कैसे पूरा होगा रेलवे का माल ढुलाई लक्ष्य, चोरी, बाबूशाही व अधिक रेट बने रुकावट

punjabkesari.in Monday, Aug 10, 2020 - 06:12 PM (IST)

लुधियाना(गौतम): माल ढुलाई का लक्ष्य पूरा करने के लिए रेलवे विभाग की तरफ से कार्पोरेट सैक्टरों के साथ.साथ बड़ी कम्पनियों को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके लिए रेलवे अधिकारियों की तरफ से एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है लेकिन आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि फिलहाल इस प्रोजैक्ट को लेकर कार्पोरेट सैक्टर व बड़ी कम्पनियों की तरफ कोई खास रिस्पांस नहीं मिल रहा है। 

सूत्रों का कहना है कि रेलवे में चोरी, बाबूशाही व अधिक रेट होना इस प्रोजैक्ट में रुकावट बन रहे हैं। अधिकारियों की तरफ  से इन बातों को लेकर कारोबारियों को आश्वासन भी दिए जा रहे हैैं जिसमें समय पर माल पहुंचाना, ग्राहकों को अलग-अलग तरह की छूट देना, माल रखने के लिए अधिक से अधिक शैडों का निर्माण करना, जीरो बेस टाइम टेबल तैयार करने के साथ मालगाडिय़ों को चलाने की तैयारी करना इत्यादि शामिल है लेकिन फिर भी अधिकतर कारोबारी मानने को तैयार नहीं हैं। विभाग की तरफ  से गठित टीमों ने साइकिल इंडस्ट्री, हौजरी इंडस्ट्री व अन्य दूसरी इंडस्ट्रियों से जुड़े कारोबारियों से मीटिंगें भी की हैं। 

कारोबारियों को रिझाने के लिए रेलवे ने कई प्रोजैक्ट शुरू किए 
इसी प्रोजैक्ट को लेकर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव ने कहा कि रेलवे की तरफ  से माल ढुलाई में 40 प्रतिशत बढ़ौतरी करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए जुलाई में मालगाडिय़ों की स्पीड दोगुनी कर दी जाएगी। जोनल स्तर व डिवीजनल स्तर पर व्यापार विकास यूनिट को गठन किया गया है। प्लेटफार्मों पर ड्यूटी देने वाले टिकट चैकरों को भी मार्कीट में इस प्रोजैक्ट के लिए उतारा गया है। कारोबारियों को रिझाने के लिए रेलवे ने मालगाडिय़ों से संबंधित कई प्रोजैक्ट भी शुरू किए जिसमें अधिक स्पीड पर ट्रेनें चलाई गईं और सामान को समय पर पहुंचाया गया तथा रेलवे नियमों में भी बदलाव किया गया। अधिक से अधिक डिब्बे लगा कर भी मालगाडिय़ां चलाई गईं। 

रेलवे में ट्रांसपोर्ट से ज्यादा खर्च : सुनील मेहरा 
पंजाब व्यापार मंडल के जनरल सैक्रेटरी सुनील मेहरा, निट एंड फैब के प्रधान विपन विनायक का मानना है कि फिलहाल कोरोना के चलते पैसेंजर ट्रेनें बंद होने की वजह से ट्रैफिक कम है। जब सभी ट्रेनें बहाल कर दी जाएंगी तो मालगाडिय़ों का फिर वही हाल होगा। केवल पार्सल ट्रेनों की स्थिति बेहतर रहेगी। दूसरा रेल का किराया ट्रांसपोर्टों से अधिक है, नई दिल्ली तक का किराया ही रेलवे में दोगुना है। इसके अलावा रेलवे में हर समय चोरी का खतरा बना रहता है। माल बुक करवाने से लेकर माल छुड़ाने तक बाबूगिरी भारी रहती है। ट्रांसपोर्ट से उन्हें डोर-टू-डोर सॢवस मिलती है जबकि रेलवे में पहले माल स्टेशन पर पहुंचाना पड़ेगा और फिर स्टेशन से उठा कर ले जाना पड़ेगा जिसमें अधिक समय लगेगा। ट्रेन की स्पीड बढऩे से माल दूसरे स्टेशन पर तो जल्दी पहुंच जाएगा लेकिन दूसरे खर्च अधिक होंगे। रेलवे विभाग को इसके लिए पहले इन बातों में सुधार करना पड़ेगा। 

कोरोना महामारी के कारण फंड की कमी से जूझ रहा रेलवे 
रेल विभाग कोरोना महामारी के दौरान फंड की कमी से जूझ रहा है। इस दौरान पैसेंजर ट्रेनें बंद होने के कारण भी रेलवे की इंकम पर बंद पड़ी है और करोड़ों रुपए का रिफंड देने से भी रेलवे की हालत खस्ता हो रही है। यही वजह है कि रेलवे ने अपनी आय बढ़ाने के लिए माल ढुलाई पर ही फोकस किया हुआ है। मालगाड़ी से 1 अप्रैल से 10 जून तक 178.68 मिलियन टन माल की ढुलाई की गई और 22 मार्च से 10 जून तक 3897 ट्रेनें चला कर करीब 1 लाख 40 हजार टन अलग-अलग वस्तुओं की ढुलाई की गई है। जुलाई 2020 में पिछले साल की अपेक्षा माल ढुलाई अधिक रही। अधिकारियों का मानना है कि रेलवे की 70 प्रतिशत इंकम माल ढुलाई से होती है।

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