28 करोड़ से पडने वाला सीवरेज आज तक नहीं हुआ मुकम्मल

punjabkesari.in Monday, Apr 30, 2018 - 09:37 AM (IST)

बाघापुराना (राकेश): कस्बे में 7 वर्ष से लटक रहा सीवरेज एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, लेकिन सरकार तथा लोकल लीडरशिप इस मुद्दे को लेकर चिन्तित नहीं हैं। सीवरेज मुकम्मल करने का मुद्दा नेताओं द्वारा गली-गली सिर्फ चुनाव दौरान ही उठाया जाता है। चुनाव निकल जाते हैं तो उसके बाद यह मामला रद्दी की टोकरी में फैंक दिया जाता है, लेकिन कस्बा के लोग आखिर कब तक इसको बर्दाश्त करते रहेंगे।

कस्बा के लोगों का कहना है कि 28 करोड़ की लागत से 2011 में अकाली सरकार ने शहर में सीवरेज डालने की शुरूआत करवाई थी, जिसकी खुदाई कारण सीवरेज पाइपें करीब 60 प्रतिशत हिस्से में डालकर छोड़ी गई थीं, जबकि 40 प्रतिशत अभी तक अधूरी पड़ी हैं। एक लम्बा समय लोगों ने गलियों की खुदाई के बाद गहरे गड्ढों में गुजारा, सिर्फ इस कारण कि आखिर शहर में गंदगी का नर्क निकल जाएगा। सड़कों की खुदाई दौरान निहाल सिंह वाला रोड के दुकानदारों के 2 वर्ष मिट्टी के ढेरों कारण कारोबार ठप्प रहे थे व आवाजाही बंद रही, लेकिन आखिर इसका नतीजा कोई नहीं निकला।

गंदे पानी की निकासी बड़ी समस्या का कारण
कस्बा बाघापुराना में सीवरेज चालू न होने कारण गंदे पानी की निकासी बड़ी समस्या है, जिसको निपटाने के लिए सीवरेज का चालू होना अति जरूरी है।सीवरेज के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके डाली सीवरेज पाइपों का क्या फायदा, अगर इसको चालू ही नहीं करना था। इस गंभीर समस्या कारण कस्बा के गंदगी से भरे छप्पड़ गंभीर बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया, जिस कारण शहर असल सहूलियतों से पूरी तरह वंचित है।

हाईकोर्ट पहुंच चुका है सीवरेज का मामला
गौरतलब है कि अकाली सरकार चाहे 10 वर्षों के अपने समय दौरान लोगों को कोई सहूलियतें देने में कामयाब नहीं हो पाई। वहीं मामला अब माननीय हाईकोर्ट में भी पहुंच चुका है, लेकिन फिर भी सीवरेज का मसला हल नहीं हो सका। 1 वर्ष पहले कैप्टन सरकार के सत्ता में आने के बाद लोगों में उम्मीद की किरण जागी थी कि कम से कम सीवरेज तो चालू हो ही जाएगा, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई सीवरेज विभाग ने शुरू करने का प्रयास नहीं किया, जबकि सरकार ने 11 करोड़ की राशि भी जारी कर दी है तथा इसको भी 4 महीने से अधिक समय हो गया है।

Anjna