पित्ते की पथरी बन सकती है कैंसर का कारण

punjabkesari.in Thursday, Sep 20, 2018 - 02:01 PM (IST)

मोगा(संदीप): चाहे पित्ते की पथरी के इलाज के लिए ओपन सर्जरी के बाद अब दूरबीन व लेजर तकनीक से बिना तकलीफ के आप्रेशन संभव है, लेकिन उस समय तक इलाज संभव नहीं, जब तक बीमारी का पता न लग सके। 60 प्रतिशत से अधिक पित्ते की पथरी से पीड़ितों को इसके बनने बारे तब तक पता नहीं लगता, जब तक पथरी का साइज काफी ज्यादा बढ़ नहीं जाता। इसके अलावा कई पीड़ितों को इनके बनने से कुछ समय बाद ही पेट में असहनीय दर्द होने के चलते व डाक्टर की सलाह से पेट की अल्ट्रासाऊंड करवाने पर इनका पता लग जाता है तथा मरीज की ओर से आधुनिक दूरबीन या लेजर तकनीक द्वारा पित्ते को रिमूव करवा दिया जाता है।

समस्या तो उन मरीजों के लिए गंभीर बनती है, जिनको पित्ते में पथरी की शिकायत होने तथा टैस्ट दौरान पथरी का साइज काफी बढ़ जाने बारे पता लगता है। कई बार पथरी का ज्यादा बढ़ चुका साइज गंभीर व जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाता है, जिसमें नामुराद बीमारी कैंसर भी शामिल है। पित्ते की पथरी की तकलीफ किसी भी उम्र में हो सकती है। इस बारे उम्र की सीमा के निर्धारित होने की बात माहिरों द्वारा नहीं की गई। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस बीमारी के लक्षणों व इस प्रति जागरूक रहने संबंधी स्थानीय दत्त रोड मंदिर वाली गली में स्थित मोगा मैडीसिटी सुपर स्पैशलिस्ट अस्पताल के सर्जन डा. शविन्द्र सिंह के साथ विशेष तौर पर बातचीत की गई।

पित्ते की पथरी होने के  मुख्य लक्षण
*पित्ते की पथरी होने पर भूख प्रभावित हो जाती है।
*कई मरीजों के आमतौर पर पेट में दर्द रहता है तथा यह बढ़ता-घटता रहता है।
*भोजन के बाद पेट में भारीपन महसूस होता है।
*शरीर की पाचन प्रणाली पर सीधे तौर पर प्रभाव पड़ता है।
*कई बार लीवर से संबंधित गंभीर बीमारियां पीलिया, एसीडिटी की समस्या पैदा हो जाती है।
*समय पर इलाज न करवाने पर यह पथरी दूसरे अंदरूनी अंगों के कार्यों को भी प्रभावित करती है।

सावधानियां बरतने की जरूरत
*पेट में दर्द की समस्या लगातार सामने आने पर डाक्टर से संपर्क करें।
*खाना खाने के बाद यदि पाचन प्रणाली सही ढंग से कार्य नहीं करती, तो यह पित्ते की पथरी की निशानी हो सकती है।
*भोजन निश्चित समय पर ही करना यकीनी बनाया जाए।
*सुबह का नाश्ता विशेषकर समय पर लें।
*ज्यादा समय खाली पेट रहने से भी यह समस्या पेश आ सकती है।
*खाने में चिकनाई भोजन का कम तथा फाइबर युक्त वस्तुओं का अधिक प्रयोग करें।
*हालत बिगडऩे पर स्पैशलिस्ट सर्जन से संपर्क कर सलाह अनुसार टैस्ट करवाएं।
*परिवार के मैंबर अपनी तथा छोटे बच्चों की खुराक प्रति जागरूक रहें।

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