NGT टीम ने 2 कॉरपोरेट कंपनियों और इलैक्ट्रोप्लेटिंग के सी.ई.टी.पी. से भरे सैंपल

punjabkesari.in Sunday, Aug 18, 2019 - 02:38 PM (IST)

लुधियाना(धीमान): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) की टीम ने शुक्रवार को लुधियाना में 2 कॉरपोरेट घराने और एक इलैक्ट्रोप्लेटिंग के कामन एफ्लेंट ट्रीटमैंट प्लांट (सी.ई.टी.पी.) से पानी के सैंपल भरे। टीम का नेतृत्व पंजाब, हिमाचल, हरियाणा के एन.जी.टी. की ओर से नियुक्त किए गए चेयरमैन रिट्जसिस्टस प्रीतम पाल कर रहे थे। उनके साथ टीम के सदस्य पर्यावरणविद् संत सींचेवाल, बाबू राम, एस.सी. अग्रवाल के अलावा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद थे। टीम ने सबसे पहले हीरो इकोटेक के फोकल प्वाइंट स्थित प्लांट से पानी के सैंपल लिए। उसके बाद फोकल प्वाइंट में ही इलेक्ट्रोप्लेंटिंग इंडस्ट्री के बने सी.ई.टी.पी. प्लांट के सैंपल भरे। दोपहर बाद टीम एवन साइकिल में सैंपल लेने पहुंची।

 इन सब जगह पर टीम ने जांच की और देखा कि निजी प्लांट किस तरह काम कर रहे हैं। क्या इनमें कोई खामियां तो नहीं। फिलहाल इनमें कुछ नजर नहीं आया, लेकिन टीम का कहना था कि पानी प्रदूषण बोर्ड के नियमों के मुताबिक कितना खरा है इसकी जांच करने के बाद ही पता चलेगा। प्रदूषण बोर्ड की टीम ने सैंपल लेकर लैब में टैस्ट करने भेज दिए हैं। टीम आज लुधियाना पहुंची थी उनके आने की किसी को भी भनक तक नहीं लगी। प्रदूषद बोर्ड के अधिकारियों को भी मौके पर बुलाया गया था।

सी.ई.टी.पी. ऑप्रेटर कंपनी के मालिक ने पीकर दिखाया ट्रीट किया पानी 
इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए बने सी.ई.टी.पी. की ऑप्रेटर कंपनी ने एन.जी.टी. की टीम को दिखाया कि किस तरह पानी अलग-अलग इंडस्ट्री से इकट्ठा कर प्लांट तक लाया जाता है। इसके बाद इसे ट्रीट कर दोबारा डाइंगों को इस्तेमाल के लिए दे दिया जाता है। पानी की शुद्धता दिखाने के लिए ऑप्रेटर कंपनी जी.बी.आ. टैक्रोलॉजी लिमिटेड के चेयरमैन रजिंदर सिंह ने ट्रीटड पानी पीकर दिखाया। इसे देख एन.जी.टी. की टीम ने खूब तारीफ की। प्रीतम पाल ने कहा कि यदि डाइंग इंडस्ट्री के सी.ई.टी.पी. भी जे.एल.डी. आधारित तकनीक के बन जाए तो ग्राउंड वाटर की बचत हो सकती है।

डाइंग इंडस्ट्री ने दरवाजा नहीं खोला, बैरंग लौटी टीम
टीम को उस समय खामोशी का सामना करना पड़ा जब फोकल प्वाइंट की एक डाइंग इंडस्ट्री ने दरवाजा ही नहीं खोला। टीम करीब आधा घंटे तक बाहर खड़ी रही और दरवाजा खुलवाने की कोशिश की गई। आखिर में थक हार कर टीम को बैरंग लौटना पड़ा। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदूषण फैलाने वालों को एन.जी.टी. का भी कोई डर नहीं है। हालांकि प्रदूषण बोर्ड के चीफ इंजीनियर गुलशन राय भी साथ थे और यह डाइंग भी उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आती है। यानी डाइंग में कुछ गड़बड़ थी तभी दरवाजा नहीं खोला गया। इससे प्रदूषण बोर्ड के अफसरों पर सवालिया निशान लग गया है। 

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