12वीं में लटके 7,186 परीक्षार्थी, फिर भी 15 प्रतिशत सुधरा नतीजा

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 01:26 PM (IST)

लुधियाना(विक्की): टॉप-10 लिस्ट में अपना दबदबा बनाने वाले लुधियाना के पी.एस.ई.बी. परीक्षा परिणाम में इस बार पिछले वर्ष की अपेक्षा काफी सुधार देखने को मिला है। इतना ही नहीं परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने वाले परीक्षार्थियों की गिनती में भी काफी कमी आई है। वर्ष 2017 में पास प्रतिशतता के मामले में 8वें स्थान पर रहे लुधियाना ने इस बार 5 पायदान की छलांग लगाते हुए तीसरे स्थान पर आने का श्रेय प्राप्त किया है। हालांकि मुक्तसर और मानसा जिले परिणाम की पास प्रतिशतता के मामले में लुधियाना से आगे रहे हैं। 

 

बोर्ड द्वारा जारी जिले अनुसार पास प्रतिशतता पर नजर दौड़ाएं तो इस बार लुधियाना की पास प्रतिशतता 78.56 प्रतिशत रही है, जबकि वर्ष 2017 में यह 63.97 प्रतिशत ही रही थी। लुधियाना से इस बार 12वीं की परीक्षा के लिए 33,520 परीक्षार्थी अपीयर हुए, जिनमें से 26,334 परीक्षार्थी पास हो गए, जबकि 7,186 परीक्षार्थी ऐसे हैं जो 12वीं पास नहीं कर पाए हैं। अब बात अगर पिछले वर्ष की करें तो परीक्षा पास न करने वाले विद्याॢथयों का आंकड़ा 13,071 का था। यही नहीं पिछले वर्ष 36,278 परीक्षार्थी अपीयर हुए, जिनमें से 23,207 उत्तीर्ण हुए थे। 


कुछ खास असर नहीं दिखा पाया सैल्फ सैंटर बदलने का फॉर्मूला 
बोर्ड की ओर से परीक्षाओं से पहले इस बार सैल्फ सैंटर बदलने का भी फॉर्मूला शुरू किया गया था। वह इतना कामयाब नहीं हो पाया, क्योंकि बोर्ड द्वारा जारी टॉपर्स की लिस्ट में फिर से एक बार निजी स्कूलों के विद्याॢथयों ने ही अपनी कामयाबी का परचम फहराया है। हैरानी की बात तो यह है कि एकाध सरकारी स्कूल को छोड़कर राज्य का अन्य कोई भी सरकारी स्कूल इस लिस्ट में स्थान बनाने में कामयाब नहीं हो पाया है। 

बोर्ड का था यह तर्क 
यहां बताना जरूरी है कि सैल्फ सैंटर की व्यवस्था को खत्म करने का एक तर्क बोर्ड का यह भी था कि निजी स्कूल अपने परीक्षा केन्द्रों में कथित रूप से नकल करवाते हैं, जिसके चलते बोर्ड ने उनके परीक्षाॢथयों के परीक्षा केन्द्र सरकारी स्कूलों में बना दिए थे लेकिन सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के अभाव के चलते भी परीक्षा देकर निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ने अपनी काबिलियत को साबित कर दिखाया है। बात अगर परिणाम की करें तो एफीलिएटिड स्कूलों की पास प्रतिशतता सरकारी स्कूलों के मुकाबले 2 प्रतिशत कम रही है। वहीं मैरीटोरियस स्कूलों के परीक्षाॢथयों का परिणाम अच्छा रहा है।

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