को अस्पताल से भेज दिया। बिट्टू ने कहा कि वह डा. विवेक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करवाएंगे।
 

एड्स के मरीजों का होगा फ्री इलाज
पंजाब नशा छुड़ाओ और पुनर्वास केंद्र में 13 नशा ग्रसित नौजावनों में टैस्ट दौरान एड्स पाए जाने पर उनको यहां दाखिल नहीं करने बारे बिट्टू ने कहा कि एड्स के मरीजों का फ्री इलाज क्रेंद्र और स्टेट के अस्पतालों से करवाया जाएगा। वहां उनके पारिवारिक सदस्यों के टैस्ट भी फ्री करवाकर उनको डाक्टरी सहायता देंगे।

कुलगहना से 300 रुपए में मिलता था चिट्टा 
इलाज करवाने आए नौजवानों ने बताया कि मुल्लांपुर रेलवे लाइनों पर हमें सरेआम चिट्टा मिलता था और हमनें 9वीं कक्षा में ही चिट्टा पीना शुरू कर दिया था। जो चिट्टा हमें हजार रुपए का मुल्लांपुर से मिलता था वही हमें 300 रुपए का कुलगहना से मिलने लगा और वहां हर घर में चिट्टा बेचने का सरेआम धंधा चलता था। अब हमारी तौबा है हम इस दलदल से निकलना चाहते हैं।

 

 

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