नशा तस्करी मामले के आरोपी हवालाती की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2020 - 10:16 AM (IST)

लुधियाना (स्याल): नशा तस्करी का आरोप लगने के मामले में 10 दिन पहले सैंट्रल जेल आए हवालाती सुमित उर्फ सोनू सचदेवा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। डाक्टरों के पैनल ने मृतक का ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट की उपस्थिति में पोस्टमार्टम कर शव पारिवारिक सदस्यों को सौंप दिया। मैडीकल रिपोर्ट आने पर मौत के कारणों का पता चल सकेगा। 

मौत की सूचना मिलने पर परिवार में मचा कोहराम
रात्रि 11.38 के लगभग मौत की सूचना मिलने पर परिवार में कोहराम मच गया क्योंकि एक सप्ताह पहले मृतक हवालाती से मुलाकात करके आए थे। उस समय वह ठीक था। उनका कहना था कि नशे की आदत होने पर उसका भले ही इलाज जेल के अंदर नशा छुड़ाओ केन्द्र में चल रहा था मगर उसकी तबीयत बार-बार बिगड़ रही थी, तो इलाज के लिए उसे पी.जी.आई. चंडीगढ़ या पटियाला के राजिन्द्रा अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया। इस लापरवाही के लिए जेल प्रशासन जिम्मेदार है। 

बाथरूम में गिरने पर भेजा था अस्पताल : डिप्टी सुपरिंटैंडैंट
इस संबंध में जेल के डिप्टी सुपरिंटैंडैंट इकबाल सिंह धालीवाल का कहना है कि हवालाती सुमित उर्फ सोनू सचदेवा पर 4 जनवरी 2020 को एन.डी.पी.एस. एक्ट का मामला दर्ज होने के कारण 5 जनवरी को जेल आया था। नशे की आदत होने के चलते जेल अंदर नशा छड़ाओ केन्द्र में इलाज चल रहा था। रात्रि उक्त हवालाती बाथरूम करने गया और वहां पर गिर गया। उसकी हालत को देखते हुए जेल मैडीकल अधिकारी ने सिविल अस्पताल रैफर कर दिया, जहां डाक्टरों ने उक्त हवालाती को मृत घोषित कर दिया। धालीवाल का कहना है कि इस घटना की ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट द्वारा जांच भी करवाई जाएगी। 

मृतक के भाई ने पे टी.एम. से रुपए भेजने का किया खुलासा
पे टी.एम. और अन्य मोबाइल एप के माध्यम से जेल के अंदर कैदियों व हवालातियों में रुपए का आदान-प्रदान हो रहा है, जिसके चलते मृतक के भाई सुनील सचदेवा ने आरोप लगाते हुए कहा कि रविवार के दिन एक कैदी के माध्यम से संदेश आने पर अपने भाई के इस्तेमाल के लिए 1000 रुपए की राशि पे टी.एम. एप के जरिए भेजी गई जबकि इससे पहले भी एक हजार की राशि पे टी.एम. द्वारा दी जा चुकी है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि पे टी.एम. एप किस मोबाइल के माध्यम से जेल के अंदर चल रहा है और उस मोबाइल का इस्तेमाल कौन कर रहा है। यह जांच का विषय है। अगर जेल अधिकारी इस बात की जांच करवाएं तो हो सकता है कि जेल के अंदर छिपी काली भेड़ें बेनकाब हो सकती हैं। 


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