आधुनिक तकनीक ने बदला यातायात की सहूलियत का मुख्य साधन ‘रिक्शा’

punjabkesari.in Monday, Dec 17, 2018 - 11:36 AM (IST)

मोगा(गोपी राऊके): दिन-ब-दिन बदलती आधुनिक तकनीक जहां समाज व समाज में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, वहीं कहीं न कहीं इसका विपरित असर भी देखने को मिल रहा है। इसका मुख्य उदाहरण है यातायात का मुख्य साधन ‘रिक्शा’ जो अब बदलकर आधुनिक तकनीक से बने ई-रिक्शा में तबदील हो चुका है। ई-रिक्शा ने जहां कई जरूरतमंदों की रोजी-रोटी का इंतजाम किया तथा रोजाना जिंदगी में रिक्शा का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को बड़ी सहूलियत तथा समय की बचत दी, वहीं इसने ई-रिक्शा खरीदने में असमर्थ आम रिक्शा चलाने वालों के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर दी।

एकत्रित किए गए ब्यौरों के अनुसार शहर में 300 के करीब ई-रिक्शा के कारण आम रिक्शा खत्म होने के कगार पर हैं तथा समूह जनतक स्थानों बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मेन बाजार, सिविल अस्पताल के बाहर कतारों में सिर्फ और सिर्फ ई-रिक्शा ही देखने को मिलते हैं। इस कारण प्रदेशों से आए आम रिक्शा चलाने वाले ई-रिक्शा खरीदने में असमर्थ होने के कारण अपने राज्यों व गांवों को वापस लौट रहे हैं। दूसरी तरफ इससे जहां ई-रिक्शा डीलरों को बड़ा फायदा मिल रहा है, वहीं रिक्शा बनाने वाले व मुरम्मत करने वाले कारीगर भी सड़क किनारे आ बैठे हैं और रोजी-रोटी के जुगाड़ के लिए तथा कामकाज खोलने को तरजीह दे रहे हैं।

नगर निगम द्वारा नहीं ली जा रही कोई पासिंग पॉलिसी फीस
रिक्शा मजदूर यूनियन की अगुवाई करने वाले एडवोकेट विजय धीर ने कहा कि ई-रिक्शा से जहां कई जरूरतमंदों को रोजगार मिला है, वहीं 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले आम रिक्शा चलाने में असमर्थ थे, लेकिन ई-रिक्शा चलाकर हर उम्र का जरूरतमंद व्यक्ति दो वक्त की रोटी खा सकता है। उन्होंने कहा कि वह अपने स्तर पर नगर निगम को 3 बार मांग पत्र देकर ई-रिक्शा चालकों से पासिंग पॉलिसी फीस लेने के लिए अपील कर चुके हैं, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद निगम की ओर से कथित तौर पर यह कहकर पल्ला झाड़ दिया जाता है कि ई-रिक्शा पर नंबर प्लेटें लगाने के बाद ही पासिंग फीस ली जाएगी।

एड. धीर ने कहा कि पहले निगम ने बरनाला में नंबर प्लेटें बनकर आने उपरांत पासिंग फीस लेने की बात कही थी। इसके उपरांत नगर निगम ने कहा कि अब प्लेटें बङ्क्षठडा में बनने के लिए आर्डर दिया है तथा उसके बाद ही पासिंग फीस लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि निगम ई-रिक्शा चालकों की जिम्मेदारी लेने से कथित तौर पर भाग रहा है क्योंकि अगर पासिंग फीस टैक्स निगम को जमा करवा दिया तो निगम को उनकी सहूलियत के लिए काम करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही जिला प्रशासन की अग्रिम बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा। इस अवसर पर चमकौर सिंह, मेजर सिंह, जसविन्द्र सिंह, सुरिन्द्र सिंह व देव घाली आदि हाजिर थे।

पक्की पार्किंग देने में असमर्थ प्रशासन
ई-रिक्शा संबंधी इंटक जिला मोगा से संबंधित रिक्शा तथा ई-रिक्शा मजदूर संघ के प्रदेश जसवंत सिंह ने बताया कि डेढ़ वर्ष पहले जिला प्रशासन द्वारा ही रिक्शा चालकों को बुलाकर ई-रिक्शा चलाने का समर्थन दिया गया था तथा ई-रिक्शा को बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर पूरा सहयोग देने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन के समर्थन के बाद अधिकतर आम रिक्शा चालकों ने ई-रिक्शा को रोजगार के  तौर पर अपनाया था, लेकिन अब ई-रिक्शा चालकों की गिनती बढऩे के बावजूद जिला प्रशासन ई-रिक्शा चालकों को पक्की पार्किंग देने में असमर्थ है तथा प्रशासन को बार-बार कहने के बावजूद कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा। जसवंत सिंह ने कहा कि रिक्शा का काम सार्वजनिक स्थानों पर है और यदि ई-रिक्शा चालक बाहरी पार्किंगों में पार्किंग करेंगे तो किसी भी तरह ग्राहक नहीं आएगा। उन्होंने मांग की कि जिला प्रशासन अपने समर्थन से चलाई गई इन ई-रिक्शा चालकों को पक्की पार्किंग देने के लिए ठोस कदम उठाए।

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