अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के दौरान हंगामा

punjabkesari.in Sunday, Jul 08, 2018 - 01:37 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): नगर निगम के जोन बी की टीम द्वारा न्यू माधोपुरी इलाके में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने दौरान उस समय हंगामा हो गया, जब निर्माणाधीन बिल्डिंग के मालिक का परिवार व शिकायतकर्ता आपस में उलझ गए।

इस मामले में नगर निगम अफसरों का कहना है कि रिहायशी नक्शा पास करवाने की आड़ में मौके पर कमॢशयल निर्माण किया जा रहा था। यह निर्माण मिक्स लैंड यूज एरिया में होने के बावजूद गली की चौड़ाई काफी कम होने कारण कम्पाऊंड नहीं किया जा सकता। इस बारे में शिकायत मिलने पर कई बार साइट पर जाकर काम बंद करवाने के बावजूद निर्माण जारी रहा तो उच्च अफसरों ने निगम टीम को कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

इस पर बिल्डिंग ब्रांच का दस्ता शनिवार को छुट्टी वाले दिन मौके पर पहुंचा तो निर्माण कर रहे व्यक्ति ने अपने परिवार के बाकी मैंबरों की मदद से कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया। इसी बीच नजदीक रहने वाला शिकायतकत्र्ता भी वहां आ गया, जिसके साथ शुरू हुई निर्माणकत्र्ता की बहस ने गाली-गलौच और फिर हाथापाई का रूप ले लिया। इसका फायदा उठाकर निगम टीम ने मौके पर बने पिल्लर व अन्य निर्माण को तोड़ दिया।

मवनगर निगम ने न्यू माधोपुरी व सुंदर नगर के जिस इलाके में बन रही बिल्डिंग को तोडऩे की कार्रवाई की है उसके आसपास मल्टी स्टोरी फैक्टरियां चल रही हैं। जबकि खुद निगम अफसरों का कहना है कि यह इलाका पूरी तरह से रिहायशी है। 

सीलिंग के विरोध दौरान गाली-गलौच करने वालों के खिलाफ दर्ज होगा पुलिस केस
नगर निगम के जोन बी की टीम ने गत दिवस चंडीगढ़ रोड स्थित सरपंच कालोनी में बनी दुकानों को सील करने के लिए दबिश दी थी, जिसके लिए एक एन.आर.आई. महिला द्वारा अपनी जमीन पर कब्जा होने बारे दी गई शिकायत को आधार बनाया गया। जांच में पता चला कि दुकानों का निर्माण ही नगर निगम की मंजूरी के बिना हुआ है। इसके मद्देनजर शुक्रवार सुबह दुकानों को सील करने की कार्रवाई चल रही थी कि निर्माण करने वाले व्यक्ति ने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ मौके पर आकर विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने पत्थर लगाकर नगर निगम की गाडिय़ां रोक लीं और निगम टीम के साथ गाली-गलौच के अलावा हाथापाई तक की। मुलाजिमों को पुलिस ने बड़ी मुश्किल से मौके से निकाला। इस सारी घटना की कुछ मुलाजिमों ने अपने मोबाइल में वीडियो बना ली है और उसके आधार पर आरोपियों के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करवाने की सिफारिश के साथ रिपोर्ट उच्च अफसरों को भेजी जा रही है।

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