एम्बुलैंस में मरीज को ले जाने से कतराने लगे लोग

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 12:08 PM (IST)

लुधियाना(सहगल): नैशनल हैल्थ मिशन के तहत चलाई जा रही 108 एम्बुलैंस की दिन-प्रतिदिन होती जा रही खस्ता हालत से मरीजों के लिए नई मुसीबतें पैदा हो रही हैं। रख-रखाव और मुरम्मत समय पर न होने के कारण इनकी हालत खटारा हो चुकी है। ऐसे में आए दिन बीच रास्ते में इन एम्बुलैंसों के खराब होने के कारण मरीजों की जान आफत में पड़ जाती है। आज भी बस स्टैंड के निकट मरीज को सिविल अस्पताल ले जा रही एम्बुलैंस बीच रास्ते में टायर फट जाने के कारण खराब हो गई। दूसरी एम्बुलैंस आने तक मरीज और उसके परिजन भगवान से दुआ मांगते रहे। बाद में मरीज को दूसरी एम्बुलैंस के आने पर अस्पताल पहुंचाया गया। ऐसा आलम प्रतिदिन देखने को मिल जाता है। इस शहर में ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्यों जिलों में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

12 घंटे के मिल रहे 8500 
हर एम्बुलैंस में एक पायलट और एक एमरजैंसी मैडीकल टैक्नीशियन होता है। उन्हें 12 घंटे के क्रमश: 8500 से 9000 रुपए मासिक मिलते हैं। इन पैसों में उसे खाना भी खाना होता है और किराए का मकान भी लेकर रहना पड़ता है। 12 घंटे की ड्यूटी देने के बावजूद उसे पैसे 8 घंटे के ही मिलते हैं। एम्बुलैंस कर्मचारी यूनियन के पंजाब के प्रैस सचिव मनप्रीत सिंह व प्रधान गुरप्रीत सिंह गुरी ने बताया कि पिछला वेतन उन्हें 3 माह बाद मिला है। एम्बुलैंस में डिलीवरी होने अथवा टी.बी. के मरीज को लाने और ले जाने के बाद वॉशिंग का खर्च कम्पनी ने देना होता है लेकिन वॉशिंग स्टाफ द्वारा स्वयं करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि प्रबल संक्रमण की सम्भावना के बावजूद कर्मियों की कई सालों के बाद इस वर्ष वैक्सीन होनी शुरू हुई है और स्वाइन फ्लू का टीका लगाना अभी बाकी है।

30 एम्बुलैंस गाडिय़ां आधी से अधिक खराब
जिले में चल रही 30 एम्बुलैंस गाडिय़ां आधी से अधिक काफी खराब स्थिति में हैं। जाकित्जा हैल्थ केयर लि. की देख-रेख में चल रही इन एम्बुलैंस गाडिय़ों की हालत कुछ इस तरह हो चुकी है कि 30 में से 15-20 एम्बुलैंस ऐसी हैं, जिनके टायर खराब हैं और गाड़ी पंक्चर होने पर किसी भी गाड़ी में स्पेयर स्टपनी नहीं है। एम्बुलैंस में 3 पंखे हैं लेकिन कई गाडिय़ों में तो पंखे ही गायब हैं औैर जिन एम्बुलैंस में पंखे चलते हैं तो वे इतनी भयंकर आवाद पैदा करते हैं कि मरीज डरकर पंखा बंद करने को कह देता है। जिले में 15 से 18 एम्बुलैंस गाडिय़ां ऐसी हैं जिनके इंडीकेटर लाइटें टूटी चुकी हैं और पीछे आने वाले वाहनों को अंदाजा नहीं रहता कि एम्बुलैंस किस ओर मुड़ेगी। अंदर बैठा ड्राइवर मुश्किल से ड्राइव करता है। यही नहीं अधिकतर एम्बुलैंस में रखे ब्लड प्रैशर नापने के आप्रेटर व पल्स ऑक्सीमीटर खराब हैं। एम्बुलैंस में लगे इंवर्टर खराब होने से मशीनें नहीं चलतीं और सक्शन मशीनें खराब पड़ी हैं जो जहर पीकर आए मरीजों का जहर निकालने में सहायक होती हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस मरीज का आप ब्लड प्रैशर नहीं देख सकते, हृदय की धड़कन नहीं नाप सकते, गाड़ी का ए.सी. व पंखे नहीं चलते, सक्शन मशीनें खराब हैं और कौन सी एम्बुलैंस कब बीच रास्ते में रुक जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। यानी यह कहा जा सकता है कि ऐसी एम्बुलैंस गाडिय़ां किसी यमराज की सवारी से कम नहीं हैं।

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