मोदी सरकार की पहल, नन्हे कंधों पर कम होगा बस्ते का बोझ

punjabkesari.in Tuesday, Nov 27, 2018 - 10:29 AM (IST)

लुधियाना(विक्की): सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे एक पत्र के मुताबिक स्कूल जाते नौनिहालों के कंधों पर बस्ते का बोझ मोदी सरकार ने पहल करते हुए कम कर दिया है। बच्चों पर पड़ रहे पढ़ाई व बस्ते के बोझ से दबे बचपन की हालत को देखते हुए सरकार ने पहली बार देशभर के स्कूलों में कक्षा के हिसाब से बस्ते का बोझ तय कर दिया है।

पत्र के मुताबिक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एम.एच.आर.डी.) ने सभी राज्य सरकारों को इस संबंधी निर्देश जारी कर दिए हैं। यही नहीं सभी स्कूलों को पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को होमवर्क न देने के आदेश भी दिए गए हैं। इन दोनों कक्षाओं के बच्चों को लैंगवेज के साथ सिर्फ गणित ही पढ़ाया जाएगा। वहीं तीसरी से 5वीं कक्षा तक के बच्चों को लैंगवेज के साथ-साथ ई.वी.एस. और एन.सी.ई.आर.टी. के सिलेबस से मैथ पढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं। 


छात्र के वजन से 10 प्रतिशत अधिक न हो बैग का वजन
एम.एच.आर.डी. द्वारा जारी पत्र के मुताबिक बस्ते का वजन कक्षा के हिसाब से 1 से लेकर 5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। चिल्ड्रन स्कूल बैग एक्ट-2006 की नई गाइडलाइंस के मुताबिक स्कूल बैग का वजन छात्र के वजन से 10 प्रतिशत अधिक न हो। 10वीं कक्षा में पढऩे वाले विद्याॢथयों के बस्ते का वजन 5 कि.ग्रा. तक निर्धारित किया गया है, जबकि पहली कक्षा के लिए 1 से 1.50 कि.ग्रा. तक का वजन तय किया गया है। अब निर्देशों के मुताबिक स्कूल ब‘चों को अतिरिक्त किताबें लाने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे। 


सैशन के बीच स्कूल कैसे करेंगे आदेशों को लागू?
स्कूलों को अब अपने स्तर पर तय करना होगा कि बच्चे सरकार के आदेशों के अनुरूप तय वजन से अधिक बोझ का बस्ता उठाकर स्कूल न पहुंचे। हालांकि पहले चरण में जमीनी हकीकत देखी जाए तो फिलहाल इस सैशन में उक्त आदेशों को लागू करवाने में निजी स्कूलों को भी दिक्कत आ सकती है, क्योंकि सैशन खत्म होने में करीब 4 माह का ही समय बचा है और सिलेबस पूरा होने की ओर है। मगर नए सैशन के लिए स्कूलों को अभी से ही प्लाङ्क्षनग करनी होगी, क्योंकि स्कूलों में अगले सैशन के लिए सिलेबस तैयार होने के साथ किताबें भी फाइनल होनी शुरू हो चुकी हैं।

अपने वजन का 20 से 25 प्रतिशत भार उठा रहे स्टूडैंट्स
कुछ समय पहले भारी स्कूल बैग पर हुई एक स्टडी पर गौर करें तो बच्चे अपने वजन का 20 से 25 प्रतिशत तक वजन उठा रहे हैं। डाक्टरों के मुताबिक अगर बच्चों के बस्ते का वजन कम न हुआ तो आगे जाकर उन्हें स्पांडलाइटिस, झुकी कमर और पोस्टर से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। स्टडी के मुताबिक प्रतिदिन 5.5 से 7 किलो अधिक वजन उठाने से बच्चों के हाथ, पैर व कंधों में दर्द शुरू हो जाता है।

भारी बस्ता उठाने से आने वाली प्रॉब्लम
-लोअर बैक प्रॉब्लम।
- बच्चों में तनाव बढऩा।
- कंधों पर बुरा असर।
- एक साइड में दर्द।
- स्पांडलाइटिस व स्कॉलियोसिस की समस्या।
- फेफड़ों पर दबाव।
- हाथों के सुन जैसी समस्या।
-कंधों व हाथों की नसें कमजोर होना। 

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