फरीदकोट के मैडीकल कालेज ने मोगा से रैफर हुए नवजन्मे बच्चे को नहीं किया दाखिल

punjabkesari.in Wednesday, Sep 12, 2018 - 07:04 PM (IST)

मोगा(संदीप): जिला स्तरीय सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड से गंभीर हालत में नवजन्मे बच्चों को आम तौर पर फरीदकोट के श्री गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज रैफर कर दिया जाता है, लेकिन एम्बुलैंस स्टाफ के अनुसार जब उनके द्वारा बच्चे को फरीदकोट के मैडीकल कालेज ले जाया जाता है तो वहां के बच्चों के वार्ड में जगह न होने के कारण स्टाफ द्वारा रैफर हुए बच्चों को दाखिल करने से साफ मना कर दिया जाता है। इसके चलते गंभीर हालात से गुजर रहे बच्चों की जान बचाने की ङ्क्षचता को लेकर एम्बुलैंस स्टाफ को मानसिक परेशानी के साथ-साथ बच्चों के पारिवारिक सदस्यों के रोष का भी सामना करना पड़ता है। मजबूरी के कारण तथा बच्चे की कीमती जान बचाने के लिए बच्चे को महंगे इलाज वाले प्राइवेट अस्पतालों में ही दाखिल करना पड़ता है। 

इसी तरह का मामला सोमवार की शाम को सामने आया, जब स्थानीय सिविल अस्पताल में सांस लेने की समस्या से पीड़ित कस्बा शाहकोट के नजदीकी गांव स्माइलपुर निवासी हरजिंद्र सिंह के नवजन्मे बच्चे को डाक्टरों द्वारा सिविल अस्पताल में वैंटीलेटर की सहूलियत न होने के कारण फरीदकोट के मैडीकल कालेज रैफर कर दिया गया, लेकिन फरीदकोट के मैडीकल कालेज में गंभीर हालत से गुजर रहे बच्चे को दाखिल करने से साफ तौर पर मना कर दिया गया। 

प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा बच्चा
एम्बुलैंस गाड़ी नंबर-2 बाघापुराना के स्टाफ निर्मल सिंह तथा गुरचरण सिंह के अनुसार इसका कारण 4 वैंटीलेटर वाले मैडीकल कालेज के बच्चों के वार्ड का फुल होना बताया गया, जिसके बाद बच्चे की हालत को गंभीर देखते हुए उसको कोटकपूरा के एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा।

सरकारी अस्पताल में वैंटीलेटर के प्रबंध की मांग
दूसरी तरफ बच्चे के पिता हरजिंद्र सिंह ने बताया कि वह दिहाड़ीदार है तथा बच्चे का इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवाने से असमर्थ है। उसने जहां मोगा के सरकारी अस्पताल में वैंटीलेटर के प्रबंध की मांग की है, वहीं फरीदकोट के मैडीकल कालेज प्रबंधन को भी इस समस्या के हल की मांग की है ताकि किसी भी गरीब के बच्चे का समय पर सही इलाज कर उसकी कीमती जान को बचाया जा सके।

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