उद्योगों की अनदेखी से ट्रेड एवं इंडस्ट्री निराश
punjabkesari.in Sunday, Mar 25, 2018 - 10:18 AM (IST)

लुधियाना (बहल): वित्त मंत्री मनप्रीत बादल द्वारा आज विधान सभा में वर्ष 2018-19 के लिए पेश किए गए 19720 करोड़ रुपए के घाटे के बजट में इंडस्ट्री की अनदेखी से पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना के कारोबारियों में निराशा व्याप्त होने लगी है। कैप्टन सरकार के सत्ता में आने के बाद वित्त मंत्री बादल द्वारा पेश अपने दूसरे वित्तीय बजट में बिना कोई अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान किए राज्य सरकार के शुद्ध खर्चों को 71182 करोड़ से बढ़ाकर 86.351 करोड़ कर दिया गया है जबकि वर्ष 2016-17 में यह खर्चे 58163 करोड़ थे। इसका सीधा मतलब है कि सरकार ने जनता और उद्योगों को बिना कोई अतिरिक्त सुविधा दिए 28,000 करोड़ रुपए का भार डाल दिया है। इसमें फिर से बजट का 87 प्रतिशत एक्सपैंडिचर रूटीन खर्चों पर आधारित है जबकि मात्र 13 प्रतिशत हिस्सा विकास कार्यों पर खर्च के लिए रखा गया है।
पंजाब को अपने प्रोजैक्ट पूरे करने के लिए फंड की कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि पंजाब सरकार ने 15545 करोड़ रुपए के सैंक्शंड लोन के मुकाबले 24870 करोड़ रुपए के कर्जे प्राप्ति कर प्रस्ताव रखा है। इन प्रस्तावों से पंजाब का शुद्ध लोन 195978 करोड़ से बढ़कर 211523 करोड़ हो जाएगा।बजट में 22 जिलों में रोजगार सृजन, इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट के लिए रोजगार एवं उद्यम जिला ब्यूर की स्थापना के लिए मात्र 20 करोड़ की प्रावधान रखे जाने से इंडस्ट्री इसे पर्याप्त नहीं मान रही है। बजट में उद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली के लिए 1400 करोड़ रुपए का प्रावधान भी कारोबारियों को नाकाफी लग रहा है। एम.एस.एम.ई. के लिए सरल पालिसी और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए नए सैल की स्थापना इंडस्ट्री की बेहतरी के लिए एक अच्छा प्रयास माना जा रहा है।
वित्त मंत्री मनप्रीत बादल द्वारा आज पेश बजट में उद्योगों की सिरे से अनदेखी की गई है। ट्रेड एवं इंडस्ट्री का करोड़ों रुपए का वैट रिफंड लम्बे समय से रुका पड़ा है। जिसके चलते कारोबारियों की सारी पूंजी सरकार के पास रुकने से फैक्ट्रियां चलाना मुश्किल हो गया है। अगर इंडस्ट्री ही नहीं चलेगी तो सरकार का लोगों को रोजगार प्रदान करने का वायदा पूरा होना नामुमकिन है। बजट में इस बारे कोई भी प्रावधान न दिए जाने से इंडस्ट्री में निराशा है।
रजनीश आहूजा, अध्यक्ष, फोकल प्वाइंट इंडस्ट्रीयल संघ