45,000 के आंकड़े को छूकर स्टील इंगट ने तोड़े सारे रिकार्ड

punjabkesari.in Saturday, Apr 21, 2018 - 04:29 PM (IST)

लुधियाना (बहल): नए वित्त वर्ष के शुरू होते ही स्टील की कीमतों ने भारत के अब तक के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं। 1 अप्रैल 2018 को स्टील इंगट की कीमत 42,500 रुपए प्रति टन थी, जोकि 16 अप्रैल को बढ़कर 45,000 रुपए प्रति टन का आंकड़ा छू गई है। स्टील विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी मुख्य वजह चीन सरकार द्वारा स्टील के उत्पादन में कटौती करना है।

चीन ने अपने देश में प्रदूषण कम करने के लिए वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक चरणबद्ध ढंग से स्टील के उत्पादन में कटौती करने की घोषणा की है। इसके साथ ही चीन ने घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए कई प्रकार के स्टील उत्पादों के निर्यात पर भी पाबंदी लगा दी है, जिससे भारतीय स्टील की मांग विदेशी बाजारों में काफी बढ़ गई है। चीन ने वर्ष 2017 तक अपने स्टील उत्पादन में 50 मिलियन टन की कटौती की है। इसके साथ ही चीन ने वर्ष 2016 से 2020 तक 150 मिलियन टन स्टील उत्पादन की कटौती का लक्ष्य रखा हुआ है लेकिन इसके बावजूद चीन विश्व का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश बना रहेगा। इस्पात की कीमतें बढऩे की दूसरी वजह यूरोपीय बाजार में आई तेजी के कारण इस्पात की मांग में वृद्धि होना है।

वहीं वर्ष 2018-19 भारत में आम चुनावों का वर्ष है और इतिहास गवाह है कि चुनावी वर्ष में हमेशा स्टील की कीमतों में वृद्धि दर्ज हुई है। स्टील इंगट के साथ अन्य स्टील उत्पादों के दाम आसमान छू रहे हैं। सैकेंडरी वायर रॉड 50,000 रुपए प्रति टन का आंकड़ा पार कर चुका है। वहीं राष्ट्रीय इस्पात निगम के वायर रॉड की कीमत 56,000 रुपए प्रति टन से भी ऊपर पहुंच चुकी है। भारत के इतिहास में कभी भी इन उत्पादों ने इस आंकड़े को नहीं छुआ है। इस्पात की कीमतों में जी.एस.टी. लगने के बाद कुल टैक्स में मात्र 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी लेकिन स्टील उत्पादों के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। 1 जुलाई 2017 को 34,000 रुपए प्रति टन बिकने वाली स्टील इंगट आज 45,000 रुपए प्रति टन के आंकड़े को छू रही है। 

स्टील की कीमतों में तेजी ने बिगाड़े कारोबारी समीकरण 
स्टील की कीमतों में हुई भारी वृद्धि ने कारोबारियों को विकट स्थिति में डाल दिया है। स्टील की कीमतें बढऩे के कारण 30 प्रतिशत लागत भी बढ़ चुकी है। दूसरी ओर एन.पी.ए. की मार झेल रहे बैंकों ने कारोबारियों को कर्ज देने से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं, जिससे टर्नओवर बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। कारोबारियों की काफी पूंजी जी.एस.टी. रिफंडों में फंसने से पहले से ही व्यापार की स्थिति काफी खराब चल रही है। स्टील के रेट बढऩे से उत्पादों पर काफी असर होना शुरू हो गया है। साइकिल की कीमत 300 रुपए तक बढ़ चुकी है, वहीं सीविंग मशीन की 200 रुपए प्रति मशीन कीमत बढ़ चुकी है। नट-बोल्ट की 50 किलो की बोरी का दाम भी 600 रुपए प्रति बैग बढ़ चुका है। 

एक्सपोर्ट और कॉन्ट्रैक्ट बिजनैस प्रभावित 
स्टील की कीमतों में बढ़ौतरी की अनिश्चितता के कारण एक्सपोर्टर कोई भी ऑर्डर बुक करने में असमर्थ हैं और लगभग यही स्थिति कॉन्टै्रक्ट सप्लायर्स की भी बन चुकी है। दोनों क्षेत्रों में माल सप्लाई करने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में स्टील की कीमतों में अनिश्चितता के कारण वे एडवांस बुकिंग के रिस्क में नहीं पडऩा चाहते हैं। 

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