नामजद चौकी इंचार्ज सहित 3 बरी

punjabkesari.in Saturday, Sep 22, 2018 - 01:35 PM (IST)

मोगा (संदीप): माननीय जिला एवं एडीशनल सैशन जज तरसेम मंगला की अदालत ने चूरा-पोस्त तथा अवैध शराब तस्करी मामले में नामजद तत्कालीन इंचार्ज पुलिस चौकी नत्थूवाला तथा 2 हैड कांस्टेबलों को सबूतों व गवाहों के अभाव के चलते बरी करने का आदेश दिया है। जानकारी देते हुए आरोपी पक्ष के वकील गगनदीप सिंह बराड़ ने बताया कि 6 सितम्बर, 2013 को थाना बाघापुराना पुलिस द्वारा पुलिस थाने अंतर्गत पड़ती पुलिस चौकी नत्थूवाला में एक क्विंटल 67 किलोग्राम चूरा-पोस्त तथा 66 बोतलें अवैध शराब बरामद करने का दावा करते हुए चौकी के इंचार्ज सहायक थानेदार जरनैल सिंह, हैड कांस्टेबल जसवीर सिंह तथा हैड कांस्टेबल दविंद्र सिंह के खिलाफ एन.डी.पी.एस. एक्ट की विभिन्न धाराओं तथा एक्साइज एक्ट के तहत थाना बाघापुराना में मामला दर्ज किया था, जिसकी सुनवाई उक्त माननीय अदालत में चल रही थी। 

उन्होंने बताया कि इस दर्ज किए गए मामले के साथ-साथ पुलिस द्वारा सहायक थानेदार के नजदीकी जगसीर सिंह निवासी माहला कलां को गांव हरिये वाला के नजदीक काबू करके एक क्विंटल40 किलोग्राम चूरा पोस्त बरामद करने का दावा करते हुए उसके खिलाफ भी विभिन्न धाराओं के तहत थाना बाघापुराना में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में संबंधित अदालत द्वारा शुक्रवार को अंतिम सुनवाई तक पेश किए गए सबूतों व गवाहों के आधार पर पुलिस चौकी इंचार्ज नत्थूवाला गरबी के सहायक थानेदार जरनैल सिंह, हैड कांस्टेबल जसवीर सिंह व दूसरे मामले में नामजद किए गए जगसीर सिंह को बरी करने का आदेश दिया है। गौरतलब है इस मामले में आरोपी हैड कांस्टेबल दविंद्र सिंह की बीमारी के चलते पहले ही मौत हो चुकी है।

क्या कहना है बरी हुए सहायक थानेदार जरनैल सिंह का..
इस मामले में बरी हुए सहायक थानेदार जरनैल सिंह ने कहा कि उनको अपनी बेगुनाही तथा अदालत इंसाफ पर पूरा विश्वास था। माननीय अदालत ने इस मामले में उसके बेकसूर होने कारण उसके हक में फैसला किया है। उन्होंने बताया कि उनको पुरानी रंजिश के कारण जिला स्तरीय उच्च पुलिस अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर झूठे मामले में फंसाया गया था। उनकी गुहार पर डी.आई.जी. मनीष चावला द्वारा जांच टीम बनाई गई थी, जिसमें एस.पी. हरजीत सिंह पन्नू, डी.एस.पी. गुरप्रीत सिंह व इंस्पैक्टर प्रेम सिंह को शामिल किया गया था।

इस टीम द्वारा की गई जांच में वह बेगुनाह पाया गया था, लेकिन इस जांच रिपोर्ट का भी उसको कोई लाभ नहीं हुआ। जरनैल सिंह ने बताया कि उसको झूठा फंसाने के लिए इस मामले के जांच अधिकारी द्वारा विशेष तौर पर एक प्राइवेट वकील का भी प्रबंध किया गया था, लेकिन इसके बावजूद उसको इंसाफ मिला है।

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