अब सरकार जाएगी किसानों के द्वार

punjabkesari.in Monday, Mar 19, 2018 - 02:50 PM (IST)

लुधियाना(सहगल): राज्य में हर वर्ष फसलों के अवशेष (पराली) जलाने से पैदा होने वाली मैडीकल एमरजैंसी जैसे हालात को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने का फैसला किया गया है। इसमें सरकार के विभिन्न विभाग सामूहिक तौर पर काम करेंगे। सरकार द्वारा इसके लिए अलग से डायरैक्टोरेट बनाने का फैसला किया गया है लेकिन फसलों की कटाई में कम समय रहने के कारण सामूहिक जागरूकता मुहिम शुरू कर देने को कहा गया है।स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डा. जसपाल कौर ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर राज्य में स्वास्थ्य कैम्पों का आयोजन कर लोगों को फसलों के अवशेष (पराली) न जलाने बारे समझाने को कहा है। यह कैम्प मार्च माह के अलावा सितम्बर में भी आयोजित करने को कहा गया है। किसानों को इसकी जानकारी देने के अलावा प्राइमरी व कम्युनिटी हैल्थ सैंटरों में धुएं से पैदा होने वाली बीमारियों की दवाइयां व नेम्बुलाइजर आदि का प्रबंध रखने को भी कहा गया है। 

पराली के प्रदूषण से किन बीमारियों का खतरा 
विशेषज्ञों की मानें तो पराली के धुएं से लोग कई घातक बीमारियों की चपेट में आते हैं। सांस की बीमारी, एलर्जी, हृदय रोग, चर्म रोग व छाती संबंधी रोग प्रमुख हैं। लोगों में कैंसर के मामलों की सम्भावना भी प्रबल हो जाती है। 

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड भी होगा सक्रिय
मुहिम में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जिला स्तर पर टीमों का गठन शुरू कर दिया है। टीम में एस.डी.एम., तहसीलदार, ब्लाक अधिकारी, डी.एस.पी. व पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी शामिल होंगे। 

किसानों को दें बेहतर विकल्प 
गैर सरकारी संस्था खेती विरासत मिशन के डायरैक्टर डा. अमर सिंह आजाद का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सख्ती करने की बजाय बेहतर विकल्प दे। उन्होंने कहा कि किसानों को प्यार से समझाने व पराली जलाने के विकल्प पेश करने चाहिए। सरकार का ध्यान किसानों की ओर पराली जलाने के दिनों में ही जाता है, जब लोगों के लिए एक्यूट समस्या पैदा होती है। वैसे वर्षभर लोग वाहनों के धुएं से वायु प्रदूषण की मार झेलते हैं, इस ओर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।

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