DMC को लग सकता है 70 लाख का फटका

punjabkesari.in Thursday, Nov 15, 2018 - 05:19 PM (IST)

लुधियाना (सहगल): दयानन्द अस्पताल की मैनेजमैंट की गलत नीतियों के कारण अस्पताल को लगभग 70 लाख रुपए का झटका लग सकता है। यह जुर्माना रिहाईशी क्षेत्र में स्थित कोठी का कमर्शियल इस्तेमाल के रूप में करने के एवज में देना पड़ सकता है। 

ज्ञात रहे कि कल नगर निगम ने दयानन्द अस्पताल द्वारा हीरों डी.एम.सी. के बाहर कोठी में चलाए जा रहे कलैक्शन सैंटर को सील कर दिया था। निगम अधिकारियों का कहना है कि निगम द्वारा 25 सितम्बर को अस्पताल को नोटिस जारी किया गया था, पर मैनेजमैंट द्वारा उक्त नोटिस को अनदेखा कर दिया गया।इसके बाद सहायक टाऊन प्लानर ने 3 अक्तूबर को दयानन्द अस्पताल के डायरेैक्टर के नाम नोटिस जारी कर पिछले नोटिस का हवाला देकर कहा गया कि अस्पताल द्वारा नाजायज तौर पर रिहायशी प्लांटों को क्लब करके की जा रही कारोबारी गतिविधियां बंद करने के निर्देश दिए गए थे, परन्तु निर्धारित समय में न तो नोटिस का जवाब दिया गया और न ही कारोबारी गतिविधियां बन्द की गई। 

एक अक्तूबर को सर्वे के दौरान पाया गया कि रिहायशी टाऊन प्लॉनिंग स्कीम के अंतर्गत आते तीन प्लाट जो लगभग 1000 वर्ग गज प्रति प्लाट को अस्पताल की सीमा में गैर-काननी तरीके से मिला लिया है। इसके रक्बे को अब पार्किंग व अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो बिल्डिंग बाइलाज 2010 नगर निगम लुधियाना अनुसार गैर-कानूनी व अन अधिकृत है। इसके अलावा टैगौर नगर रिहायशी स्कीम में बिना आज्ञा लेब चलाई जा रही है, जो गैर-कानूनी है। अगर अब भी इन्हें बन्द नहीं किया गया तो निगम द्वारा बिना नोटिस अगली कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी, जिसके वह स्वयं जिम्मेदार होंगे, परन्तु इस नोटिस के आने के बाद भी अस्पताल ने कोई संज्ञान लेना तो दूर नोटिस का जवाब नहीं दिया। 


कार्रवाई के बाद जुर्माने के लिए तैयार
नगर निगम के सहायक टाऊन प्लानर सुरिन्द्र सिंह बिन्द्रा ने कहा कि लेब अथवा क्लैक्शन सैंटर को सील करने के बाद अस्पताल द्वारा शपथ पत्र देकर यह कहा गया है कि सरकार की वन टाइम सैटलमैंट पालिसी के तहत वह जुर्माना देने को तैयार है। इस संदर्भ में वह निर्देश मिलने के 24 घंटे के भीतर बनती रकम अदा कर देंगे। फिलहाल उनके सैंटर को खोलने की आज्ञा दी जाए, क्योंकि चल रहे डेंगू सीजन के कारण यहां मरीजों के ब्लड सैम्पल तथा रिपोर्ट पड़ी हुई है। लिहाजा उक्त सैंटर की सील जनहित के मद्देनजर खोल दी गई है। उन्होंने कहा कि इसमें कम से कम 70 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है।


बच सकता था जुर्माना
निगम के एक अन्य ऑला अधिकारी ने कहा कि अगर निगम को समय रहते नोटिस का जवाब दे दिया जाता तो अस्पताल को लगने वाला जुर्माना बच सकता था, जिसमें अब कहने की बजाए कि वहां मरीजों के सुविधा सैंटर चलाया जा रहा है। कारोबारी काम नहीं किया जा रहा तो संभाव्यता भारी जुर्माने से बच सकता है, पर सैंटर सील करने पर अस्पताल ने अंडरटेकिंग देकर स्वयं ही यह मान लिया कि वह न टाईम सैंटलमैंट के लिए तैयार है। सूत्रों ने बताया कि इससे पहले कैंसर सैंटर में भी बिल्डिंग बायलाज का उल्लंघन करने पर अस्पताल लगभग 25 लाख रुपए जुर्माना भुगत चुका है। क्लैक्शन सैंटर पर की गई कार्रवाई कौंसल ऑफ आर.टी.आई. एक्टीविस्ट की शिकायत पर की गई है, पर जुर्माना मैनेजमैंट की लापरवाही के कारण अस्पताल को भुगतना पड़ रहा है।

शीघ्र शुरू होगा व्यापक सर्वे 
सहायक टाऊन प्लानर एस. एस. बिन्द्रा के अनुसार शहर में शीघ्र ही रिहायशी क्षेत्र में चल रहे कमॢशयल इस्तेमाल करने वालों का व्यापक सर्वे शुरू किया जा रहा है, जिसमें काफी संख्या में डिफाल्टर सामने आ सकते हैं और इन्हें वन टाइम सैंटलमैंट के अंतर्गत लाया जाएगा।

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